
पाकिस्तान पर मिसाइल गिरने के विवाद के बीच भारतीय वायुसेना के लिए एक शानदार खबर आई है. भारतीय वायुसेना के लिए ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल (BrahMos Cruise Missile) का अपग्रेडेड एयर लॉन्च वर्जन तैयार किया जा रहा है. इसकी रेंज 800 किलोमीटर होगी. यानी हमारे फाइटर जेट हवा में रहते हुए दुश्मन के ठिकानों को इतनी दूर से ही ध्वस्त कर सकते हैं.
उच्च पदस्थ सरकारी अधिकारियों ने India Today को बताया कि पाकिस्तान में गिरी ब्रह्मोस मिसाइल तकनीक गलती थी. जिस समय यह हादसा हुआ उस समय कमांड एयर स्टाफ इंस्पेक्शन चल रहा था. मिसाइल पाकिस्तान की जमीन पर गिरी, जिससे बेहद कम नुकसान हुआ है. किसी की जान नहीं गई है. इस हादसे के बाद भारतीय सरकार ने पाकिस्तानी सरकार को घटना पर खेद जताते हुए जिम्मेदारी ली है.
एक साफ्टवेयर अपडेट करते ही बढ़ जाती है रेंज
भारत सरकार ने यह भी कहा है कि वो इस मामले की जांच करा रहे हैं. भारत लगातार टैक्टिकल मिसाइलों की रेंज को बढ़ा रही है. सिर्फ एक सॉफ्टवेयर को अपग्रेड करने से ही मिसाइल की रेंज में 500 किलोमीटर की बढ़ोतरी होती है. भारतीय वायुसेना के 40 सुखोई-30 MKI फाइटर जेट पर ब्रह्मोस क्रूज मिसाइलें तैनात की हैं. यह मिसाइलें बेहद सटीक और ताकतवर हैं. ये दुश्मन के कैंप को पूरी तरह से तबाह कर सकती हैं.
तीन महीने पहले हुआ था सफल परीक्षण
पिछले साल 8 दिसंबर 2021 वायुसेना के लड़ाकू विमान सुखोई-30 एमके-1 में ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के एयर वर्जन का सफल परीक्षण किया गया. मिसाइल ने तय मानकों को पूरा करते हुए दुश्मन के ठिकाने को ध्वस्त कर दिया. सुखोई-30 एमके-1 (Sukhoi-30 MK-1) फाइटर जेट में लगाए गए ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल (BrahMos Supersonic Cruise Missile) को पूरी तरह से देश में ही विकसित किया गया है. इसमें रैमजेट इंजन (Ramjet Engine) तकनीक का उपयोग किया गया है. ताकि इसकी गति और सटीकता और ज्यादा घातक हो जाए. इससे पहले ब्रह्मोस मिसाइल के एयर वर्जन का सफल परीक्षण जुलाई 2021 में किया गया था.
अन्य फाइटर जेट्स में भी लगेंगी ये मिसाइलें
भारतीय वायुसेना के सुखोई-30MKI फाइटर जेट्स में भी ब्रह्मोस मिसाइलें तैनात हैं. इसकी रेंज 500 किलोमीटर है. भविष्य में ब्रह्मोस मिसाइलों को मिकोयान मिग-29के, हल्के लड़ाकू विमान तेजस और राफेल में भी तैनात करने की योजना है. इसके अलावा पनडुब्बियों में लगाने के लिए ब्रह्मोस के नए वैरिएंट का निर्माण जारी है. अगले साल तक इन फाइटर जेट्स में ब्रह्मोस मिसाइलों को तैनात करने की तैयारी पूरी होने की संभावना है.
पिछले साल से अब तक 4 से 5 बार ब्रह्मोस का परीक्षण हो चुका है
ब्रह्मोस मिसाइलों के एंटी-शिप वर्जन का पिछले साल दिसंबर में सफल परीक्षण हो चुका है. इसके अलावा ब्रह्मोस मिसाइलों के अलग-अलग वर्जन का परीक्षण समय-समय पर किया जा रहा है. यह एक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है. यानी ऐसी मिसाइल जो कम ऊंचाई पर तेजी से उड़े ताकि दुश्मन के राडार को धोखा दिया जा सके. यह भारत की इकलौती ऐसी मिसाइल है, जिसे हवा, पानी, जमीन कहीं से भी दुश्मन पर दागा जा सकता है.
दुश्मन की नजर में नहीं आती ब्रह्मोस मिसाइल
ब्रह्मोस मिसाइल हवा में ही मार्ग बदलने में सक्षम है. चलते-फिरते टारगेट को भी ध्वस्त कर सकता है. यह 10 मीटर की ऊंचाई पर उड़ान भरने में सक्षम हैं, यानी दुश्मन के राडार को धोखा देना इसे बखूबी आता है. सिर्फ राडार ही नहीं यह किसी भी अन्य मिसाइल पहचान प्रणाली को धोखा देने में सक्षम है. इसको मार गिराना लगभगल अंसभव है.
टोमाहॉक मिसाइल से दोगुनी है इसकी गति
ब्रह्मोस मिसाइल अमेरिका के टॉमहॉक मिसाइल की तुलना में दोगुनी अधिक तेजी से वार करती है. इसकी प्रहार क्षमता टॉमहॉक मिसाइल से कई गुना ज्यादा है. यह मिसाइल 1200 यूनिट की ऊर्जा पैदा करती है, जो किसी भी बड़े टारगेट को मिट्टी में मिला सकता है.