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धरती के बगल से गुजरा रोजेटा रबर डकी धूमकेतु, अब 200 साल नहीं दिखेगा

धरती के बगल से एक धूमकेतु 12 नवंबर 2021 को निकला. इस धूमकेतु यानी कॉमेट का नाम है कॉमेट 67पी (Comet 67P). इसे वैज्ञानिक रोजेटा रबर डकी (Rosetta Rubber Ducky) भी बुलाते हैं. इसका नाम किसी कॉमेट पर उतरने वाले पहले लैंडर के नाम पर रोजेटा रखा गया है. कॉमेट 67पी अब अगले 200 सालों तक दिखाई नहीं देगा.

मंगल ग्रह की कक्षा से गुजरा रोजेटा रबर डकी धूमकेतु. (प्रतीकात्मक फोटोः गेटी) मंगल ग्रह की कक्षा से गुजरा रोजेटा रबर डकी धूमकेतु. (प्रतीकात्मक फोटोः गेटी)
aajtak.in
  • न्यूयॉर्क,
  • 15 नवंबर 2021,
  • अपडेटेड 8:28 PM IST
  • अब 2214 में फिर दिखाई देगा रोजेटा रबर डकी धूमकेतु.
  • वैज्ञानिकों की गणना- धरती से दूर होता जा रहा है ये धूमकेतु.
  • इसी कॉमेट पर पहली बार उतरा था इंसानों द्वारा निर्मित प्रोब.

धरती के बगल से एक धूमकेतु 12 नवंबर 2021 को निकला. इस धूमकेतु यानी कॉमेट का नाम है कॉमेट 67पी (Comet 67P). इसे वैज्ञानिक रोजेटा रबर डकी (Rosetta Rubber Ducky) भी बुलाते हैं. इसका नाम किसी कॉमेट पर उतरने वाले पहले लैंडर के नाम पर रोजेटा रखा गया है. कॉमेट 67पी अब अगले 200 सालों तक दिखाई नहीं देगा. इससे करीब एक हफ्ते पहले ही एक एस्टेरॉयड पृथ्वी के बेहद नजदीक से गुजरा था जिसके बारे में किसी को पता नहीं चला था. 

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एस्ट्रोनॉमी नाऊ नामक साइट की खबर के अनुसार अच्छी बात ये है कि इस बार वैज्ञानिकों की नजर कॉमेट 67पी पर थी. यह धरती से 6.28 करोड़ किलोमीटर की दूरी से निकला. यानी यह मंगल की कक्षा से गुजरा लेकिन वैज्ञानिक इसे धरती का बगल इसलिए कह रहे हैं क्योंकि यह अब दो सदियों तक नहीं दिखेगा. यह कॉमेट 67पी की धरती से सबसे नजदीकी दूरी थी. 

अर्थस्काई नामक साइट रोजेटा रबर डकी कॉमेट सूरज के चारों तरफ अपना एक चक्कर लगभग साढ़े छह साल में पूरा करता है. अब वह धरती से दूर होता जा रहा है. इसलिए अब वह हमारे ग्रह के नजदीक साल 2214 में आएगा. इसलिए वैज्ञानिकों के लिए पिछले तीन दिन बेहद महत्वपूर्ण थे, वो बड़े-बड़े टेलिस्कोप से इस धूमकेतु को देख रहे थे. इसे देखने के लिए लोगों को जेमिनी नक्षत्र में स्थित सबसे चमकीले तारे पोलक्स (Pollux) की ओर देखना होगा. 

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ये है यूरोपियन स्पेस एजेंसी के रोजेटा स्पेसक्राफ्ट द्वारा ली गई कॉमेट 67पी की तस्वीर. (फोटोः ESA)

कॉमेट 67पी के बारे में अंतरराष्ट्रीय मीडिया की नजर तब गई जब यूरोपियन स्पेस एजेंसी के रोजेटा मिशन ने इस बर्फीली वस्तु के चारों तरफ पहला चक्कर 2014 में लगाया था. रोजेटा स्पेसक्राफ्ट ढाई साल तक इस कॉमेट के बेहद नजदीक उड़ते हुए इसकी जानकारी जमा कर रहा था. इसके आकार, पूंछ, रसायनिक मिश्रण आदि की सूचना जमा करता रहा. 

पहली बार किसी धूमकेतु की सतह पर उतारा गया था प्रोब

इस मिशन की सबसे खास बात ये थी कि रोजेटा से एक छोटा प्रोब फिले (Philae) कॉमेट 67पी पर उतरा था. यह पहली बार था कि जब किसी धूमकेतु के ऊपर कोई यंत्र उतारा गया हो. धूमकेतु पर उतरने के बाद फिले दो बार उछला था. लेकिन इसके बाद इस प्रोब ने बिना किसी नुकसान के काम करना शुरु किया. लेकिन ज्यादा देर कर नहीं पाया. थोड़ी देर बाद ही प्रोब में लगे हार्पून यानी जमीन से चिपकने वाले पैर खराब हो गए. 

फिले झटके खाते हुए धूमकेतु के एक क्लिफ में फंस गया. दो दिन बाद उसकी ऊर्जा खत्म हो गई. साथ उसका जीवन भी. यह जून 2015 में कुछ समय के लिए जिंदा हुआ था, क्योंकि उस समय प्रोब के सोलर पैनल को सूर्य से ऊर्जा मिली थी. रोजेटा और फिले ने मिलकर कॉमट 67पी का अध्ययन बेहद बारीकी से किया है. 

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आखिरी दम तक काम करता रहा रोजेटा स्पेसक्राफ्ट

मिशन के अंत में रोजेटा ऑर्बिटर कॉमेट 67पी की सतह पर क्रैश लैंड हुआ. मरते-मरते उसने कई शानदार तस्वीरें और आंकड़े भेजे. असल में यह कॉमेट एक छोटे बत्तख के आकार का दिखता है. इसके ऊपर फिले गिरने के बाद दो बार ऐसे उछला जैसे रबर पर गिरने से कोई वस्तु उछलती है. इसलिए इसका नाम रोजेटा रबर डकी पड़ा है. 

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