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New Continent in World: 18 साल में 56 KM लंबी दरार... बंट रहा है धरती का ये टुकड़ा, बन रहा नया महाद्वीप

हम सबकी आंखों के सामने जमीन का एक बड़ा टुकड़ा टूट रहा है. अलग हो रहा है. दुनिया का नया महाद्वीप बन रहा है. 18 वर्षों में जमीन के इस हिस्से में 56 किलोमीटर लंबी दरार आ चुकी है. यह लगातार बढ़ रही है. लंबाई में और चौड़ाई में. यह प्राकृतिक घटना तीन टेक्टोनिक प्लेटों के अलग-अलग दिशा में जाने से हो रही है.

अफ्रीका का पूर्वी हिस्सा मुख्य जमीन से अलग हो रहा है. नया छोटा महाद्वीप बनने की है तैयारी. अफ्रीका का पूर्वी हिस्सा मुख्य जमीन से अलग हो रहा है. नया छोटा महाद्वीप बनने की है तैयारी.
आजतक साइंस डेस्क
  • नई दिल्ली,
  • 12 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 12:24 PM IST

18 साल में 56 किलोमीटर लंबी दरार. मतलब हर साल एक जमीन का टुकड़ा सवा तीन किलोमीटर टूट रहा है. जमीन का यह टुकड़ा दुनिया के सबसे बड़े महाद्वीपों में से अलग होने वाला है. नया महाद्वीप बनने वाला है. ये कहानी है इथियोपिया (Ethiopia) की. जो अफ्रीका से अब अलग होता जा रहा है. इस दरार में नया सागर बनने वाला है. 

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यह दरार हर साल लगातार लंबाई और चौड़ाई में बढ़ती जा रही है. इसकी वजह तीन टेक्टोनिक प्लेटों में विपरीत दिशा में हो रहा खिंचाव है. यानी तीनों प्लेट्स एकदूसरे से अलग दिशा में जा रही हैं. वैज्ञानिक के अनुसार इस समंदर को बनने में 50 लाख से 1 करोड़ साल लग सकते हैं. लेकिन जरूरी नहीं है, जलवायु परिवर्तन की वजह से ये जल्दी भी हो सकता है.

जहां दरार पड़ रही है, वह नूबियन (Nubian), सोमाली (Somali) और अरेबियन (Arabian) टेक्टोनिक प्लेट्स के बीच मौजूद है. इसे अफार रीजन (Afar Region) बुलाते हैं. अभी तक यह तय नहीं हो पाया है कि अफ्रीका का यह हिस्सा अलग क्यों हो रहा है. कुछ लोगों का मानना है कि पूर्वी अफ्रीका के नीचे मेंटल गर्म पत्थरों से ऊपर आ रहा है. 

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वैज्ञानिकों की स्टडी का हॉटस्पॉट बनी ये दरार

अफार रीजन में मची हलचल इस समय वैज्ञानिकों के लिए प्रयोगशाला बनी हुई है. दुनियाभर के साइंटिस्ट यहां आकर टेक्टोनिक प्लेटों के अलगाव की स्टडी कर रहे हैं. भूगोल और भूगर्भ वैज्ञानिक जमीन के फटने की प्रक्रिया पर रिसर्च कर रहे हैं. टेक्टोनिक प्लेटों के अलग होने से समंदर के बीच से रिज सिस्टम बनता है. यानी नई घाटी बन रही है. 

अलग-अलग गति में दूर जा रहीं टेक्टोनिक प्लेट्स

समंदर के बीच नई घाटी बनने से वहां पर समंदर का पानी चला जाएगा. जमीन के दो टुकड़े अलग-अलग दिशा में एकदूसरे से दूर हो जाएंगे. तीनों टेक्टोनिक प्लेट अलग-अलग गति में एकदूसरे से दूर जा रहे हैं. अरेबियन प्लेट बाकी दोनों प्लेटों से हर साल एक इंच दूर हो रहा है. नूबियन और सोमाली प्लेट्स एकदूसरे आधा और 0.2 इंच प्रति वर्ष की गति से दूर हो रहे हैं. 

अचानक अलग होने पर होगा भारी नुकसान

अफ्रीका के हिस्से अलग होंगे लेकिन इस प्राकृतिक प्रक्रिया से जानमाल का बहुत नुकसान होगा. असल में अफ्रीकन प्लेट टूट रही है. यानी अफ्रीका की जमीन दो अलग-अलग हिस्सों में बंट जाएगी. अफ्रीका के नक्शे में आप देख सकते हैं कि अफ्रीका कहां से टूट रहा है. ये जगह है ईस्ट अफ्रीकन रिफ्ट. यह 56 किलोमीटर लंबी दरार है. 

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छोटे महाद्वीप पर होंगे ये देश शामिल

इस दरार से युगांडा और जांबिया जैसे देशों को अपने तट मिल जाएंगे. जो पहले इनके पास नहीं थे. इससे अफ्रीका के बीच में एक नया सागर बनेगा. नए तट बनेंगे. आर्थिक नुकसान होगा. एक छोटा महाद्वीप बनेगा, जिसमें केन्या, इथियोपिया, सोमालिया और तंजानिया के हिस्से शामिल होंगे. दरार जब चौड़ी होगी तब वहां नया सागर बन जाएगा. 

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