Advertisement

Moon पर लगातार बिजली सप्लाई के लिए ये कार कंपनी बना रही है 'मिनी न्यूक्लियर पावर प्लांट'

चांद पर इंसान कुछ सालों में घर बना लेगा. लेकिन उसमें रोशनी कहां से लाएगा. न तो वहां पानी है. न ही हवा. फिर बिजली पैदा कैसे होगी. इसका जवाब खोज लिया है दुनिया की मशहूर कार निर्माता कंपनी Rolls Royce ने. इसने चांद पर लगातार बिजली सप्लाई के लिए मिनी न्यूक्लियर पावर प्लांट मॉडल तैयार कर लिया है.

Rolls Royce Mini Nuclear Plant Rolls Royce Mini Nuclear Plant
आजतक साइंस डेस्क
  • लंदन,
  • 26 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 4:43 PM IST

चंद्रमा पर अगले दो दशक में इंसान पहुंच जाएगा. देश अपने-अपने बेस बनाएंगे. सवाल ये उठता है कि बिना बिजली के रोशनी कैसे आएगी. न तो चांद पर पानी है. न ही हवा. न तो हाइड्रोपावर प्लांट लग सकते हैं. न ही पनबिजली की कोई व्यवस्था. कुछ बुद्धिमान लोग जवाब देंगे सोलर पावर की लेकिन अगर आप अंधेरे वाले हिस्से में है तब क्या? 

Advertisement

उत्तरी आयरलैंड के बेलफास्ट में हाल ही में एक स्पेस कॉन्फ्रेंस हुआ. जिसमें दुनिया की सबसे लग्जरी कार बनाने वाली कंपनी रोल्स रॉयस (Rolls Royce) ने मिनी परमाणु संयंत्र का मॉडल प्रदर्शित किया. यह 120 इंच लंबा मिनी न्यूक्लियर रिएक्टर है. इस संयंत्र के जरिए चांद पर बनने वाली इंसानी बस्ती को लगातार बिजली सप्लाई होती रहेगी. 

यूके स्पेस एजेंसी के चीफ एग्जीक्यूटिव पॉल बेट ने कहा कि रोल्स रॉयस का यह इनोवेशन शानदार है. इसकी वजह से चांद पर इंसानी मौजूदगी को स्थाई सुविधा मिलेगी. रोल्स रॉयस को इंग्लैंड की स्पेस एजेंसी ने करीब 30.62 करोड़ रुपए की फंडिंग की थी, ताकि इस मिनी न्यूक्लियर पावर प्लांट को बनाया जा सके. इससे फ्यूचर का लूनर आउटपोस्ट बनेगा. 

120 इंच लंबा और 40 इंच चौड़ा रिएक्टर 

इस कॉन्फ्रेंस में रोल्स-रॉयस ने अपने मिनी-रिएक्टर का प्रोटोटाइप दिखाया है. रोल्स रॉयस के इंजीनियर और साइंटिस्ट फिलहाल यह पता कर रहे हैं कि वो कैसे न्यूक्लियर फिशन रिएक्टर से निकलने वाली गर्मी से कैसे ऊर्जा हासिल की जाए. यह छोटा रिएक्टर 40 इंच चौड़ा और 120 इंच लंबा है. फिलहाल इससे बिजली पैदा नहीं हो रही है. 

Advertisement

अगर सबकुछ सही रहा तो कम से कम छह साल में इस रिएक्टर से बिजली पैदा होने लगेगी. इसे बनाने में अभी करोड़ों रुपए लगेंगे. वैज्ञानिकों का मानना है कि इस मिनी न्यूक्लियर रिएक्टर में होने वाले फिशन रिएक्शन से बिजली पैदा की जाएगी. ये ठीक वैसी ही तकनीक पर बनी है, जैसे कि दुनियाभर में परमाणु ऊर्जा संयंत्र लगे हैं. बस ये छोटा वर्जन है. 

सूरज की रोशनी पर्याप्त ऊर्जा नहीं दे पाएगी

सूरज की रोशनी चांद पर हमेशा एक ही हिस्से में पड़ती है. दूसरे हिस्से में अंधेरा रहता है. इसलिए सूरज की रोशनी सेकेंडरी ऑप्शन यानी वैकल्पिक व्यवस्था हो सकती है. लेकिन लगातार बिजली सप्लाई के लिए स्थाई व्यवस्था होनी जरूरी है. इन परमाणु संयंत्रों को चांद के ध्रुवीय इलाकों में ऐसी जगह लगाया जाएगा, जहां से बिजली पैदा होती रहे. 

रोल्स रॉयस का दावा है कि वह 2030 तक यह मिनी न्यूक्लियर रिएक्टर तैयार कर लेगा, जो बिजली पैदा कर सके. साथ ही चांद की इंसानी पोस्ट पर रहने वाले एस्ट्रोनॉट्स के लिए पर्याप्त वेंटिलेशन हो सके. साथ ही जरूरत पड़ने पर हीटिंग सिस्टम को सही से चला सके. इसके लिए जरूरी है कि लगातार बिजली की सप्लाई चाहिए. जो किसी परमाणु संयंत्र से ही मिलेगी. 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement