
करीब 52 साल के बाद अमेरिका ने एक निजी कंपनी का मून लैंडर चंद्रमा की ओर भेजा. यह यान अभी धरती और चंद्रमा के बीच रास्ते में है. उसने वहां से पहली तस्वीर भेजी. जिसमें हमारी खूबसूरत नीली धरती दिख रही है. साथ ही यान का कुछ हिस्सा और लैंडिंग करने वाले लेग्स दिख रहे हैं.
इस लैंडर का नाम है ओडिसियस. इसे इंट्यूशिव मशींस ने बनाया है. 15 फरवरी को लॉन्चिंग के थोड़ी देर बाद जब फॉल्कन-9 रॉकेट ने यान को अंतरिक्ष में छोड़ा. इसके बाद इसने धरती के साथ सेल्फी ली. इस यान को नासा ने स्पेसएक्स के रॉकेट से लॉन्च करवाया था. ये मिशन नासा के कॉमर्शियल लूनर पेलोड सर्विस प्रोग्राम (CLPS) के तहत किया गया है.
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ओडिसियस में नासा के छह एक्सपेरिमेंट जा रहे हैं. एक टेक्नोलॉजी डिमॉन्सट्रेटर है. इसके अलावा छह निजी कंपनी के पेलोड्स हैं. मिशन का नाम है IM-1 Mission. पहले या लॉन्चिंग 14 फरवरी 2024 को ही होनी थी लेकिन तकनीकी वजहों से उसे टाल दिया गया था. बाद में लॉन्चिंग फ्लोरिडा के केनेडी स्पेस सेंटर से की गई.
22 फरवरी को होगी चांद पर लैंडिंग
सब कुछ सही रहा तो चांद पर इसकी लैंडिंग 22 फरवरी 2024 को होगी. नासा ने इस काम के लिए IM के साथ 118 मिलियन डॉलर यानी 979.52 करोड़ से ज्यादा का कॉन्ट्रैक्ट किया था. इसके बाद IM ने ओडिसियस मून लैंडर बनाया.
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कुल मिलाकर यह 16 दिन का मिशन है. यानी नोवा-सी ओडिसियस लैंडर चांद की सतह पर उतरने के बाद 7 दिन तक काम करेगा. इससे पहले नासा ने अपना आखिरी मून लैंडिंग मिशन 1972 में अपोलो 17 (Apollo 17) किया था.
चांद पर यहां करवाई जाएगी लैंडिंग
लैंडिंग चांद के दक्षिणी ध्रुव पर स्थिति मालापर्ट क्रेटर (Malapert Crater) के पास मालापर्ट ए क्रेटर के पास हो. मालापर्ट क्रेटर 69 किलोमीटर चौड़ा है. लैंडिंग के बाद यह मिशन दो हफ्ते बाद खत्म हो जाएगा. क्योंकि वहां पर अंधेरा छा जाएगा.