
ब्रिटेन में कैम्ब्रिज (Cambridge, UK) के पास, वैज्ञानिकों ने कुछ ऐसा देखा जिसे देखकर वे हैरान रह गए. बार हिल पर एक सड़क के किनारे खुदाई के दौरान, वैज्ञानिकों को 8,000 प्राचीन टॉड और मेंढक की हड्डियां मिली हैं.
2016-2018 के बीच, लौह युग (Iron age) में बने एक घर के पास ये खुदाई हुई थी. इस दौरान 14-मीटर लंबी यानी कुछ 6 फुट गहरे गड्ढे में हड्डियां मिली थीं. वैज्ञानिकों को मेंढकों के इस कब्रगाह तक पहुंचने के लिए एक मीटर की टॉप सॉइल (Top Soil) और सब सॉइल (Subsoil) खोदनी पड़ी थी. एक ही जगह पर इतने सारे अवशेषों का मिलना असामान्य और असाधारण खोज है. साथ ही वैज्ञानिक अब तक ये समझ नहीं पाए हैं कि ये सब गड्ढे में पहुंचे कैसे.
रहस्य बनी हुई हैं मेंढकों की हड्डियां
लंदन पुरातत्व संग्रहालय (Museum of London Archaeology-MOLA) का वरिष्ठ पुरातत्वविद् विकी इवेन्स (Vicki Ewens) का कहना है कि लंदन में इतनी साइटों पर काम करते हुए, हमें इतने मेंढक कहीं नहीं मिले. एक गड्ढे से इतनी सारी हड्डियों का मिलना हैरान करता है. वैज्ञानिकों के मुताबिक, ये हड्डियां ज्यादातर मेंढक और टोड की सामान्य प्रजाति से हैं, जो पूरे देश में पाई जाती हैं. इसमें पोखर में पाए जाने वाले मेंढक के अवशेष भी हैं, जो हौरान करने वाले हैं.
पाषाण युग की बात करें तो ऐसे प्रमाण पाए गए हैं जो ये बताते हैं कि तब लोग मेंढक खाया करते थे. हालांकि, गड्ढे में मिली हड्डियों पर किसी तरह का न तो कोई कट है न ही जलने का निशान. इसलिए यह भी नहीं कहा जा सकता कि लोगों ने इन मेंढकों को खाया था. हालांकि, अगर मेंढकों को उबाला भी गया होता, तो भी इसके निशान मिलते.
इस त्रासदी के पीछे कई थ्योरी दी गई हैं
जहां से ये अवशेष मिले हैं, वहां से जले हुए अनाज के प्रमाण मिले थे, जिससे पता चलता है कि लोग फसल को प्रोसेस करते थे. फसलों की वजह से दूसरे कीट वहीं आते होंगे और उन्हें खाने के लिए मेंढक वहां आए होंगे. प्रागैतिहासिक काल में मेंढकों के साथ हुई इस त्रासदी के पीछे एक और थ्योरी दी जाती है. वह ये कि मेंढक प्रजनन क्षेत्रों की तलाश में वसंत में इस इलाके में आए होंगे और गड्ढे में गिरकर फंस गए होंगे. ये भी कहा जा रहा है कि हो सकता है कड़ाके की ठंड ने इन मेंढकों की जान ली होगी.
एक थ्योरी यह भी है कि ऐसा मेंढकों में किसी बीमारी की वजह से हुआ होगा. ब्रिटेन में 1980 के दशक में रानावायरस ने मेंढकों की आबादी को खत्म कर दिया था. इस वायरस से मेंढक इतने प्रभावित हुए कि रोग की निगरानी और रिपोर्ट करने के लिए फ्रॉग मेर्टैलिटी प्रोजेक्ट शुरू किया गया था. रानावायरस ऐसे वायरस हैं जो कुछ मछलियों और सरीसृपों (Amphibians) की बड़ी संख्या को प्रभावित करते हैं.
वैज्ञानिक लगा रहे हैं पता
विकी इवेन्स का कहना है कि यह एक हैरान करने वाली खोज है, जिसे हम अब भी समझने की कोशिश कर रहे हैं. मेंढक के अवशेषों के एक साथ होने के कई अलग-अलग कारण हो सकते हैं. आने वाले समय में हम यह भी जान जाएंगे. लेकिन अभी हमें नहीं पता कि ऐसा क्यों था.
साइट पर केवल मेंढक की हड्डियां ही नहीं पाई गई थीं, बल्कि कलाकृतियों के साथ-साथ इंसानों और जानवरों के अवशेष भी मिले थे. नमूनों पर अब भी काम किया जा रहा है. उम्मीद है कि यह रहस्य जल्दी सुलझेगा.