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बद्रीनाथ मंदिर में नहीं है कोई दरार, मंदिर समिति ने दिलाया भरोसा

बद्रीनाथ धाम के सिंह द्वार पर दरारें नहीं हैं. श्री बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति ने कहा कि यहां कोई नई दरार नहीं देखी गई है. न ही इस इलाके में कहीं भू-धंसाव हो रहा है. जो हल्की दरारें थीं, उनकी मरम्मत चल रही है. वर्तमान में कोई नई दरार नहीं है.

BKTC ने कहा है कि बद्रीनाथ मंदिर के सिंह द्वार में किसी तरह की दरार नहीं है. (फोटोः PTI) BKTC ने कहा है कि बद्रीनाथ मंदिर के सिंह द्वार में किसी तरह की दरार नहीं है. (फोटोः PTI)
aajtak.in
  • बद्रीनाथ धाम,
  • 14 सितंबर 2023,
  • अपडेटेड 5:03 PM IST

श्री बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (BKTC) ने इस बात की पुष्टि की है कि इस समय बद्रीनाथ मंदर के सिंह द्वार पर कोई दरार नहीं है. न ही बन रही है. साथ ही इस इलाके में कोई भू-धंसाव भी नहीं हो रहा है. जो पहले से आई हुई हल्की दरारें थीं, उनकी मरम्मत का काम भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) कर रहा है. फिलहाल मंदिर में या उसके आसपास कोई नई दरार देखने को नहीं मिली है. 

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श्री बदरीनाथ- केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने वर्ष 2022 में शासन को पत्र लिखकर बद्रीनाथ मंदिर के सिंह द्वार पर आई हल्की दरारों के बारे में बताया था. इसके बाद शासन ने ASI को इस पर विस्तृत रिपोर्ट बनाने को कहा. इसी क्रम में जुलाई 2022 में एएसआई ने मरम्मत की कार्य योजना तैयार की थी. 

अक्टूबर 2022 को एएसआई ने सिंह द्वार की दरारों पर ग्लास टायल्स (शीशे की स्केलनुमा पत्तियां) फिक्स कर दी थीं, जिससे यह पता लग सके की दरारें कितनी चौड़ी हुई हैं. 09 अगस्त, 2023 को ग्लास टायल्स के अध्ययन के बाद एएसआई ने ट्रीटमेंट कार्य शुरू किया था. तब दरारों में कोई खास बदलाव नहीं आंका गया।

बीकेटीसी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि सिंह द्वार के ट्रीटमेंट कार्य के अंतर्गत पहले चरण में सिंह द्वार के दाईं ओर ट्रीटमेंट कार्य किया जा चुका है. अब बाईं ओर की दरारों पर ट्रीटमेंट होगा. इस तरह स्पष्ट है कि सिंह द्वार पर दरारें बहुत पहले से हैं, जिसका ट्रीटमेंट कार्य किया जा रहा है.

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पिछले साल जोशीमठ में कई घरों में दरारें आने के बाद उन्हें खाली कराया गया था. तब ऐसी खबरें भी आईं थी कि बद्रीनाथ और उसके आसपास भी ऐसी दरारें आ रही हैं. साल 2021 में वैज्ञानिकों ने जोशीमठ की ग्राउंड स्टडी की थी. तब लोगों ने वैज्ञानिकों को बताया था कि 7 फरवरी 2021 ऋषिगंगा हादसे के बाद जोशीमठ का रविग्राम नाला और नौ गंगा नाला में टो इरोशन (Toe Erosion) और स्लाइडिंग (Sliding) बढ़ गया था. टो इरोशन यानी पहाड़ के निचले हिस्से का कटना जहां पर नदी या नाला बहता हो. स्लाइडिंग यानी मिट्टी का खिसकना. 

17 और 19 अक्टूबर 2021 को हुई भारी बारिश के बाद जोशीमठ के धंसने की तीव्रता तेज हो गई थी. जमीनों और घरों में मोटी-मोटी दरारें पड़ने लगी थीं. इन तीन दिनों में जोशीमठ में 190 मिलिमीटर बारिश हुई थी. सबसे ज्यादा दरारें रविग्राम इलाके में देखने को मिली थीं. असल में जोशीमठ जिस प्राचीन मलबे पर बसा है, वो बहुत ही नाजुक है. वह रेतीले और क्ले जैसी मिट्टी और कमजोर पत्थरों के सहारे टिका हुआ शहर है. 

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