
भारत के स्ट्रैटेजिक फोर्स कमांड ने ओडिशा के चांदीपुर स्थित इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज से पृथ्वी-2 (Prithvi-2) मिसाइल का सफल परीक्षण किया. टेस्टिंग जानबूझकर रात में की गई ताकि सटीकता और मारक क्षमता की जांच की जा सके. यह एक यूजर ट्रेनिंग लॉन्च था. यानी कमांड में आए नए अधिकारियों को मिसाइल लॉन्चिंग की ट्रेनिंग दी गई. साथ ही मिसाइल की क्षमताओं की जांच की गई.
Prithvi-2 मिसाइल की मारक रेंज 350 किलोमीटर है. यह मिसाइल सिंगल स्टेज लिक्विड फ्यूल मिसाइल है. इसकी नाक पर यानी ऊपरी हिस्से पर आप 500 से 1000 किलोग्राम के पारंपरिक या परमाणु हथियार लगा सकते हैं. यह दुश्मन के एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल टेक्नोलॉजी को धोखा देने में सक्षम है. साल 2019 से अब तक चौथी बार इसका यूजर नाइट ट्रायल किया गया है. हर बार इसने सफलतापूर्वक टारगेट को ध्वस्त किया है.
Prithvi-2 मिसाइल भारत की सभी मिसाइलों में सबसे छोटी और हल्की मिसाइल है. इसका वजन 4600 किलोग्राम है. लंबाई करीब 8.56 मीटर है. व्यास 110 सेंटीमीटर. अगर आप बात करें कि इसमें किस तरह के हथियार लगाए जा सकते हैं, तो आपको बता दें कि पृथ्वी-2 मिसाइल में हाई एक्सप्लोसिव, पेनेट्रेशन, क्लस्टर म्यूनिशन, फ्रैगमेंटेशन, थर्मोबेरिक, केमिकल वेपन और टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपन लगा सकते हैं.
पृथ्वी-2 मिसाइल स्ट्रैप-डाउन इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम पर काम करता है. यानी सटीकता में 10 मीटर सर्कुलर एरर पॉसिबिलिटी है. इन्हें लॉन्च करने के लिए 8x8 टाटा ट्रांसपोर्टर इरेक्टर लॉन्चर की मदद ली जाती है. असल में Prithvi-2 मिसाइल का असली नाम SS-250 है. इसे भारतीय वायुसेना के लिए बनाया गया था. जबकि, पृथ्वी-1 को थल सेना और पृथ्वी-3 को नौसेना के लिए बनाया गया था.
इसी मिसाइल सिस्टम को बेस बनाकर डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने Pralay Missile, पृथ्वी एयर डिफेंस (PAD) यानी प्रद्युम्न बैलिस्टिक मिसाइल इंटरसेप्टर का कॉन्सेप्ट बनाया. उसे साकार भी किया. अब प्रलय मिसाइल को भी चीन सीमा पर तैनात करने की हरी झंडी मिल गई है. जहां तक बात रही PAD की तो ये ऐसे मिसाइल हैं, जो वायुमंडल के बाहर जाकर दुश्मन की मिसाइल को ध्वस्त कर सकते हैं. वह भी 6174 किमी प्रतिघंटा की गति से.
अंतरिक्ष में दुश्मन के सैटेलाइट को मार गिराने के लिए मार्च 2019 में किया गया मिशन शक्ति भी पृथ्वी मिसाइल की तकनीक पर ही बना है. एंटी-सैटेलाइट वेपन (ASAT) मिसाइल एक पृथ्वी मिसाइल का ही अपग्रेडेड वर्जन था. जिसने अंतरिक्ष में एक पुराने निष्क्रिय सैटेलाइट को ध्वस्त किया था.