
Navy Day के दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की कि भारतीय नौसेना अपने रैंकों का नाम अब भारतीय परंपराओं के अनुरूप रखने जा रही है. उन्होंने कहा कि हम ब्रिटिश काल के रैंक्स को बदलेंगे. उसकी जगह भारतीय नाम रखे जाएंगे. उन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज के अलावा उनकी नौसेना के योद्धाओं कान्होजी आंग्रे, मायाजी नाइक भटकर और हिरोजी इंदुलकर को भी नमन किया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हम छत्रपति शिवाजी महाराज से प्रेरित हैं. हम उन्हीं की तरह किसी भी तरह की गुलामी बर्दाश्त नहीं कर सकते. हमें इस मानसिकता से बाहर आना होगा. इसलिए ऐसे नाम और प्रतीकों को खत्म करना होगा, जो गुलामी की प्रथा को जीवित रखे हैं. छत्रपति शिवाजी महाराज से लगातार प्रेरित होते रहना है.
प्रधानमंत्री ने शिवाजी की उद्घोषणा को दोहराते हुए कहा कि जिनका समुद्र पर नियंत्रण है, वे ही अंतिम शक्ति रखते हैं. नौसेना अधिकारियों द्वारा पहने जाने वाले एपोलेट्स में अब छत्रपति वीर शिवाजी महाराज की विरासत की झलक दिखाई देगी क्योंकि नए एपोलेट्स नौसेना के ध्वज के समान होंगे.
पिछले साल बदला गया था नौसेना ध्वज
पीएम मोदी ने पिछले साल नौसेना ध्वज के अनावरण को भी याद किया. अपनी विरासत पर गर्व करने की भावना के साथ, प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि भारतीय नौसेना अपने रैंकों का नाम अब भारतीय परंपराओं के अनुरूप रखने जा रही है. उन्होंने सशस्त्र बलों में नारी शक्ति को मजबूत करने पर भी जोर दिया.
किस रैंक के नाम पहले बदले जा सकते हैं
ऐसा माना जा रहा है कि भारतीय नौसेना के जूनियर और नॉन कमीशन्ड रैंक्स के नाम पहले बदले जा सकते हैं. ये हैं मास्टर चीफ पेटी ऑफिसर फर्स्ट क्लास, मास्टर चीफ पेटी ऑफिसर सेकेंड क्लास, चीफ पेटी ऑफिसर, पेटी ऑफिसर, लीडिंग सीमैन, सीमैन फर्स्ट क्लास और सीमैन सेकेंड क्लास. इन रैंक्स के नाम बदलने का असर नौसेना के 65 हजार नौसैनिकों से ज्यादा पर पड़ेगा. लेकिन अधिकारियों के नाम फिलहाल वैसे ही रहेंगे, जैसे अभी हैं.
क्या होगा तरीका नाम बदलने का...
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बात का खुलासा नहीं किया है कि किस तरह के नाम रखे जाएंगे. लेकिन इसके लिए दो तरह के ट्रेंड फॉलो किया जा सकता है.
पहला... अग्निवीर और वायुवीर की तरह... जलवीर, समुद्रवीर या सागरवीर.
दूसरा... प्रधानमंत्री मोदी ने नौसेना दिवस पर छत्रपति शिवाजी महाराज के समय की मराठी नौसेना और उनके योद्धाओं का जिक्र किया. उन्हें नमन किया. उनकी तकनीकों और युद्धों को याद किया. संभव है कि मराठा नौसेना (Maratha Navy) के जो रैंक्स रहे हों... उनके नाम पर इंडियन नेवी के रैंक्स के नाम बदले जाएं.
मराठा नौसेना में किस पद को क्या कहते थे?
महा-नौसेनाध्यक्ष/Grand Admiral... सरखेल या सरसुभेदार. ये पद 1698 के बाद कान्होजी आंग्रे के लिए था. मराठा नौसेना के सभी रैंक्स को संभाजी ने नाम दिया था.
नौसेनाध्यक्ष/Admiral... सुभेदार.
सीनियर कैप्टन-कोमोडोर/Senior Captain-Commodore... सरदार.
निचले स्तर के नौसैनिक तीन कैडर में बांटे गए थे
खलाशी... Sailors
शिपाई... Soldiers
गोलंदाज... Gunners
सेलर रैंक इस हिसाब से थे
चीफ पेटी ऑफिसर... सरतांडेल, यह जहाज का कैप्टन या मास्टर होता था.
पेटी ऑफिसर... तांडेल, यह जहाज के क्रू का लीडर होता था.
नेविगेटर... सारंग, यह तांडेल के पद के बराबर होता था.
मरीन रैंक में दो कैडर थे
कार्पोरल.... नाईक
सोल्जर... शिपाई
मराठा नौसेना में गनर यानी गोलंदाज की कीमत सबसे ज्यादा होती थी. निचले रैंक्स में उसे जहाज पर सबसे ज्यादा सैलरी मिलती थी. ऐसा कहा जाता है कि उस समय सुहूर सन यानी 1782 से 83 के फाइनेंशियल ईयर में खलाशी की तनख्वाह 61.5 रुपए प्रतिवर्ष थी. शिपाई की 65 रुपए प्रतिवर्ष और गोलंदाज की 67.8 रुपए प्रतिवर्ष थी.