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दिमाग के किस हिस्से में रहती हैं पुरानी डरावनी यादें... वैज्ञानिकों ने पता किया

हमारे दिमाग में बुरी यादें कहां रहती हैं, ये बात वैज्ञानिकों ने पता कर लिया है. क्योंकि घटना हो जाने के कई साल बाद भी यादें आपको सताती रहती हैं. जिसकी वजह से लोगों को पोस्ट ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिस्ऑर्डर हो जाता है. या फिर वैसे ही लक्षण दिखते हैं. जानिए हमारे ब्रेन में ये बुरी यादें कहां छिपी रहती हैं?

डर से जुड़ी यादें दिमाग में ऐसे महत्वपूर्ण हिस्से में छिपी होती हैं कि आप सोच भी नहीं सकते. (फोटोः गेटी) डर से जुड़ी यादें दिमाग में ऐसे महत्वपूर्ण हिस्से में छिपी होती हैं कि आप सोच भी नहीं सकते. (फोटोः गेटी)
aajtak.in
  • सैन फ्रांसिस्को,
  • 05 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 6:37 PM IST

कोई भी बुरा हादसा, घटना या मौका आपको सालों तक क्यों परेशान करता है? क्योंकि उससे जुड़ी बुरी और डरावनी यादें आपके दिमाग के एक हिस्से में छिपी रहती हैं. जो बीच-बीच में बाहर आती हैं, जिससे आपकी मानसिक और शारीरिक सेहत बिगड़ने लगती है. ऐसी हालत आमतौर पर पोस्ट ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिस्ऑर्डर (PTSD) की वजह से होती है. 

असल में दिमाग का हिप्पोकैंपस (Hippocampus) वो इलाका होता है, जहां पर यादें बनती हैं. लेकिन अभी तक किसी को ये नहीं पता था कि डरावनी यादें दिमाग के किस हिस्से में स्टोर होती आई हैं. ये क्यों बार-बार मौके-बेमौके बाहर निकल आती हैं. हाल ही में अमेरिका के यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के वैज्ञानिकों ने हाल ही में एक स्टडी की, जिसमें पता किया कि दिमाग में बुरी यादें कहां छिपी रहती हैं. 

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आपको जानकर हैरानी होगी ये बुरी यादें हमारे दिमाग के बेहद प्रमुख हिस्से में घर बनाती हैं. ये सभी बुरी यादें आपस में एक जाल बनाकर गुथी रहती हैं. एक निकलती है बाहर तो बाकी की भी एक-एक करके बाहर आने लगती हैं. वैज्ञानिकों ने ये भी पता करने की कोशिश की है कि इनका इलाज कैसे किया जा सकता है. उन्होंने एक चूहे को लिया जिसके दिमाग के नर्व सेल्स को इंजीनियर्ड किया गया था. ताकि डर या दर्द की अवस्था में उसके रेसपॉन्स को देखा जा सके. 

दिमाग की उस जगह को देखा जा सके जहां पर यह खास नर्व एक्टिव होती है. इसके बाद इसे बिजली के झटके दिए गए. फिर छोड़ दिया गया. एक महीने बाद जब चूहे को वापस उसी जगह पर लाया गया तो वह मूर्ति की तरह रुक गया है. इसका दिमाग एक्टिव हो गया. उसका इंजीनियर्ड नर्व सेल सक्रिय हो गया. जब वैज्ञानिकों ने चूहे के दिमाग के कई सैंपल लिए तो हैरान रह गए. ये डरावनी यादें दिमाग के उस हिस्से में छिपी रहती हैं, जहां से आप कोई फैसला लेते हैं. 

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न्यूरोसाइंटिस्ट जुन-हीयोंग चो कहते हैं कि फैसला लेने वाले दिमाग के हिस्से को प्री-फ्रंटल कॉर्टेक्स (PFC) कहते हैं. यानी जब आप उस जगह पर पहुंचते हैं जहां आपको किसी तरह का दर्द मिला था. या फिर आपकी कोई डरावनी याद है तो आपके दिमाग के अंदर से डरावनी यादें बाहर आने लगती हैं. आपको ट्रॉमैटिक स्ट्रेस होने लगता है. डर की वजह से दिमाग के न्यूरॉन्स का सर्किट बिगड़ जाता है. 

जुन-हीयोंग चो ने बताया कि बिजली के झटके की तरह अन्य डरावनी यादें भी इंसान के दिमाग के प्री-फ्रंटल कॉर्टेक्स में छिप सकती हैं. जब भी वैसी घटना, जगह से इंसान गुजरता है तो उसकी पुरानी डरावनी यादें बाहर आ जाती हैं. लेकिन इसका नुकसान ये है कि इसकी वजह से प्री-फ्रंटल मेमोली का सर्किट बिगड़ता है. इससे आप बाकी अच्छी घटनाओं को चाहकर भी याद नहीं कर पाते. उन्हें भूलने लगते हैं. 

अमेरिका की आबादी का करीब 6 फीसदी हिस्सा पोस्ट ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिस्ऑर्डर (PTSD) का शिकार है. इस स्टडी से यह मदद मिलेगी कि अलग-अलग इंसानों को उनके डर और पुरानी बुरी यादों से कैसे ठीक किया जाए. साथ ही पीटीएसडी जैसी बीमारियों का इलाज कैसे किया जाए. यह स्टडी हाल ही में नेचर न्यूरोसाइंस में प्रकाशित हुई है. 

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