
अगर सौर तूफान कभी धरती से टकराता है, तो उससे खुद को बचाने के लिए हमारे ग्रह के लोगों के पास महज 30 मिनट का वक्त होगा. ये बात अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के रिसर्चर ने कही है. अंतरिक्ष एजेंसी की एक टीम प्रारंभिक चेतावनी सिस्टम विकसित करने के लिए AI मॉडल को सौर डाटा पर लागू कर रही है. इससे वैज्ञानिक ये जानने की कोशिश करेंगे कि सौर तूफान धरती पर कब आ सकता है.
डेली स्टार की रिपोर्ट के अनुसार, वैज्ञानिकों ने DAGGER नाम के डीप लर्निंग मोड का प्रशिक्षण करना भी शुरू कर दिया है, ताकि इस पर अधिक जानकारी मिल सके. ACE, WING, IMP-8 और Geotail समेत कई सैटेलाइट सौर उत्सर्जन पर नजर बनाए हुए हैं और नासा की टीम को डाटा भेज रही हैं. सैटेलाइट ने अतीत में सौर तूफान से प्रभावित जिन सतह-आधारित स्टेशंस का पता लगाया था, वैज्ञानिक उनका डाटा भी एकत्रित कर रहे हैं. ताकि सौर तूफान का न केवल पता चले बल्कि उसकी दिशा भी मालूम हो.
इस वक्त क्यों जरूरी है पता लगाना?
नए सिस्टम से इस वक्त डाटा एकत्रित करना इसलिए भी काफी जरूरी है क्योंकि साल 2020 में ‘सोलर 25’ नामक एक नई सोलर साइकिल शुरू हुई है. ऐसा माना जा रहा है कि यह आगामी 11 साल तक चलने वाली है. इसकी वजह से 2025 के दौरान सूरज पर सबसे अधिक गतिविधियां देखने को मिलती रहेंगी. आपको बता दें, सूर्य की सतह पर वक्त वक्त पर बदलने वाली मैग्नेटिक गतिविधियों को ही सोलर साइकिल के नाम से जाना जाता है. हर एक सोलर साइकिल 9 से 14 साल तक की होती है.
इससे यूटिलिटी और कम्युनिकेशन कंपनियों को DAGGER को अपने वॉर्निंद सिस्टम में इंटिग्रेट करने का समय मिल जाएगा. ताकि सूर्य पर बदलते मौसम की जानकारी वक्त पर मिल सके.
क्या होता है सौर तूफान?
इसे जियोमैग्नेटिक स्टॉर्म भी कहा जाता है. ये सूर्य से निकलने वाला रेडिएशन होता है, जो पूरे सौर मंडल को प्रभावित कर सकता है. इसके प्रभाव से धरती का चुंबकीय क्षेत्र तक नहीं बचता. इसी वजह से इसे आपदा कहते हैं. ये पृथ्वी के आसपास के वातावरण की ऊर्जा पर भी अपना असर डालता है. हालांकि सौर तूफान पहले भी आ चुका है. ये 1989 में कनाडा के क्यूबेक शहर में आया था. इसकी वजह से यहां 12 घंटे तक बिजली नहीं आई.
इससे पहले 1859 में भी सौर तूफान आया था. तब अमेरिका और यूरोप में टेलीग्राफ नेटवर्क तबाह हो गया था. सौर तूफान ऊर्जा का वो शक्तिशाली विस्फोट होता है, जिससे रेडियो संचार, बिजली ग्रिड और नेविगेशन सिग्नल्स पर बुरा प्रभाव पड़ता है. इससे अंतरिक्ष में मौजूद अंतरिक्षयात्रियों और अंतरिक्ष यान को भी खतरा उत्पन्न हो सकता है.
दुनिया के अंत को लेकर भी होती रहती है चर्चा
इस सबके बीच दुनिया के अंत को लेकर भी आए दिन चर्चा होती रहती है. कोई कहता है कि एक दिन एलियंस (Aliens Attack) धरती पर हमला कर देंगे, और दुनिया खत्म हो जाएगी. तो कोई कहता है कि सुनामी (Tsunami) आने से ऐसा होगा. इसे लेकर तमाम फिल्में भी बन चुकी हैं. साइंटिस्ट डूम्सडे क्लॉक (Doomsday Clock) के जरिए भी वक्त-वक्त पर चेतावनी देते हैं कि दुनिया विनाश के बेहद करीब है.