Advertisement

Paris Olympics 2024 Heatwave Threat: भयंकर हीटवेव का खतरा, जानलेवा हो सकती है मेडल की रेस

Paris Olympics में इस बार भयंकर हीटवेव का खतरा मंडरा रहा है. वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि इस बार खेलों के दौरान खिलाड़ियों को भयानक गर्मी का सामना करना पड़ेगा. पिछली बार पेरिस ने एक सदी पहले ओलंपिक होस्ट किया था. तब से अब तक तापमान में औसत 1.8 डिग्री सेल्सियस का इजाफा हो गया है.

पेरिस में फ्रेंच नेशनल असेंबली की सीढ़ियों पर स्थापित सबसे प्रसिद्ध ग्रीक मूर्तियों के जरिए दिखाए जा रहे अलग-अलग खेलों के प्रतीक. (फोटोः एपी) पेरिस में फ्रेंच नेशनल असेंबली की सीढ़ियों पर स्थापित सबसे प्रसिद्ध ग्रीक मूर्तियों के जरिए दिखाए जा रहे अलग-अलग खेलों के प्रतीक. (फोटोः एपी)
आजतक साइंस डेस्क
  • नई दिल्ली,
  • 22 जुलाई 2024,
  • अपडेटेड 3:31 PM IST

करीब 100 साल बाद पेरिस में ओलंपिक हो रहा है. पिछला ओलंपिक 1947 में हुआ था यहां पर. इतने वर्षों में औसत तापमान 1.8 डिग्री सेल्सियस बढ़ चुका है. 100 सालों में हीटवेव की 50 बड़ी घटनाएं पेरिस में हो चुकी हैं. इसलिए अब खिलाड़ियो और आयोजनकर्ताओं को इस बात की चिंता है कि कैसे होगा खेलों का आयोजन? 

साल 2003 के हीटवेव में फ्रांस में 14 हजार लोगों की मौत हुई थी. तब से लेकर गर्मी का स्तर और ज्यादा चरम हो गया है. करीब 10 गुना बढ़ गया है. गर्मी की वजह से पेरिस में मौतों की संख्या में 70 फीसदी का इजाफा हुआ है. ओलंपिक्स के दौरान पेरिस में दो हफ्ते तक हीटवेव की आशंका है. इससे पहले ऐसा साल 2003 में हुआ था.

Advertisement

यह भी पढ़ें: Climate Change: जलवायु परिवर्तन बदल रहा है पैटर्न, उत्तर की ओर शिफ्ट हो रही है बारिश... अगले 20 साल यही हाल रहेगा

2003 से ज्यादा बुरी स्थिति इस बार हो सकती है. 20वीं सदी में तापमान के रिकॉर्ड को तोड़ना आसान नहीं था. लेकिन अब यह हर दिन टूट रहा है. एक स्टडी द लैंसेट प्लैनेट हेल्थ जर्नल में पिछले साल छपी थी. जिसमें कहा गया था कि पूरे यूरोप में पेरिस में सबसे ज्यादा मौतें हीटवेव और गर्मी की वजह से हुई हैं. कुल मिलाकर 854.

हरियाली की कमी और ज्यादा आबादी है बड़ी वजह

इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह है हरियाली की कमी और ज्यादा घनत्व वाली आबादी. इस बार स्थितियां ज्यादा बिगड़ सकती हैं. पिछले पांच वर्षों में पेरिस ने काफी गर्म मौसम का सामना किया है. जुलाई 2019 में पेरिस में अधिकतम तापमान का रिकॉर्ड 42.6 डिग्री सेल्सियस था. इस बार यह और ज्यादा रहने की उम्मीद है. 

Advertisement

यह भी पढ़ें: धरती के माथे से क्यों निकल रहा पसीना...कैसे जलवायु परिवर्तन ने दुनिया को भट्टी बना दिया?

तापमान में इतने डिग्री की बढ़ोतरी की आशंका

जुलाई महीने में न्यूनतम तापमान में 2.8 डिग्री सेल्सियस के बढ़ोतरी की उम्मीद है. जबकि अधिकतम में 2 डिग्री सेल्सियस. अगस्त में मिनिमम टेंपरेचर 2.9 डिग्री सेल्सियस और मैक्सिमम टेंपरेचर में 2.4 डिग्री सेल्सियस रहेगा. सितंबर में न्यूनतम तापमान 2.1 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम तापमान 1.2 डिग्री सेल्सियस अधिक रहेगा. अगर जुलाई से सितंबर तक की बात करें तो मिनिमम टेंपरेचर में 2.6 डिग्री सेल्सियस ज्यादा और अधिकतम तापमान 1.9 डिग्री सेल्सियस अधिक रहेगा. औसत तापमान में कुल 2.2 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी रहेगी. 

इन खेलों को करना होगा इनडोर, नहीं तो बुरी हालत

ओलंपिक्स में धूप और तेज गर्मी की वजह से मैराथन, टेनिस, बीच वॉलीबॉल प्रभावित हो सकता है. खिलाड़ियों में सहने की क्षमता होती है लेकिन खेल देख रहे दर्शकों में नहीं. ओपन एरिया में दर्शकों की हालत खराब हो सकती है. ओलंपिक्स के वेन्यू यानी स्टेडियम वगैरह बनाने वाली फ्रेंच एजेंसी के प्रमुख निकोलस फिरैंड ने संसद को संतुष्टि दिलाई है कि सभी इनडोर फैसिलिटी को बढ़ती गर्मी के मुताबिक बनाया जाए. 

यह भी पढ़ें: 2100 AD तक हिमालय की सुनामी से हिंद महासागर के जलप्रलय तक... देश के इन इलाकों को है सबसे बड़ा खतरा!

Advertisement

पहले खिलाड़ियों का गांव बिना एयर कंडिशनिंग के बनाया जाना था. लेकिन अब सभी कमरों में एसी लगाया जा रहा है. शेड्स बनाए जा रहे हैं. पेड़-पौधे लगाए जा रहे हैं. हवा के सही वेंटिलेशन की व्यवस्था की जा रही है. साथ ही प्राकृतिक-जियो थर्मल कूलिंग सिस्टम की व्यवस्था हो रही है, ताकि खिलाड़ियों को किसी तरह की दिक्कत न हो. 

टोक्यो ओलंपिक्स में भी हुई थी खिलाड़ियों की हालत खराब

पिछली बार टोक्यो ओलंपिक्स को सबसे गर्म इवेंट माना जा रहा था. जब तापमान 30 डिग्री सेल्सियस से ऊपर था. साथ ही 80 फीसदी ह्यूमिडिटी थी. टोक्यो में मैराथन और रेस के इवेंट्स को ठंडी जगह पर शिफ्ट कर दिया था. इसके बावजूद वहां पर खिलाड़ियों की हालत गर्मी की वजह से खराब हो गई थी.

यह भी पढ़ें: बादल फटने से फ्लैश फ्लड तक, मौसम का कहर तेज... क्या फिर होगी हिमालय की छाती पर आसमानी चोट?

रूसी टेनिस प्लेयर डैनिल मेदवदेव ने कोर्ट में कह दिया था कि यहां इतनी गर्मी है कि कहीं मैं मर न जाऊं. इस समय कई खिलाड़ी ज्यादा गर्मी वाली जगहों पर ट्रेनिंग कर रहे हैं, ताकि वो गर्म मौसम में खेलने के लिए तैयार हो सकें. इसे हॉट-वेदर ट्रेनिंग कहते हैं. फिर चाहे वह अपने देश में हो या फिर दूसरे देश में हो रहा हो.  

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement