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4 दिसंबर को NASA लॉन्च करेगा लेजर संदेश देने वाला सैटेलाइट, बदलेगा संचार का तरीका

NASA 4 दिसंबर को एक ऐसा सैटेलाइट लॉन्च करने जा रहा है जो संचार के तरीकों को बदल देगा. रेडियो फ्रिक्वेंसी के बजाय यह सैटेलाइट लेजर आधारित डेटा कम्यूनिकेशन पर काम करेगा. 

NASA LCRD मिशन के सैटेलाइट से इस तरह छूटेंगे लेजर संदेश. (फोटोः NASA) NASA LCRD मिशन के सैटेलाइट से इस तरह छूटेंगे लेजर संदेश. (फोटोः NASA)
aajtak.in
  • न्यू मेक्सिको,
  • 17 नवंबर 2021,
  • अपडेटेड 2:58 PM IST
  • अमेरिकी रक्षा मंत्रालय का नया टेस्ट
  • कम्यूनिकेशन हो जाएगा ज्यादा सुरक्षित
  • समय की होगी बचत, कम ऊर्जा लगेगी

बेहद जल्द हमारे बातचीत के माध्यम बदलने वाले हैं. हो सकता है कि आपको ऐसे स्मार्टफोन मिलें जो लेजर आधारित संचार प्रणाली पर काम करते हों. या फिर नेविगेशन में मदद मिले ताकि अंतरिक्ष से आने वाले संदेशों में समय कम लगे. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) 4 दिसंबर को एक ऐसा सैटेलाइट लॉन्च करने जा रहा है जो संचार के तरीकों को बदल देगा. रेडियो फ्रिक्वेंसी के बजाय यह सैटेलाइट लेजर आधारित डेटा कम्यूनिकेशन पर काम करेगा. 

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NASA के इस मिशन का नाम है लेजर कम्यूनिकेशन रिले डिमॉन्स्ट्रेशन (Laser Communication Relay Demonstration - LCRD). इस सैटेलाइट में डेटा को लेजर के जरिए धरती पर भेजा जाएगा. लेजर के जरिए ही रिसीव किया जाएगा.

इससे समय की बचत होगी. क्योंकि रेडियो फ्रिक्वेंसी आधारित संचार में डेटा के खराब होने और देरी से मिलने की संभावना बनी रहती है. जबकि लेजर के साथ ऐसा नहीं होगा. यह तेज गति से संदेश भेजेगा और इसके जरिए भेजे गए डेटा को मौसम, हैकिंग या कोई रेडियो फ्रिक्वेंसी डिस्टर्ब नहीं कर पाएगी. 

रेडियो फ्रिक्वेंसी संदेशों से कई गुना ज्यादा ताकतवर

NASA LCRD तकनीक से संदेश भेजना इसलिए भी फायदेमंद है क्योंकि यह रेडियो फ्रिक्वेंसी से 10 से 100 गुना ज्यादा ताकतवर होगा. 10 से 100 गुना का मतलब ये होता है कि आप लेजर की ताकत के अनुसार संदेश का आदान-प्रदान कर सकते हैं. कम ऊर्जा का उपयोग कर सकते हैं.

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यानी जितना छोटा संदेश उतनी कम तीव्रता का लेजर बीम. इससे अंतरिक्षयान की बैट्री पर जोर कम पड़ेगा. असल में यह तकनीक अमेरिका के रक्षा मंत्रालय के डिफेंस स्पेस टेस्ट प्रोग्राम सैटेलाइट 6 (STPSat-6) में लगाई जा रही है.  

दो तरफ से लेजर का आदान-प्रदान होगा, इसके जरिए होगा डेटा का ट्रांसफर. (प्रतीकात्मक फोटोः गेटी)

NASA LCRD तकनीक की जांच करने के लिए न्यू मेक्सिको स्थित लास क्रूसेस में नया मिशन ऑपरेशन सेंटर बनाया गया है. जैसे ही सैटेलाइट अपनी निर्धारित कक्षा में पहुंचेगा, ऑपरेशन सेंटर से संदेश लेजर के जरिए ट्रांसमिट किया जाएगा. इसके जवाब में सैटेलाइट भी लेजर के जरिए ही संदेश वापस भेजेगा.

वैज्ञानिक इस दौरान लेजर के आने-जाने के समय और संदेशों की सुरक्षा का अध्ययन करेंगे. इसके अलावा सैटेलाइट के स्वास्थ्य, ट्रैकिंग, टेलिमेट्री, कमांड डेटा और सैंपल यूजर डेटा की सेहत पर भी नजर रखी जाएगी. 

एक रोशनी की किरण के अंदर आएंगे-जाएंगे मैसेज

लेजर कम्यूनिकेशन रिले डिमॉन्स्ट्रेशन (Laser Communication Relay Demonstration - LCRD) ऐसी तकनीक है जिसके जरिए संदेशों के बहाव के लिए रोशनी के जरिए एक सीधा रास्ता बनाया जाता है. इस रास्ते से जाने वाले संदेश कहीं भी डिस्टर्ब नहीं होते. न ही ये किसी तरह से बिगड़ते हैं न देर होती है. यह दो तरफा रास्ता है जिससे संदेशों का आदान-प्रदान होता है. यह एंड-टू-एंड ऑप्टिकल रिले होगा, जिसे तोड़ पाना बेहद मुश्किल होगा. 

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LIVE: Hear about our Laser Communications Relay Demonstration (LCRD) satellite, slated to launch Dec. 4 to test @NASA_Technology that could give future space missions a faster way of “talking” with Earth: https://t.co/z1RgZwQkWS

Have questions? Use #AskNASA. pic.twitter.com/fB3tquYh0I

— NASA (@NASA) November 16, 2021

इस सैटेलाइट के लॉन्च में नासा सिर्फ परीक्षण कर रहा है. हो सकता है कि इस परीक्षण में मौसम का प्रभाव पड़े. इसलिए हवाई और कैलिफोर्निया के दो पहाड़ों पर दो ग्राउंड स्टेशन बनाए गए हैं. ये इसलिए हैं ताकि बादलों से अगर लेजर रिले प्रभावित हो तो उसे सही किया जा सके. अगर यह परीक्षण सफल होता है तो भविष्य में नेविगेशन, दुश्मन की निगरानी और हमला समेत कई तरह की संचार प्रणालियां पूरी तरह से बदल जाएंगी. 

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