Advertisement

दुनियाभर में हर 2 मिनट पर एक-दूसरे से मदद मांगते हैं लोग, इतनी बार मिलता है इनकार, जानिए क्या है मदद का साइंस

अगर आपको भी लगता है कि लोगों में मदद का भाव कम हो रहा है, तो आप गलत है. एक स्टडी के मुताबिक, पूरी दुनिया में लोग भले ही अलग-अलग कल्चर से हों, लेकिन वे ज्यादातर एक-दूसरे की हेल्प करते हैं. लगभग 7 बार किसी की मदद करने के बाद एक बार वे इनकार भी करते हैं, लेकिन इसके बाद फिर से मदद के लिए तैयार हो जाते हैं.

मदद करने, और इनकार की भी आदत लगभग सभी कल्चर में एक जैसी है. सांकेतिक फोटो (Unsplash) मदद करने, और इनकार की भी आदत लगभग सभी कल्चर में एक जैसी है. सांकेतिक फोटो (Unsplash)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 28 अप्रैल 2023,
  • अपडेटेड 11:41 AM IST

क्या लोग आपस में मदद मांगने या करने से बचने लगे हैं, ये समझने के लिए यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया  (UCLA) और ऑस्ट्रेलिया की सिडनी यूनिवर्सिटी के समाजशास्त्रियों ने मिलकर एक शोध किया. इसके लिए किसी एक देश नहीं, बल्कि अलग-अलग जगहों और ऐसे कल्चर के लोगों को लिया गया, जो एक-दूसरे से काफी अलग हों. कुल 5 महाद्वीपों में 8 भाषाएं बोलने वाले परिवार और अनजान लोगों की आपसी बातचीत को देखा गया. इसके नतीजे काफी सुकून देने वाले हैं. एक्सपर्ट्स ने माना कि मदद मांगने पर ज्यादातर समय आपको मदद जरूर मिलेगी. 

Advertisement

इस दौरान शोधकर्ताओं ने 350 से ज्यादा लोगों की रोजमर्रा की बातचीत के अलग-अलग 40 घंटों की रिकॉर्डिंग को सुना. इस दौरान उन्होंने पाया कि हर दो मिनट के दौरान लोग किसी न किसी काम में उलझन में दिखते हैं. कई बार वे खुलकर मदद मांगते हैं तो कई बार बस उनका संघर्ष दिखता है. इतने में ही लोग हेल्प कर देते हैं. 

1/9 Our new study out in @SciReports shows that people around the world help each other about every two minutes https://t.co/GhsdC3tohH

— Giovanni Rossi (@gio_rossi_5) April 21, 2023

नेचर साइंटिफिक रिपोर्ट्स में छपा ये अध्ययन दावा करता है कि रोजमर्रा की जिंदगी में लोग छोटे-मोटे कामों के दौरान ये हेल्प खाना बनाने को लेकर हो सकती है, या कोई सामान खोजने को लेकर भी. इन्हें लो-कॉस्ट हेल्प कहा गया, जिसमें समय, पैसे या किसी तरह का खर्च कम से कम होता है. 

Advertisement

देखा गया कि ऐसे मौकों पर लगातार 7 बार हेल्प मिलती है, जिसके बाद ही काम से मना किया जाता है. ये इनकार भी हाई-कॉस्ट हेल्प पर सुनाई देता है. यहां भी मना करने की वजह ये नहीं होती कि सामने वाला शख्स हेल्प नहीं करना चाहता, बल्कि अक्सर ये व्यस्तता या कोई दूसरा कारण होता है. हो सकता है कि आप जो मदद चाह रहे हैं, वो सामने वाले के बस में ही नहीं. मदद के लिए मना करने पर 74 प्रतिशत मामलों में वे इसकी वजह भी बताते हैं. 

कुछ संस्कृतियों में बिना बोले ही हेल्प मिल जाती है. सांकेतिक फोटो (Pixabay)

'शेयर्ड क्रॉस-कल्चरल प्रिंसिपल्स अंडरलाई ह्यूमन प्रोसोशल बिहेवियर'- इस नाम से छपी रिसर्च में इटली, ब्रिटेन, पोलैंड, रूस, घाना, लाओस, ऑस्ट्रेलिया और इक्वाडोर तक के लोगों की आपसी बातचीत में हेल्प के पैटर्न को देखा गया. सिडनी यूनिवर्सिटी के इसके एक शोधकर्ता निक एनफील्ड कहते हैं कि आपस में मदद करने की आदत और इनकार की भी आदत लगभग सभी कल्चर में एक जैसी है.

कुछ संस्कृतियों में मदद के लिए इनकार ज्यादा दिखता है, जैसे ऑस्ट्रेलिया की एक खास भाषा बोलने वाले लोगों में इसकी फ्रीक्वेंसी थोड़ी ज्यादा रहती है. ये सौ में से 26 फीसदी मामलों में हेल्प की रिक्वेस्ट पर मना कर देते हैं. ये भी दिखा कि ज्यादातर जगहों पर बिना बोले मदद मिलती है तो कई कल्चर्स में  मदद के लिए बोलना होता है. शोध के मुताबिक, इंग्लिश और इटालियन कल्चर में बिना मांगे हेल्प मिलती कम ही दिखती है.

Advertisement

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement