साइबेरियन टुंड्रा अगले 500 सालों में खत्म हो जाएगा, वैज्ञानिकों की स्टडी 

Global Warming का असर साइबेरियन टुंड्रा (Siberian tundra) पर भी पढ़ने लगा है. वैज्ञानिकों ने एक शोध के आधार पर चेतावनी दी है, कि हालात अगर सुधरे नहीं तो 500 साल के अंदर साइबेरियन टुंड्रा गायब हो जाएगा.

Advertisement
ग्लोबल वार्मिंग बन रही है साइबेरियन टुंड्रा के लिए खतरा (Photo: Getty) ग्लोबल वार्मिंग बन रही है साइबेरियन टुंड्रा के लिए खतरा (Photo: Getty)

aajtak.in

  • बर्लिन,
  • 07 जून 2022,
  • अपडेटेड 7:40 PM IST
  • साइबेरियन टुंड्रा 2500 तक गायब हो सकता है
  • ग्लोबल वार्मिंग कर रही प्रभावित

वैज्ञानिकों ने चिंता जताई है कि अगर ग्रीनहाउस गैसों (Greenhouse gases) का उत्सर्जन कम नहीं होता, तो साइबेरियन टुंड्रा (Siberian tundra) साल 2500 तक गायब हो सकता है. स्थितियां अच्छी रहती हैं, तो भी इस लैंडस्केप का दो-तिहाई हिस्सा गायब हो सकता है. जैसे ही टुंड्रा का पर्माफ्रॉस्ट कवर पिघलेगा, यह भारी मात्रा में ग्रीनहाउस गैस वातावरण में छोड़ेगा, जिससे दुनिया भर में वार्मिंग और बढ़ सकती है. 

Advertisement

जर्मनी के ब्रेमरहेवन (Bremerhaven, Germany) में अल्फ्रेड वेगेनर इंस्टीट्यूट (एडब्ल्यूआई) हेल्महोल्ट्ज सेंटर फॉर पोलर एंड मरीन रिसर्च (Alfred Wegener Institute Helmholtz Centre for Polar and Marine Research) के इकोलॉजिस्ट और फॉरेस्ट मॉडलर स्टीफन क्रूस (Stefan Kruse) का कहना है कि यह देखना हमारे लिए आश्चर्यजनक था कि टुंड्रा कितनी जल्दी जंगल में बदल जाएगा. टुंड्रा का खत्म होना न केवल जैव विविधता (Biodiversity) और मानव सभ्यता के लिए खतरनाक होगा, बल्कि आर्कटिक वार्मिंग (Arctic warming) को भी प्रभावित करेगा. 

अच्छी स्थितियों में भी इस लैंडस्केप का दो-तिहाई हिस्सा गायब हो सकता है.(Photo: Getty)

आर्कटिक में वार्मिंग हाल के दशकों में तेजी से बढ़ी है. नेशनल स्नो एंड आइस डेटा सेंटर ( National Snow and Ice Data Center- NSIDC) के मुताबिक, 1960 से 2019 के बीच, आर्कटिक क्षेत्र में तापमान करीब 4 डिग्री सेल्सियस बढ़ गया. इससे समुद्री बर्फ का आवरण कम हो गया. 

Advertisement

स्टीफन क्रूस और उनके साथी, AWI प्रोफेसर उलरिक हर्ज़स्चुह (Ulrike Herzschuh) ने एक नया कंप्यूटर मॉडल बनाया है जो साइबेरियन टुंड्रा के पूरे 2,485 मील लंबे (4,000 किमी) के फैलाव के बारे में बताता है. मॉडल अलग-अलग पेड़ों के जीवन चक्रों को ध्यान में रखता है कि वे अपने बीजों को कितनी दूर तक फैला सकते हैं, वे बाकी पेड़ों के साथ कितनी अच्छी तरह बढ़ेंगे, तापमान, बारिश और पर्माफ्रॉस्ट के आधार पर पेड़ों के विकास पर क्या असर होगा वगैरह.

  साइबेरियन टुंड्रा 2,485 मील तक फैला हुआ है (Photo: Getty)

शोधकर्ताओं ने पाया कि एक बार अगर पेड़ वार्मिंग की वजह से उत्तर की ओर बढ़ना शुरू कर देंगे, तो वे ऐसा तेजी से करेंगे और तापमान ठंडा होने पर उनके फिर से पीछे हटने की संभावना नहीं होगी. अगर कार्बन उत्सर्जन 2100 तक शून्य हो जाए और वैश्विक तापमान वृद्धि 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे रहे, तो आज के टुंड्रा का केवल 32.7% ही 2500 तक रहेगा. और यह दो मिनी-टुंड्रा में बंट जाएगा- एक सुदूर पूर्व में चुकोटका में और एक सुदूर उत्तर में तैमिर प्रायद्वीप पर.

 

ईलाइफ (eLife) जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट में शोधकर्ताओं ने बताया है कि अगर गर्मी बढ़ती है, तो पेड़ उत्तर की तरफ 30 किमी तक फैल सकते हैं. हालांकि इस शोध में यह नहीं बताया गया है कि टुंड्रा में रहने वालों के साथ क्या होगा. इसका पता नहीं चला है कि वन विस्तार उनके प्रवास और जीवन चक्र को कैसे प्रभावित कर सकता है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement