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मालदीव सागर के हजारों फीट नीचे मिली अनोखी दुनिया, भूखी Shark से भरी है ये जगह

नेक्टन मालदीव मिशन (The Nekton Maldives Mission) के अंतर्गत, हिंद महासागर (Indian Ocean) में हजारों फीट की गहराई में एक अनोखे ईकोसिस्टम की खोज की गई है. यह जगह समुद्री ज्वालामुखी के पास है, फिर भी जीवन से भरपूर है. यहां छोटे जीवों को भूखी शार्क मछलियों से जान बचाते देखा जा सकता है.

समुद्र की सतह से हजारों फीट नीचे छिपी है ये दुनिया (Photo: Nekton Maldives Mission/Facebook) समुद्र की सतह से हजारों फीट नीचे छिपी है ये दुनिया (Photo: Nekton Maldives Mission/Facebook)
aajtak.in
  • माले,
  • 26 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 11:10 AM IST

हिंद महासागर (Indian Ocean) में, गोताखोरों ने सतह से 1,640 फीट गहरे समुद्र में एक बेहद अनोखा ईकोसिस्टम (Ecosysytem) खोजा है. इसकी खास बात यह है कि ये जगह बेहद खतरनाक और भूखी शार्क मछलियों से भरी है.

वैज्ञानिकों ने इस इलाके को 'ट्रैपिंग ज़ोन' नाम दिया है. यह मालदीव के गहरे समुद्री ज्वालामुखी साथो राहा (Satho Rahaa) के पास है. साथो राहा एक प्राचीन विलुप्त ज्वालामुखी है जो बनने के दौरान ही अचानक समुद्र तल से 4921 फीट ऊपर उठ गया था. इस जगह को महासागर के रेगिस्तान की जीवन देने वाली जगह या Oasis of life कह सकते हैं, जहां मछलियों और शार्क के झुंड छोटे-छोटे समुद्री जीवों पर आक्रामक दिखाई देते हैं. 

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ज्वालामुखी साथो राहा के पास मिली ये अनोखी दुनिया (Photo: Nekton Maldives Mission/Facebook)

इन छोटे जीवों को माइक्रोनेक्टन (Micronekton) कहा जाता है. इन्हें 0.8 से 7.8 इंच लंबे, क्रिल से लेकर मछली जैसे बड़े जीवों के रूप में वर्गीकृत किया जाता है. माइक्रोनेक्टन समुद्र में स्वतंत्र रूप से तैरते हैं. भोर में ये समुद्र की गहराई में होते हैं, जबकि प्लवक (Plankton) का शिकार करने के लिए ये रात में समुद्र की सतह पर तैरते हैं.

लेकिन ट्रैपिंग ज़ोन में, समुद्र की सतह के नीचे सीधी खड़ी चट्टानें, जीवाश्म चट्टानें और ज्वालामुखी चट्टानें माइक्रोनेक्टन को 1,640 फीट से ज्यादा गहराई में जाने से रोकती हैं. यह जगह माइक्रोनेक्टन के लिए बहुत चुनौतियों भरी होती है, क्योंकि उन्हें अपने पीछे लगीं भूखी शार्क से अपनी जान बचानी होती है. 

छोटे जीवों को माइक्रोनेक्टन कहा जाता है (Photo: Nekton Maldives Mission/Facebook)

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी (Oxford University) के मरीन ईकोलॉजिस्ट एलेक्स रोजर्स (Alex Rogers) का कहना है कि ट्रैपिंग ज़ोन में एक अलग तरह के ईकोसिस्टम के सभी लक्षण मौजूद हैं. यह मालदीव में जीवन की एक नई जगह बना रहा है. इस बात की बहुत संभावना है कि इस तरह की जगह, अन्य समुद्री द्वीपों और महाद्वीपों की ढलानों पर भी मौजूद हों.

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नेक्टन मालदीव मिशन (The Nekton Maldives Mission) के हिस्से के तौर पर इस नए ईकोसिस्टम की खोज की गई थी. यह मिशन मालदीव के 20 प्राकृतिक एटोल के पास समुद्र की सतह से करीब 3,300 फीट नीचे सबमरीन्स भेज रहा है, ताकि इन अनदेखे इलाकों का सर्वे किया जाए और उन्हें डॉक्यूमेंट किया जा सके.

नए ईकोसिस्टम को नेक्टन मालदीव मिशन के अंतर्गत खोजा गया (Photo: Nekton Maldives Mission/Facebook)

यहां पाए जाने वाली मछलियों में माइक्रोनेक्टन के अलावा एक-दूसरे का शिकार करने वाली शिकारी ट्यूना मछली, गहरे पानी की बड़ी मछलियां जैसे स्पाइकी ओरियो, अल्फोन्सिनो और शार्क शामिल हैं. जब ओमेगा सीमास्टर II सबमरीन की रोशनी को मछलियों के झुंड पर मारा गया, तो गोताखोरों ने टाइगर शार्क, सिक्सगिल शार्क, सैंड टाइगर शार्क, डॉग फिश, गल्पर शार्क, स्कैलप्ड हैमरहेड शार्क, सिल्की शार्क और शायद ही कभी देखी गई ब्रम्बल शार्क को देखा था. वैज्ञानिकों ने समुद्री जीवों के फुटेज को कैप्चर किया, उनके जैविक नमूने इकट्ठा किए और सोनार से इस इलाके के पानी के नीचे की टोमोग्राफी को स्कैन किया.

 

वैज्ञानिकों का मानना ​​​​है कि इस नए इलाके का विस्तार से अध्ययन करके, वे ये जान सकते कि इसने अपने अजीबोगरीब ईकोसिस्टम को कैसे विकसित किया. साथ ही, यह भी पता लगाया जा सकता है कि माइक्रोनेक्टन को बेहतर तरीके से कैसे संरक्षित किया जाए, क्योंकि इनके भोजन- प्लैंक्टन को जलवायु परिवर्तन से खतरा है. 

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मालदीव के लिए माइक्रोनेक्टन बहुत महत्वपूर्ण हैं. यहां फिशिंग पर्यटन के स दूसरा सबसे बड़ा उद्योग है. अमेरिकी जियोलॉजिकल सर्वे के मुताबिक, अगर ग्लोबल वार्मिंग इसी तरह जारी रहती है, तो 2050 तक करीब 80% मालदीव निर्जन हो जाएगा.

 

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