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ऐसी नीली मकड़ी आपने कभी नहीं देखी होगी, जहरीली टैरेंटुला की नई प्रजाति मिली

थाईलैंड के जंगलों में नीले रंग की मकड़ी मिली है. यह टैरेंटुला मकड़ियों की नई प्रजाति है. ये मकड़ियां बेहद जहरीली होती हैं. पहली बार थाईलैंड के मैन्ग्रूव्स में कोई टैरेंटुला मकड़ी मिली है. इस मकड़ी के मिलने की वजह से थाईलैंड में मैन्ग्रूव्स को बचाने की नई मुहिम छिड़ गई है. ये है इलेक्ट्रिक ब्लू टैरेंटुला.

ये है थाईलैंड में मिली इलेक्ट्रिक ब्लू टैरेंटुला मकड़ी. (फोटोः गेटी) ये है थाईलैंड में मिली इलेक्ट्रिक ब्लू टैरेंटुला मकड़ी. (फोटोः गेटी)
आजतक साइंस डेस्क
  • बैंकॉक,
  • 27 सितंबर 2023,
  • अपडेटेड 10:45 AM IST

ये है चिलोब्रैचीस नैटेनिचेरम (Chilobrachys natanicharum). दुनिया में पहली बार मिली नीले रंग की टैरेंटुला मकड़ी. इसे थाईलैंड के मैन्ग्रूव जंगलों में खोजा गया है. इसे आमलोग थाईलैंड में इलेक्ट्रिक ब्लू टैरेंटुला (Electric Blue Tarantula) कहते हैं. इससे पहले इस प्रजाति की टैरेंटुला को देखा नहीं गया था. 

थाईलैंड में पिछले साल पहली टैरेंटुला मकड़ी मिली थी. वह बांस के जंगलो में मिली थी. इसके बाद मकड़ियों के एक्सपर्ट नरिन चोंफूफुआंग और उनकी टीम और मकड़ियों की तलाश में निकल गए. सालभर की खोज के बाद उन्हें थाईलैंड के मैन्ग्रूव जंगलों में नीले टैरेंटुला की ये नई प्रजाति मिली. जो एकदम हैरान कर देती है. 

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ये मकड़ियां खोखले पेड़ों या पेड़ों पर बने खोखले गड्ढों या बिलों में रहती हैं. इन्हें आसानी से देखा नहीं जा सकता. खासतौर से ह्यूमिड और फिसलने वाली जगहों पर रहती हैं. सबसे ज्यादा हैरान करता है इसका रंग. क्योंकि नीला रंग दुर्लभ होता है. नीले रंग के फूल भी कम दिखते हैं. पक्षियों, मछलियों और कीड़ों में नीला रंग दिखता है. 

मकड़ी पहली बार नीले रंग की दिखाई दी है. कुछ टैरेंटुला मकड़ियों में हल्का नीला रंग दिखता है लेकिन इस मकड़ी की तरह पूरा नीला नहीं. असल में इस मकड़ी के शरीर पर नैनोस्कोपिक ढांचे होते हैं, जिन पर रोशनी पड़ते ही वो नीले या वायलेट रंग के दिखने लगते हैं. लेकिन ये अब तक पता नहीं चल पाया है कि ये नीला रंग आता कहां है. 

नीले रंग के आने की केमिस्ट्री या बायोलॉजी पता नहीं चल रही है. लेकिन एक बात हैरान करती है. जब नर मकड़ी को मादा के साथ संबंध बनाना होता है, तब ये अपने नीले पैर उठाकर इशारे करता है. साथ ही दुश्मन मकड़ी के साथ भी इसी हरकत से उसकी सक्रियता का पता चलता है. यानी यह रंगों के जरिए एक दूसरे से बातचीत करते हैं. 

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