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Monsoon Rain Updates: दक्षिण भारत में पिछले महीने सबसे कम बारिश, 122 साल का रिकॉर्ड टूटा

122 साल के बाद दक्षिण भारत में जून का महीना सूखा रहा. यानी मॉनसूनी बारिश उम्मीद से बेहद कम हुई. बिपरजॉय की वजह से मॉनसूनी बादलों ने दक्षिण भारत में बेरुखी दिखाई. लेकिन कम समय में ही पुरे देश में मॉनसून फैल गया. वैज्ञानिक हैरान हैं इस मॉनसूनी बादलों के इस बेमौसमी बदलाव को देखकर...

केरल में अच्छी बारिश का रिकॉर्ड रहता था, वहां भी इस बार कम बारिश हुई है. (सभी फोटोः गेटी) केरल में अच्छी बारिश का रिकॉर्ड रहता था, वहां भी इस बार कम बारिश हुई है. (सभी फोटोः गेटी)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 06 जुलाई 2023,
  • अपडेटेड 10:54 AM IST

दक्षिण भारत में मॉनसून ने बेरुखी दिखाई है. पिछले महीने सबसे कम पानी बरसने का 122 साल का रिकॉर्ड बनाया है. भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के मुताबिक इसकी वजह चक्रवाती तूफान बिपरजॉय और अन्य हवाओं के सिस्टम थे. जिसकी वजह से मॉनसूनी हवाओं के बहाव पर असर पड़ा है. 

दक्षिण भारत में जून महीने में सिर्फ 88.6 मिलिमीटर बारिश हुई है. जो कि 1971 से 2020 तक इस महीने में हुई औसत बारिश से 45 फीसदी कम है. मॉनसून के तेजी से आगे बढ़ने के बाद भी दक्षिण भारतीय राज्यों में बारिश कम हुई है. पूरे देश में ही जून महीने में 10 फीसदी कम बारिश हुई है. 

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4 जुलाई 2023 तक दक्षिण भारत के चार राज्यों में कम बारिश का जो आंकड़ा है. वो इस प्रकार है- तेलंगाना में 53 फीसदी की कमी, केरल में 52 फीसदी की कमी, कर्नाटक में 44 फीसदी की कमी और आंध्र प्रदेश में 26 फीसदी की कमी. तेलंगाना के 12 जिलों में बारिश 60 फीसदी से ज्यादा कम थी. 17 जिलों में 20 से 59 फीसदी की कमी दर्ज की गई. सिर्फ चार जिले ऐसे हैं जहां पर सामान्य बारिश हुई है. 

DTE में छपी रिपोर्ट के अनुसार केरल के चार जिलों में बेहद कम बारिश हुई है. जबकि 9 में मध्यम दर्जे की कमी महसूस की गई. सिर्फ एक ही जिले में सामान्य बारिश हुई है. केरल में प्री-मॉनसून सीजन में 34 फीसदी कम बारिश हुई थी. केरल दक्षिण भारत का सबसे ज्यादा बारिश वाला राज्य है. लेकिन इस बार वहां भी बारिश की भारी कमी दर्ज की गई है. पश्चिमी घाट के लिए प्रसिद्ध इस राज्य में मार्च से अब तक ढंग से बारिश नहीं हुई है. 

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मॉनसून अपने तय समय से एक हफ्ते बाद आया. कुछ दिन तक तो वो ठीक गति से चल रहा था. लेकिन बाद में दक्षिणी प्रायद्वीप पर रुक गया. इसके बाद इसने 21-22 जून से फिर गति पकड़ी. 2 जुलाई तक उसने पूरे देश को कवर कर लिया. पूरे देश को कवर करने के लिए 8 जुलाई की तारीख अनुमानित थी. लेकिन मॉनसून ने छह दिन पहले ही पूरे देश को कवर कर लिया था. 

जनवरी से अब तक अरब सागर के तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस बढ़ा है. इसलिए चक्रवाती तूफान बिपरजॉय 10 दिनों तक टिका हुआ था. इतने दिन तक अगर कोई तूफान रुकता है तो वह मॉनसूनी हवाओं, उसकी गति और बादलों को रोक सकता है. दिशा बदल सकता है. या फिर उनकी गति में कमी या तेजी ला सकता है. इसलिए ही मॉनसून मुंबई और दिल्ली में एक साथ पहुंचा था. 

चक्रवाती तूफान बिपरजॉय और हवाओं के अन्य सिस्टम्स की वजह से मॉनसून ने पूरे देश को जल्दी कवर कर लिया. क्योंकि गर्म अरब सागर मॉनसूनी बादलों को सपोर्ट कर रहा है. जुलाई में भी तमिलनाडु और दक्षिणी कर्नाटक के इलाके में सामान्य से कम बारिश का अनुमान है. इसके अलावा अच्छी बारिश पर अल-नीनो का असर भी देखने को मिल सकता है. हालांकि मौसम विभाग ने अभी तक अल-नीनो स्थिति की घोषणा नहीं की है. 

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