
न्यूजीलैंड (New Zealand) की सबसे बड़ी झील का नाम है लेक ताउपो (Lake Taupo). इसके नीचे दुनिया का सबसे भयानक विस्फोट करने वाला ज्वालामुखी है. जो पिछले कई महीनों से लगातार कांप रहा है. गुर्रा रहा है. और यह गुर्राहट खत्म नहीं हो रही है. खतरे की आशंका को लेकर इस खूबसूरत देश के वैज्ञानिकों अलर्ट का स्तर बढ़ा दिया है. यह ज्वालामुखी 1800 साल पहले फटा था, जो धरती के पांच हजार साल के इतिहास का सबसे बड़ा विस्फोट था.
जियोलॉजिकल एजेंसी GeoNet ने एक बयान जारी करके कहा है कि लेक ताउपो के नीचे पिछले कुछ दिनों में 700 छोटे भूकंप महसूस किए गए हैं. यह झील एक ज्वालामुखी के काल्डेरा पर मौजूद है. ज्वालामुखी को लेकर छह अलर्ट लेवल होते हैं. पहला 0 यानी शांत है. आखिरी 6 यानी खतरनाक विस्फोट. हमने फिलहाल इसे 2 का लेवल दिया है. क्योंकि ज्वालामुखी किसी भी लेवल पर फट सकता है. अलर्ट लेवल किसी भी समय बदल सकता है.
इससे पहले लेक ताउपो के नीचे मौजूद ज्वालामुखी ओरुआनुई ज्वालामुखी (Oruanui Supervolcano) 200 ईसापूर्व के आसपास फटा था. इसकी वजह से न्यूजीलैंड के मध्य और उत्तरी द्वीप पर भयानक बर्बादी हुई थी. कई सालों तक इंसानी बस्तियों पर आसमान से राख गिरती रही थी. क्योंकि इसने 100 क्यूबिक किलोमीटर राख वायुमंडल में फेंका था. जो धीरे-धीरे जमीन पर गिरती रही. जियोनेट ने बताया यह पहली बार हुआ है कि जब हम इस ज्वालामुखी का अलर्ट लेवल बढ़ा रहे हैं. क्योंकि यह कई महीनों से खतरनाक स्थिति में कांप रहा है. गुर्रा रहा है. यानी इसके नीचे कुछ हो रहा है.
GeoNet के मुताबिक अगले कुछ हफ्तों या महीनों तक यह इसी स्थिति में रह सकता है. या फिर फट भी सकता है. क्योंकि न्यूजीलैंड प्रशांत और ऑस्ट्रेलियन टेक्टोनिक प्लेट की सीमा पर टिका है. यहां पर अक्सर ज्वालामुखी विस्फोट और भूकंप आने का खतरा बना रहता है. अभी तीन महीने पहले ही वैज्ञानिकों ने पता किया था कि इस झील के आसपास की जमीन 6 इंच ऊपर उठ गई है. यह झील एक प्रागैतिहासिक काल्डेरा (Prehistoric Caldera) पर बनी है.
काल्डेरा का मतलब होता है उबलता हुआ बर्तन. यह तब बना था जब 25,400 साल पहले ओरुआनुई ज्वालामुखी फटा था. यह एक महाविस्फोट था. लोग इसे ताउपो ज्वालामुखी भी बुलाते हैं. सदियों पहले हुए विस्फोट से फैले गर्म मैग्मा से धरती के अंदर गहरी सुरंगें बन गई थीं. धीरे-धीरे ये सुंरगें आपस मिलकर धंस गई. एक बड़ी झील के लिए काल्डेरा यानी गड्ढा बन गया.
ताउपो ज्वालामुखी 12 हजार सालों में 25 बार एक्टिव हुआ है. हाल फिलहाल इसमें जो विस्फोट हुआ था वह भी 1800 साल पहले हुआ था. इसके बाद से अब तक इस ज्वालामुखी में चार बार विस्फोट हुआ. लेकिन सबसे खतरनाक 1922 का विस्फोट था. वैज्ञानिकों ने ताउपो ज्वालामुखी के गुर्राहट की 42 साल का इतिहास खंगाला है. ये डेटा ताउपो झील में मौजूद 22 स्थानों से कलेक्ट किया गया है. विक्टोरिया यूनिवर्सिटी के भूकंप विज्ञानी 1979 से इसका डेटा कलेक्ट कर रहे हैं. चार बार झील की सतह का सर्वे किया जा चुका है.
1986 के बाद से लगातार यहां पर भूकंप आ रहे हैं. इसके बाद यहां पर और अधिक सेंसर्स लगाए गए. ताउपो ज्वालामुखी के आसपास उत्तर-पूर्वी इलाके की सतह ऊपर उठ रही थी. फॉल्ट के पास मौजूद झील का केंद्र अंदर धंस रहा है. जबकि झील के दक्षिणी किनारे पर मिट्टी खिसक रही है. झील के अंदर मौजूद होरोमतांगी रीफ अपनी असली सतह से 6.3 इंच ऊपर उठ चुका है. जबकि अन्य हिस्सों में 5.5 इंच मिट्टी खिसकी है.