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क्यों किसी बात पर सिर हिलाकर हां-ना कहते हैं एशियाई, जानें हेड-नॉड का विज्ञान

किसी बात पर राजी होने पर जोरों से सिर ऊपर-नीचे करना, या फिर न कहने के लिए सिर को दाएं-बाएं घुमाना- कम्युनिकेशन का ये तरीका हमारे देश में दो अलग-अलग भाषाएं जानने वालों के बीच भी ब्रिज का काम करता है. हेड नॉड या हेड शेक एक तरह की भाषा है. एक्सपर्ट इसे हेड वॉबल भी कहते हैं, जो एक खास तरह का विज्ञान है.

सिर हिलाकर संवाद के तरीके पर वैज्ञानिक चार्ल्स डार्विन ने भी स्टडी की थी. सांकेतिक फोटो (Unsplash) सिर हिलाकर संवाद के तरीके पर वैज्ञानिक चार्ल्स डार्विन ने भी स्टडी की थी. सांकेतिक फोटो (Unsplash)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 31 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 7:44 AM IST

सिर हिलाकर कोई बात दूसरे तक पहुंचा देना कोई नया तरीका नहीं, बल्कि इसकी शुरुआत काफी पहले हो चुकी थी. इसपर सबसे पहला लिखित डॉक्यूमेंट वैज्ञानिक चार्ल्स डार्विन का मिलता है जिन्होंने साल 1872 में एक्सप्रेशन ऑफ द इमोशन्स इन मैन एंड एनिमल नाम से पर्चा लिखा. इसमें दावा किया गया कि छोटे इंसानी बच्चे जन्म के कुछ समय बाद ही सिर हिलाकर अपनी भूख या अकेलापन जाहिर करते हैं. वहीं पशुओं, खासकर कबूतर या उसी तरह के पंक्षियों में सिर हिलाना उन्हें चलने और सतर्क रहने में मदद करता है. लाइब्रेरी ऑफ कांग्रेस के मुताबिक अगर पक्षियों में ऐसी कोई चीज लगा दी जाए जिससे वे सिर नहीं हिला सकें तो वे चलना-फिरना भी लगभग बंद कर देंगे.

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अपनी बात करें तो हेड शेकिंग को नॉन-वर्बल कम्युनिकेशन के तहत रखा जाता है यानी संवाद का वो तरीका जिसमें शब्द नहीं होते लेकिन बात पूरी हो जाती है. मिसाल के तौर पर किसी बात को लेकर नाराजगी या असहमति जताने के लिए बहुत से लोग सिर को दाएं से बाएं, बाएं से फिर दाएं ले जाते हैं. बस इतना काफी है. इसके बाद ये बताने की जरूरत नहीं कि फलां बात पर हम राजी नहीं हैं, या इनकार कर रहे हैं. 

सिर हिलाने की अदा सिर्फ भारतीयों तक सीमित नहीं, बल्कि कई दूसरे देशों में भी संवाद का ये तरीका खूब चलता है. खासकर एशियाई देशों, जैसे पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल में इसके वही मायने हैं, जो हमारे यहां हैं. लेकिन इसके बाद बात बदल जाती है. साइप्रस में घूमते हुए अगर आप सिर हिलाने लगें तो इसका मतलब है कि आप किसी को अंतिम विदाई दे रहे हैं. बल्गेरिया में सिर हिलाने के तरीके का मतलब हमसे बिल्कुल उलट है. यहां दाएं-बाएं सिर घुमाना यानी किसी बात पर राजी होना. यही पैटर्न ग्रीस, इरान, लेबनान, तुर्की और इजिप्ट में भी है. 

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कबूतर देखने और चलते हुए संतुलन बनाने के लिए सिर घुमाते हैं. सांकेतिक फोटो (Pixabay)

इजरायल में बात करते हुए आप सिर हिलाकर टोकें न तो इसका मतलब ये लिया जाता है कि आपको बातचीत में कोई दिलचस्पी नहीं. ये तरीका हमसे काफी अलग है, जहां टोकने पर हममें से बहुतों को गुस्सा आ जाता है और मान बैठते हैं कि सामने वाले को बात पसंद नहीं आ रही. 

ये तो हुए अलग-अलग देशों में हेड-नॉड के मायने लेकिन क्या आप जानते हैं कि नॉन-वर्बल कम्युनिकेशन के तहत आने वाला ये तरीका एक खास श्रेणी में आता है. दरअसल बिना बोले अपनी बात कहने के 5 टाइप्स हैं. इसमें चेहरे के हावभाव, जेस्चर्स (भंगिमाएं), पैरालिंग्विस्टिक्स (आवाज का उतार-चढ़ाव), प्रोक्सेमिक्स यानी स्पेस की जरूरत और आंखों का इशारा शामिल हैं. हेड नॉड यानी सिर हिलाने की आदत दो श्रेणियों के तहत आती है- बॉडी लैंग्वेज और जेस्चर्स.

हमारे लिए बेहद सहज ये आदत अक्सर विदेशी सैलानियों के लिए परेशानी लेकर आती है. वे मुश्किल से समझ पाते हैं कि किस बात पर हम राजी हैं, और किससे इनकार कर रहे हैं. लगभग दशकभर पहले आउटसोर्स्ड नाम से एक अमेरिकी सिटकॉम आया था. इसके एक एपिसोड में हेड नॉडिंग की एशियाई शैली पर बात हुई थी. वैसे समाजशास्त्र के जानकारों से बात करें तो वे दावा करते हैं कि चूंकि हिंदुस्तान जैसे देश में बड़ों की बात काटना अच्छा नहीं माना जाता, तो बोलकर ऐसा करने की बजाए नॉन-वर्बल कम्युनिकेशन का सहारा लिया जाने लगा. इससे हम डायरेक्ट रूड होने से भी बच जाते हैं और अपनी राय भी रख देते हैं.

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