
अब देश के तटों की सुरक्षा के लिए ब्रह्मोस मिसाइलें तैनात की जाएंगी. इसके लिए रक्षा मंत्रालय ने ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड के साथ 1700 करोड़ रुपये का समझौता किया है. समझौते के तहत तटों के पास नेक्स्ट जेनरेशन मैरीटाइम मोबाइल कोस्टल बैटरी (लॉन्ग रेंज) (NGMMCB-LR) और ब्रह्मोस मिसाइलों को तैनात किया जाएगा.
ब्रह्मोस एयरोस्पेस इनकी डिलीवरी 2027 से शुरू कर देगी. ये बैटरी दुनिया की सबसे तेज और घातक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों से लैस होंगी. इससे इंडियन नेवी को बहु-दिशात्मक समुद्री हमले में मदद मिलेगी. यानी नौसेना एक साथ जल, जमीन और हवा तीनों दिशाओं में हमला कर सकती है. इससे नौसेना की ताकत में बढ़ोतरी होगी.
मुद्दा ये है कि जिन ब्रह्मोस मिसाइलों को तटों पर तैनात किया जाएगा, वो कैसी होंगी? उनका वैरिएंट कौन सा होगा? कितनी रेंज और स्पीड होगी?
सतह-से-सतह पर मार करने वाली ब्रह्मोस होगी तैनात
तटों पर सतह-से-सतह पर मार (Surface-to-Surface) करने वाली ब्रह्मोस मिसाइलों को तैनात किया जाएगा. इसके दो वैरिएंट्स हैं. पहला ब्रह्मोस ब्लॉक-1 और दूसरा ब्रह्मोस-एनजी. यानी जमीन पर खड़े ट्रांसपोर्टर इरेक्टर लॉन्चर (TEL) से दागी जाएंगी. यह एक तरह का ट्रक होता है, जिसमें साइलो बने होते हैं. इनके अंदर से ब्रह्मोस मिसाइलें निकलती है. इन्हें कहीं भी ले जाया जा सकता है. मिसाइल की दिशा तय की जा सकती है.
जानिए इस ब्रह्मोस मिसाइल की ताकत और स्पीड
सतह से सतह पर मार करने वाली ब्रह्मोस ब्लॉक-1 मिसाइल का वजन तीन हजार किलोग्राम होता है. जबकि, ब्रह्मोस-एनजी का वजन 1200 से 1500 किलोग्राम होता है. ब्लॉक-1 ब्रह्मोस 28 फीट लंबी और ब्रह्मोस-एनजी 20 फीट लंबी होती है. ब्लॉक-1 का व्यास 2 फीट है, जबकि एनजी का 1.6 फीट है. एनजी मतलब नेक्स्ट जेनरेशन. यह ब्लॉक-1 से आकार में छोटी है. लेकिन उतनी ही घातक और तेज.
दोनों ही वैरिएंट्स में 200 से 300 किलोग्राम वॉरहेड लगा सकते हैं. ये पारंपरिक भी हो सकता है या फिर परमाणु हथियार भी हो सकता है. सतह से सतह पर मार करने वाले वैरिएंट्स की रेंज 800 किलोमीटर है. यह मिसाइल अधिकतम 49 हजार फीट है. यानी 15 किलोमीटर. इन मिसाइलों की गति ही इन्हें सबसे घातक बनाती हैं. ये मिसाइल मैक 3.5 से ज्यादा की गति में उड़ती हैं. यानी 4330 किलोमीटर प्रतिघंटा के आसपास.
दुश्मन की नजर में नहीं आती ये मिसाइल
सी-स्क्रीमिंग तकनीक यानी समुद्र की सतह से नजदीक उड़ान भरने की वजह से इसे दुश्मन रडार देख नहीं पाता. इसलिए इसके आने की खबर दुश्मन को तब पता चलती है, जब उसे मौत सामने दिख रही होती है. ये मिसाइल हवा में ही रास्ता बदल सकती है. चलते-फिरते टारगेट को भी बर्बाद कर देता है. यह किसी भी मिसाइल पहचान प्रणाली को धोखा दे सकती है. इसको मार गिराना लगभग अंसभव है. ब्रह्मोस 1200 यूनिट की ऊर्जा पैदा करती है, जो किसी भी बड़े टारगेट को मिट्टी में मिला सकता है.
जमीन, जल, हवा कहीं से भी दागने का फायदा
ब्रह्मोस मिसाइल के चार वैरिएंट्स मौजूद हैं. शिप लॉन्च्ड, लैंड लॉन्च्ड, सबमरीन लॉन्च्ड, फाइटर जेट लॉन्च्ड. पहले ब्लॉक के चार वैरिएंट्स हैं. ब्लॉक-2 का लैंड अटैक वैरिएंट ऑपरेशनल है. ब्लॉक-3 की तैयारी चल रही है. एंटी-एयरक्राफ्ट वैरिएंट भी तैयार है. इसके अलावा दो एयर-लॉन्च्ड वर्जन हैं. दोनों ऑपरेशनल हैं.
सिर्फ नौसेना के पास ही इसके चार वैरिएंट्स मौजूद हैं. पहला- युद्धपोत से दागा जाने वाला एंटी-शिप वैरिएंट, दूसरा युद्धपोत से दागा जाने वाला लैंड-अटैक वैरिएंट. ये दोनों ऑपरेशनल हैं. तीसरा- पनडुब्बी से दागा जाने वाला एंटी-शिप वैरिएंट. सफल परीक्षण हो चुका है. चौथा- पनडुब्बी से दागा जाने वाला लैंड-अटैक वैरिएंट.
इसमें दो स्टेज का प्रोप्लशन सिस्टम लगा है. पहला सॉलिड और दूसरा लिक्विड. दूसरा स्टेज रैमजेट इंजन (Ramjet Engine) है. जो इसे सुपरसोनिक गति प्रदान करता है. साथ ही ईंधन की खपत कम करता है. सिर्फ एक सॉफ्टवेयर अपग्रेड करने से मिसाइल की रेंज में 500KM की बढ़ोतरी होती है.