
हाल ही में, वर्जीनिया नाइट फोटोग्राफरों ने आसमान में बेहद अनोखा नजारा देखा. यूं लग रहा था जैसे आकाशगंगा के पार दूसरे संसार से कोई अलौकिक लाल रोशनी (Red Glow In Night Sky), सोने की छटा बिखेर रही हो. ये नजारा फोटोग्राफरों ने अपने कैमरे में कैद किया.
लेकिन ये लाल रोशनी आखिर थी क्या, ये सवाल हर किसी के जेहन में था. संभावना जताई गई कि ऐसा स्पेसएक्स रॉकेट (SpaceX rocket) की वजह से हुआ था, जिसे फ्लोरिडा में कुछ ही मिनट पहले लॉन्च किया गया था.
सिर्फ तस्वीरों में ही दिखी लाल रोशनी
फ़ोटोग्राफ़र डेविड एस जॉनस्टन (David S Johnston) ने 19 जून को पश्चिम वर्जीनिया के बियर रॉक्स में, रात 12:30 बजे मिल्की वे की तस्वीरें लेते हुए आकाश में लाल रंग के रोशनी को कैप्चर किया. सामान्य तौर पर आसमान में देखने पर ये लाल रंग दिखाई नहीं दे रहा था. लेकिन जब जॉनस्टन ने अपनी तस्वीरों को देखा, तो वहां यह साफ तौर पर दिख रही थी. जॉनस्टन इसे देखकर हैरान रह गए थे कि आखिर ये था क्या.
उन्होंने कहा कि लाल रंग दिखने पर उन्होंने कुछ लोगों को ये तस्वीरें दिखाईं. तब किसी ने बताया कि ऐसा किसी रॉकेट लॉन्च की वजह से हो सकता है. फिर उन्होंने पता किया और पाया कि स्पेसएक्स ने फ्लोरिडा से 12:27 बजे ग्लोबलस्टार सैटलाइट पेलोड के साथ फाल्कन 9 रॉकेट लॉन्च किया था.
सिर्फ जॉनस्टन के कैमरे ने ही यह नजारा कैप्चर नहीं किया. इसी तरह की तस्वीरें मैरीलैंड, उत्तरी कैरोलिना और अन्य जगहों से भी सामने आईं. वैज्ञानिक भी इस बात से सहमत हैं कि इसकी वजह स्पेसएक्स रॉकेट हो सकता है.
वैज्ञानिकों ने कहा रॉकेट हो सकता है इसकी वजह
बोस्टन यूनिवर्सिटी में सेंटर फॉर स्पेस फिजिक्स के कार्लोस मार्टिनिस (Carlos Martinis) का कहना है कि यह लाल चमक फॉल्कन 9 रॉकेट के दूसरे चरण के इंजन के जलने से जुड़ी हो सकती है. यह आमतौर पर लिफ्ट-ऑफ के करीब 3 मिनट बाद वहां शुरू होती है, जहां वातावरण में पॉजिटिव ऑक्सीजन आयन मौजूद होते हैं. रॉकेट इंजन के जलने से, ऑक्सीजन आयन दूसरे अणुओं के साथ मिलकर आणविक O2+, N2+ और NO+ आयन बनाते हैं. ये आयन इलेक्ट्रॉनों के साथ प्रतिक्रिया करते हैं और चमक पैदा होती है.
स्पेस के मौसम विशेषज्ञ ने वताई वजह
स्पेस वेदर एक्सपर्ट तमिथा स्कोव (Tamitha Skov) का कहना है कि यह तस्वीर 'सब-विज़ुअल ऑरोरा' (sub-visual aurora) से हो सकती है. उत्तरी गोलार्ध (Northern Hemisphere) में, ऑरोरा बोरेलिस (aurora borealis) सूर्य के कोरोना से पृथ्वी के मैग्नेटोस्फीयर से टकराने वाले चार्ज्ड कणों से बनता है. टक्कर से ऊर्जा निकलती है, जो हमारे ऊपरी वायुमंडल में मौजूद गैसों को उत्तेजित करती है. साथ ही, वायुमंडलीय अणुओं के आयनीकरण का कारण बनती है. प्रतिक्रिया भी प्रकाश उत्पन्न करती है, ऑक्सीजन आयनों से हरी और पीली रोशनी पैदा होती है, और नाइट्रोजन लाल या नीली रोशनी पैदा करती है.