
सुनीता विलियम्स धरती पर SpaceX के ड्रैगन क्रू कैप्सूल के जरिए अगले साल फरवरी में धरती पर लौटेंगी. इस बात का ऐलान अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA ने कर दिया है. नासा के प्रमुख बिल नेल्सन कहा कि ये दोनों अंतरिक्ष यात्री सकुशल Crew-9 के साथ धरती पर लौटेंगे.
"NASA has decided that Butch and Suni will return with Crew-9 next February."@SenBillNelson and agency experts are discussing today's decision on NASA's Boeing Crew Flight Test. Watch live with us: https://t.co/M2ODFmLuTj pic.twitter.com/J2qvwOW4mU
5 जुलाई 2024... जब एक खराब कैप्सूल या स्पेसक्राफ्ट से किसी तरह इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पहुंचे सुनीता विलियम्स और बैरी बुच विलमोर. आठ दिन रुकने का प्लान था. लेकिन बोईंग के स्टारलाइनर कैप्सूल, जिससे ऊपर गए थे, वही खराब हो गया. अब यात्रा 8 महीने में बदल चुकी है. अब ये दोनों अगले साल फरवरी में नीचे आएंगे.
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ये है पूरी कहानी...
देरी क्यों हुई... सुनीता विलियम्स की वापसी में देरी हुई है बोईंग स्टारलाइनर में आई हीलियम लीक और थ्रस्टर्स की दिक्कत की वजह से.
इमरजेंसी प्लान क्या है... अगर स्टारलाइनर सही नहीं होता है तो SpaceX के क्रू ड्रैगन मिशन के जरिए दोनों को धरती पर लाया जाएगा. लेकिन इसमें फरवरी 2025 तक का समय लग सकता है.
अभी क्या स्थिति है... सुनीता और विलमोर दोनों ही स्पेस स्टेशन पर मौजूद हैं. स्वस्थ हैं. रिसर्च कर रहे हैं. बाकी एस्ट्रोनॉट्स की अलग-अलग कामों में मदद कर रहे हैं.
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स्पेस स्टेशन में 6 महीने और बिता पाएंगे दोनों?
सुनीता और बुच विलमोर को किसी बात का खतरा नहीं है. ये दोनों आराम से अगले छह महीने तक स्पेस स्टेशन पर बिता सकते हैं. इस समय स्पेस स्टेशन पर सात एस्ट्रोनॉट्स मौजूद हैं. ऐसा पहली बार नहीं हुआ कि एस्ट्रोनॉट्स को अपनी यात्रा बढ़ानी पड़ी है. हालांकि सुनीता की ये पहली अप्रत्याशित लंबा स्टे होगा स्टेशन पर.
क्या स्पेस स्टेशन पर इतने लोग रह पाएंगे?
स्पेस स्टेशन पर इस समय सात एस्ट्रोनॉट्स मौजूद हैं. इसमें सुनीता और विलमोर भी हैं. स्पेस स्टेशन इतना बड़ा है कि यह अभी और एस्ट्रोनॉट्स को संभाल सकता है. सितंबर में जब भारतीय एस्ट्रोनॉट ग्रुप कैप्टन शुक्ला के साथ तीन और लोग जाएंगे. उसे लेकर लोगों में चिंता है. पर डरने की जरूरत नहीं है.
स्पेस स्टेशन में छह बेडरूम से ज्यादा की जगह है. इसमें छह स्लीपिंग क्वार्टर हैं. दो बाथरूम है. एक जिम है. जिस स्पेसक्राफ्ट से एस्ट्रोनॉट्स जाते हैं. वो इससे जुड़े रहते हैं. अधिक यात्री होने पर उसमें भी सोया जा सकता है. हाल ही में कार्गो सप्लाई गई है. ताकि एस्ट्रोनॉट्स को खाने-पीने की कमी न हो. सुनीता के लौटते समय स्पेसक्राफ्ट में स्टेशन का कचरा भी साथ आएगा. इसे वायुमंडल में छोड़ देते है, जो जलकर खत्म हो जाता है.
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पिछले हफ्ते ही नॉर्थरोप ग्रुम्मन का सिग्नस स्पेसक्राफ्ट स्पेस स्टेशन से जुड़ा है. यह अपने साथ 3700 किलोग्राम कार्गो लेकर गया है. जिसमें खाना समेत कई अन्य वस्तुएं भी हैं. इसे अभी तक खोला भी नहीं गया है. यह पैक्ड रखा है. ये जनवरी तक स्पेस स्टेशन पर रहेगा. इसके जरिए वापस नहीं ला सकते.
अंतरिक्ष में इतना लंबा समय बिताना ठीक है क्या?
अंतरिक्ष में 8 से 10 महीने बिताना अच्छी बात नहीं है. लेकिन कई एस्ट्रोनॉट्स इससे ज्यादा समय स्पेस स्टेशन पर बिता चुके हैं. सबसे ज्यादा दिन अंतरिक्ष में बिताने का रिकॉर्ड रूसी कॉस्मोनॉट वलेरी पोल्याकोव के पास है. वो 438 दिन मीर स्पेस स्टेशन पर रहे थे. जनवरी 1994 से मार्च 1995 तक. सुनीता और विलमोर इस बार करीब 250 दिन बिताकर स्पेस स्टेशन से वापस लौटेंगे. विलियम इससे पहले 2006 में 196 दिन बिता चुकी हैं.
इतने दिन स्पेस में रुकने पर क्या होता है असर?
लंबे समय के तक स्पेस स्टेशन पर रुकते ही नासा एस्ट्रोनॉट के शरीर पर पड़ने वाले असर की स्टडी करने लगता है. नासा का एक प्रोग्राम चल रहा है, जिसमें 3.5 महीने रुकने पर शरीर पर क्या असर होता है. आठ महीने रुकने पर और उससे ज्यादा रुकने पर. इस दौरान शरीर की मांसपेशियां कमजोर होती है. हड्डियों का घनत्व कम होता है. ज्यादा समय तक रुकने पर दिल संबंधी बीमारियों का भी खतरा रहता है.