
वैज्ञानिक बहुत समय से इस बात की चेतावनी दे रहे हैं कि पृथ्वी पर समुद्र का जल स्तर बढ़ रहा है. इससे छोटे- छोटे द्वीप और कई देशों पर आफत आ सकती है. हाल ही में नासा (NASA) ने एक आकलन किया है जिससे पता चलता है कि समुद्र का स्तर केवल 30 सालों में 9 सेंटीमीटर से ज़्यादा बढ़ गया है.
9 सेंटीमीटर हो सकता है लोगों को एक छोटी सी संख्या नज़र आती हो, लेकिन वास्तव में ये एक बुरी खबर है. 1993 के बाद से समुद्र में कुल 9.1 सेंटीमीटर की वृद्धि हुई है. दो साल पहले ये 0.27 सेंटीमीटर बढ़ा था. साल 2021 से 2022 तक की वृद्धि तुलनात्मक रूप से छोटी लग सकती है, लेकिन इसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता.
वर्ल्ड मीटियरोलॉजिकल ऑर्गनाइजेशन (WMO) की ताजा रिपोर्ट में भी चेताया गया है कि दुनिया में अगर समुद्र का स्तर इसी तरह बढ़ता रहा, तो दुनिया के बड़े शहर डूब जाएंगे. इन शहरों में मुंबई, शंघाई, ढाका, बैंकॉक, जकार्ता, मापुटो, लागोस, कायरो, लंदन, कोपेनहेगन, न्यूयॉर्क, लॉस एंजिल्स, ब्यूनोस एयर्स और सैनटियागो जैसे शहरों को खतरा है.
समय-समय पर महासागरों को ठंडा करने वाले प्राकृतिक प्रभाव जैसे ला नीना (La Niña) के कारण होने वाले बदलाव को भी ध्यान में रखा जाए, तो भी समुद्र बढ़ रहा है. लंबे समय से सैटेलाइट मेज़रमेंट के आधार पर, 2050 तक समुद्र के स्तर में वृद्धि की अनुमानित दर 0.66 सेंटीमीटर प्रति वर्ष तक पहुंच जाएगी.
समुद्र के जलस्तर में वृद्धि की वजह हम हैं
निसंदेह, प्रकृति में हो रहे इन बदलावों के लिए मानव जनित जलवायु परिवर्तन ही जिम्मेदार है. यह कार्बन डाइऑक्साइड जैसी ग्रीनहाउस गैसों की अधिक मात्रा की वजह से हो रहा है, जिसे इंसान वातावरण में छोड़ रहा है. जलवायु परिवर्तन से होने वाले दुष्प्रभाव दुनिया भर में दिखने लगे हैं. इनमें पृथ्वी की बर्फ की चादरों और ग्लेशियरों का पिघलना साफ तौर पर देखा जा सकता है.
अंटार्कटिका (Antarctica) की समुद्री बर्फ लगातार दूसरे साल अपने सबसे न्यूनतम स्तर तक पहुंच गई है. जिसे लेकर वैज्ञानिकों ने चिंता जताई है. आज समुद्र के स्तर में वृद्धि के लिए ग्रीनलैंड आइस शीट का पिघलना है. ऐसा इसलिए है क्योंकि इसका पानी और अंटार्कटिक बर्फ का पानी, सागर में ताज़ा पानी बढ़ाता है,जबकि गर्मी होने से समुद्री जल बढ़ जाता है.
राडार अल्टीमीटर से मापा गया जलस्तर
समुद्र की ऊँचाई को ट्रैक करने का सबसे अच्छा और सटीक तरीका सैटेलाइट है. US-French TOPEX/Poseidon मिशन ने 1993 में समुद्र की सतह की ऊंचाई को मापना शुरू किया. तब से, NASA, ESA, और US नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (NOAA) के मिशन, समुद्र-स्तर पर नज़र बनाए हुए हैं. इनमें राडार अल्टीमीटर जैसे आधुनिक उपकरण दुनिया भर में समुद्र के स्तर को पहले से भी ज़्यादा सटीक माप सकते हैं.
NASA Assessment Finds Sea Levels Have Risen Over 9 Centimeters in Just 30 Years https://t.co/kLqcAekqcV
— ScienceAlert (@ScienceAlert) April 5, 2023बढ़ते जल स्तर से भारत कितना प्रभावित
वर्ल्ड मीटियरोलॉजिकल ऑर्गनाइजेशन (WMO) की रिपोर्ट में भारत के लिए भी चेतावनी दी गई थी. इसमें कहा गया है कि बढ़ते समुद्री जल स्तर से भारत को भी खतरा है. यहां सबसे ज्यादा खतरा मुंबई को है. 2021 में इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज यानी IPCC ने एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसके आधार पर RMSI ने अनुमान लगाया था कि बढ़ते समुद्री जल स्तर की वजह से 2050 तक मुंबई, कोच्चि, मंगलौर, चेन्नई, विशाखापट्टनम तिरुवनंतपुरम समेत कई शहर डूब सकते हैं. पूरी तरह नहीं, बल्कि निचले तटीय इलाकों में बसे गांव और इलाके प्रभावित हो सकते हैं. भारत में 7,500 किलोमीटर लंबी तटीय सीमा है जहां घनी आबादी बसी हुई है, इसलिए समुद्री जल स्तर बढ़ने को हल्के में नहीं लिया जा सकता.