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Japan: कार में लगा दी एक जोड़ी आंखें ताकि पैदल चलने वालों के साथ Accident न हो

अब कार को आंखें लगा दी गई हैं. ताकि पैदल चलने वालों से वो न भिड़े. सड़क पर पैदल चलने वाले यात्रियों को सुरक्षित रखने के लिए जापान के इंजीनियर्स ने यह प्रयोग किया है. यह आंखें एक सेल्फ ड्राइविंग कार पर लगाई गई हैं. ताकि ऐसी कारों से पैदल चलने वाले सुरक्षित रह सकें.

टोक्यो यूनिवर्सिटी के इंजीनियर्स ने गोल्फ कार्ट पर लगाई आंखें ताकि पैदल यात्रियों के साथ हादसे न हों. (फोटोः Tokyo University) टोक्यो यूनिवर्सिटी के इंजीनियर्स ने गोल्फ कार्ट पर लगाई आंखें ताकि पैदल यात्रियों के साथ हादसे न हों. (फोटोः Tokyo University)
aajtak.in
  • टोक्यो,
  • 26 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 8:55 AM IST

अब जापान में कारों पर गोल और बड़ी-बड़ी आंखें लगाई जाएंगी. ताकि सड़क पर चलने वाले पैदल यात्रियों के साथ हादसे न हों. असल में यह प्रयोग किया गया है एक सेल्फ ड्राइविंग कार (Self Driving Car) के साथ. ये आंखें बाएं-दाएं घूमती हैं. ताकि सड़क के अगल-बगल खड़े लोग उसे देखकर खुद रुक जाएं. अगर लोग उस कार के सामने से पार करने के लिए नहीं रुकते तो कार खुद ही रुक जाती है. 

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इंजीनियर्स ने कहा कि अगर कार की आंखें किसी भी तरफ नहीं देख रही हैं यानी कार पैदल चलने वाले यात्रियों को नहीं पहचान रही है. यानी पैदल चलने वालों को सड़क पार नहीं करना चाहिए. नहीं तो कार टक्कर मार सकती है. इस रिसर्च का मतलब ये है कि अगर कार यह पहचान सके कि सामने कौन है, तो हादसों में कमी आएगी. देखने वाली कारों (Gazing Car) से सड़क पर पेडेस्ट्रियन एक्सीडेंट्स कम होने की संभावना है. 

ये है वो चार स्थितियां जिसमें गोल्फ कार्ट के साथ एक्सपेरिमेंट किया गया. (फोटोः शिया मिंग चांग/टोक्यो यूनिवर्सिटी)

इस स्टडी के लिए इंजीनियर्स ने गोल्फ बग्घी (Golf Buggy) को चुना. उसमें आगे की तरफ दो आंखें लगाईं. जो बाएं-दाएं घूमती हैं. उनका नियंत्रण रिसर्चर के पास था. अभी रिसर्चर उन आंखों को नियंत्रित कर रहे थे लेकिन भविष्य में इसे सेल्फ ड्राइविंग कार यानी खुद चलने वाली कार का आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) नियंत्रित करेगा. यह एक्सपेरीमेंट वर्चुअल रियलिटी (Virtual Reality) पर किया गया है. 

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वॉलंटियर्स में 9 पुरुष और इतनी ही महिलाएं थीं. उन्हें कहा गया था कि यह आपको डिसाइड करना है कि आंखों वाली कार जब सड़क पर आए, तब आप सड़क पार करेंगे या नहीं. चार स्थितियों में इसकी जांच की गई. दो में आंखें लगाकर और दो बिना आंखों के. रिसर्चर ने देखा कि जब सड़क पार करना सुरक्षित था, तब भी लोग संकोच कर रहे थे. जबकि आंखों वाली कार रुकी हुई थी. जबकि लोगों ने तब पार किया जब खतरा ज्यादा था. यानी आंखों वाली कार को देखकर लोग ने सड़क पार करने से रुके. 

यूनिवर्सिटी ऑफ टोक्यो की रिसर्चर शिया मिंग चांग ने कहा कि चार पुरुषों ने खतरनाक स्थितियों में सड़क पार किया. जबकि महिलाओं ने ऐसा नहीं किया. हालांकि खतरा मोल लेने में इंसानों की उम्र, समय की कमी, अन्य स्थितियों का भी ध्यान दिया गया. भविष्य में ये कार्टून जैसी आंखें कारों में लगाई जाएंगी. जिनकी टेक्नोलॉजी ऐसी होगी कि वो इंसानों को देखकर रुक जाएं. या फिर इंसान इन कारों को देखकर रुक जाएं. ताकि खुद से चलने वाली कारों से हादसे न हों. इस स्टडी को पीयर रिव्यू के लिए इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस ऑन ऑटोमोटिव यूजर इंटरेफस एंड इंटरैक्टिव व्हीकूलर एप्लीकेशन में प्रदर्शित किया गया है. 

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