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जमीन के नीचे हाइड्रोजन का खजाना... 2% गैस से 200 साल तक पूरी दुनिया को मिलेगी बिजली

पृथ्वी की सतह के नीचे वैज्ञानिको को हाइड्रोजन का खजाना मिला है. इसका थोड़ा हिस्सा ही पूरी धरती पर 200 साल तक बिजली सप्लाई कर सकता है. फॉसिल फ्यूल की जरूरत ही खत्म हो जाएगी. ये हाइड्रोजन पत्थरों और जमीन के नीचे स्रोतों में मौजूद है. ये धरती पर मौजूद तेल से 26 गुना ज्यादा है.

वैज्ञानिकों ने जमीन के नीचे भारी मात्रा में हाइड्रोजन सोर्स का पता किया है. इससे फॉसिल फ्यूल का इस्तेमाल बंद हो सकता है. (प्रतीकात्मक फोटोः गेटी) वैज्ञानिकों ने जमीन के नीचे भारी मात्रा में हाइड्रोजन सोर्स का पता किया है. इससे फॉसिल फ्यूल का इस्तेमाल बंद हो सकता है. (प्रतीकात्मक फोटोः गेटी)
आजतक साइंस डेस्क
  • नई दिल्ली,
  • 16 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 5:10 PM IST

धरती की सतह के नीचे हाइड्रोजन का पहाड़ है. वैज्ञानिकों का मानना है कि इसका थोड़ा इस्तेमाल भी किया तो 200 साल तक जीवाश्म ईंधन (Fossil Fuels) की जरूरत नहीं पड़ेगी. हमारी धरती की सतह के नीचे करीब 6.3 लाख करोड़ टन हाइड्रोजन मौजूद है. ये पत्थरों और अंडरग्राउंड रिजरवॉयर में है. 

ये हाइड्रोजन धरती पर मौजूद तेल से 26 गुना ज्यादा है. लेकिन दिक्कत ये है कि वैज्ञानिकों को इस हाइड्रोजन की सटीक लोकेशन नहीं पता है. जिसका पता चला है वो या तो समंदर में तट से बहुत दूर है. या फिर बहुत ही ज्यादा गहराई में. इनकी मात्रा भी ज्यादा नहीं है, इसिलए यहां से हाइड्रोजन निकालना फायदेमंद नहीं है. 

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USGS के पेट्रोलियम जियोकेमिस्ट ज्योफ्री एलिस ने कहा कि हाइड्रोजन भारी मात्रा में मौजूद है. ये क्लीन एनर्जी का सबसे बड़ा सोर्स है. खासतौर से इससे गाड़ियों को चलाने में फायदा है. यह बिजली पैदा कर सकता है. इतने बड़े हाइड्रोजन स्टॉक का मात्र 2 फीसदी हिस्सा यानी 124 करोड़ टन पूरी दुनिया को नेट जीरो उत्सर्जन तक ले जा सकता है. वह भी 200 वर्षों तक. यानी कहीं से कोई प्रदूषण नहीं. पूरी दुनिया को छुटकारा मिल जाएगा इससे. 

एक किलो हाइड्रोजन इतने ही पेट्रोल से ज्यादा ऊर्जा देता है

जियोलॉजिस्ट सारा जेलमैन ने कहा कि जीवाश्म ईंधन के बराबर हाइड्रोजन की मात्रा से दोगुना ऊर्जा मिलती है. सारा और ज्योफ्री की स्टडी हाल ही में साइंस एडवांस जर्नल में छपी है. हाइड्रोजन की मात्रा का पता करने के लिए दोनों वैज्ञानिकों ने धरती से निकलने वाले हाइड्रोजन का मॉडल बनाया. तब पता चला. 

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जमीन के नीचे प्राकृतिक तरीके से बनता रहता है हाइड्रोजन

ज्योफ्री ने बताया कि पत्थरों के बीच रासायनिक प्रक्रिया यानी केमिकल रिएक्शन की वजह से हाइड्रोजन बनता है. पानी जब दो हिस्सों में बंटता है, तब हाइड्रोजन और ऑक्सीजन निकलता है. प्रकृति में दर्जनों प्रक्रियाएं ऐसी होती हैं, जिनसे हाइड्रोजन पैदा होता है. लेकिन उनकी मात्रा बहुत कम होती है. 

जब पश्चिमी अफ्रीका और अल्बानिया के क्रोमियम खदान में वैज्ञानिकों को भारी मात्रा में हाइड्रोजन मिला था, तब से वैज्ञानिक इस स्टडी में लग गए कि धरती की निचली सतह पर हाइड्रोजन की खोज की जाए.  

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