
नेपाल (Nepal) के एक अधिकारी ने रविवार को जानकारी दी कि रूस के एक पर्वतारोही पावेल कोस्ट्रिकिन (Russian Climber Pavel Kostrikin) की माउंट एवरेस्ट (Mount Everest) के कैंप I में मौत हो गई है. दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर, मार्च में शुरू हुए चढ़ाई के इस सीज़न में यह किसी विदेशी की मौत की पहला मामला है.
नेपाल के पर्यटन विभाग के अधिकारी भीष्म कुमार भट्टाराई ने कहा कि कोस्ट्रीकिन की उम्र 55 साल थी. उनकी मौत शनिवार को करीब 5,360 मीटर (17,585 फीट) की ऊंचाई पर बने कैंप में हुई, जब वे 8,848 मीटर (29,031 फीट) ऊंचे पहाड़ का चक्कर लगा रहे थे.
उन्होंने आगे कहा कि रूसी पर्वतारोही कोस्ट्रीकिन कैंप II में बीमार पड़ गए थे. लेकिन कैंप I में लाने के बाद, उनकी मौत हो गई. एवरेस्ट पर सामान्य दक्षिणपूर्व रिज रूट पर कैंप II लगभग 6,400 मीटर (20,997 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है. हाइकिंग अधिकारियों का कहना है कि मौसम के ठीक होने पर कोस्ट्रीकिन के शव को काठमांडू लाया जाएगा.
शनिवार को भी एक भारतीय पर्वतारोही की नेपाल के माउंट कंचनजंगा (Mount Kanchenjunga) पर चढ़ाई के दौरान मौत हो गई. यह दुनिया का तीसरा सबसे ऊंचा पर्वत है. 52 वर्षीय नारायणन अय्यर गुरुवार को 8,586 मीटर (28,169 फीट) की चोटी पर पहुंचने की कोशिश कर रहे थे. इसी दौरान समुद्र तल से लगभग 8,200 मीटर (26,900 फीट) की ऊंचाई पर उनकी मौत हो गई. पिछले महीने यूनान के एक पर्वतारोही और एक नेपाली शेरपा गाइड की भी मौत हो गई थी.
आपको बता दें कि द हिमालयन डेटाबेस (The Himalayan Database) के मुताबिक, माउंट एवरेस्ट को पहली बार 1953 में नेपाल और तिब्बत, दोनों पक्षों की तरफ से स्केल किया गया था. इसके बाद से हिमालय पर 10,657 बार चढ़ाई की गई है. चढ़ाई में अब तक 311 लोगों की मौत हो चुकी है.
दुनिया के 14 सबसे ऊंचे पहाड़ों में से आठ नेपाल में हैं. नेपाल के टूरिज़्म में माउंटेन क्लाइंबिंग (Mountain climbing) सबसे खास है. साथ ही, यह रोजगार और आय का प्रमुख स्रोत भी है. मौजूदा सीज़न मई में खत्म हो रहा है. नेपाल में इस सीज़न के लिए, 900 से ज़्यादा विदेशी पर्वतारोहियों को हिमालय की 26 चोटियों पर चढ़ने की इजाज़त दी गई है, इसमें एवरेस्ट के लिए 316 परमिट शामिल हैं.