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धरती के पास 2100 साल से मौजूद है दूसरा चंद्रमा, अगले 1700 सालों तक साथ रहेगा

खगोलविदों ने पृथ्वी के साथ-साथ चलने वाले एक साथी की खोज की है. यह एक नया एस्टेरॉयड है, जिसे पृथ्वी का Quasi-moon कहा जा रहा है. यह सूर्य के चारों ओर उतने ही समय में चक्कर लगाता है जितने समय में पृथ्वी लगाती है. तो क्या मान लिया जाए कि ये पृथ्वी का दूसरा चंद्रमा है...आइए जानते हैं.

28 मार्च को पहली बार देखा गया था ये एस्टेरॉयड (Photo: NASA) 28 मार्च को पहली बार देखा गया था ये एस्टेरॉयड (Photo: NASA)
aajtak.in
  • वॉशिंगटन,
  • 02 मई 2023,
  • अपडेटेड 5:32 PM IST

खगोलविदों ने पृथ्वी के एक और प्राचीन साथी की खोज की है. यह एक नया एस्टेरॉयड है, जिसका नाम है 2023 FW13. यह पृथ्वी के साथ-साथ सूर्य की परिक्रमा करता है, जिससे यह हमारे ग्रह का 'क्वासी-मून' (Quasi-moon) या दूसरे चंद्रमा की तरह बन गया है. यह स्पेस रॉक जिस ऑर्बिट में है उसके आधे रास्ते में मंगल ग्रह और आधे रास्ते में शुक्र ग्रह है.

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वैज्ञानिकों ने इस एस्टेरॉयड को Pan-STARRS सर्वे टेलीस्कोप (Pan-STARRS survey telescope) का इस्तेमाल करके, पहली बार 28 मार्च को देखा था. यह टेलीस्कोप माउई (Maui) के हवाई द्वीप पर एक निष्क्रिय ज्वालामुखी हलीकाला (Haleakala) के ऊपर रात के आसमान की तस्वीरें लेता है.

2023 FW13 की एक ऑर्बिट है जो इसे 2016 HO3 की तरह, पृथ्वी के साथ रखती है (Photo: NASA)

हवाई में कनाडा-फ्रांस-हवाई टेलीस्कोप और एरिजोना की किट पीक नेशनल ऑब्जर्वेटरी और माउंट लेमन स्काईसेंटर ने इस एस्टेरॉयड की मौजूदगी की पुष्टि कर दी है. सभी तरह की जाच कर लेने के बाद इस खोज की आधिकारिक घोषणा 1 अप्रैल को की गई.

फ्रांसीसी न्यूज़ वेबसाइट के एक पत्रकार एड्रियन कॉफ़िनेट (Adrien Coffinet) ने जब इसके बारे में सुना, तो उन्होंने शौकिया खगोलशास्त्री टोनी डन द्वारा बनाए गए ऑर्बिट सिम्युलेटर का इस्तेमाल करके इस एस्टेरॉयड के पाथ का पता लगाया. उनके मुताबिक, 2023 FW13 सूर्य के चारों ओर उतने ही समय में चक्कर लगाता है जितने समय में पृथ्वी लगाती है, साथ ही यह हमारे ग्रह के चारों ओर भी चक्कर लगाता है. इस बात से यह निष्कर्ष निकाला गया कि यह अंतरिक्ष चट्टान पृथ्वी का क्वासी-मून या क्वासी-सैटेलाइट हो सकती है. 

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2023 FW13, 100 ईसा पूर्व से पृथ्वी के आसपास है (Photo: Getty)

शुरुआती अनुमान के मुताबित 2023 FW13 लगभग 65 फीट चौड़ा हो सकता है और  पृथ्वी के साथ चलता है.  खगोलविदों का कहना है कि सूर्य का प्रभाव इस स्पेस रॉक पर काफी ज़्यादा है. कॉफ़िनेट ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि पृथ्वी एस्टेरॉयड की ऑर्बिट को बहुत ज़रा सा विचलित करती है, वो भी इस तरह कि यह हमेशा ग्रह के आसपास के क्षेत्र में मंडराता है. हर साल, एस्टेरॉयड पृथ्वी के 1.5 करोड़ किलोमीटर अंदर तक आता है. 

 

2023 FW13 पृथ्वी के आस-पास खोजी गई अपनी तरह का पहला ऑब्जेक्ट नहीं है. खगोलविदों का मानना है कि इस स्पेस रॉक की ऑर्बिट उस कामोओलेवा (Kamo'oalewa) एस्टेरॉयड की तरह ही है, जिसे 2016 HO3 के तौर पर जाना जाता है. इसे 2016 में देखा गया था और यह भी पृथ्वी का क्वासी-सैटेलाइट है जो कभी भी ग्रह से बहुत दूर नहीं जाता.

खगोलविदों का कहना है कि 2023 FW13, 100 ईसा पूर्व से पृथ्वी के आसपास है और यह कम से कम 3700 ई तक यानी अगले 1700 सालों तक यहीं रहेगा. खगोलविदों का मानना है कि कामोओलेवा की तरह ही, 2023 FW13 से भी पृथ्वी के लिए कोई खतरा नहीं है.

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