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SpaceX ने रचा इतिहास... जहां से लॉन्च हुआ रॉकेट वहीं आकर लैंडिंग, वो भी लॉन्च पैड की 'बांहों में'

SpaceX के स्टारशिप रॉकेट की पांचवीं लॉन्चिंग सफल रही. ये कहीं फटा नहीं. आराम से मेक्सिको की खाड़ी में ऊपर गया. वापस लौटते समय इसे लॉन्च पैड के मैकेनिकल आर्म्स ने हवा में पकड़ा. यानी बूस्टर पूरी तरह से जमीन पर नहीं उतरा. यह लॉन्च पैड के आर्म्स में लटक गया. इसके लिए स्पेसएक्स कई सालों से प्रयास कर रहा था.

ये है स्टारशिप बूस्टर जिसे लॉन्च पैड मैकेनिकल आर्म्स मेकाजिला ने पकड़ रखा है. (फोटोः SpaceX) ये है स्टारशिप बूस्टर जिसे लॉन्च पैड मैकेनिकल आर्म्स मेकाजिला ने पकड़ रखा है. (फोटोः SpaceX)
आजतक साइंस डेस्क
  • नई दिल्ली,
  • 14 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 9:20 AM IST

स्पेसएक्स के पांचवें स्टारशिप की लॉन्चिंग और लैंडिंग ने इतिहास रच दिया है. लॉन्चिंग तो सामान्य पहले के चार स्टारशिप रॉकेटों की तरह ही थी लेकिन लैंडिंग खास थी. इस बार स्टारशिप का बूस्टर यानी पहला स्टेज समंदर में तैरते प्लेटफॉर्म या लॉन्च पैड पर लैंड नहीं हुआ. वह जमीन को छू भी नहीं पाया. इससे पहले लॉन्च पैड के मैकेनिकल आर्म्स Mechazilla ने उसे हवा में ही पकड़ लिया. भविष्य में यही तकनीक स्पेसएक्स अपने लॉन्च में करेगा. 

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स्पेसएक्स के सीईओ और मालिक Elon Musk ने इस बार चुनौती का स्तर बढ़ा दिया था. उन्होंने बूस्टर की लैंडिंग के लिए मैकेनिकल आर्म्स का इस्तेमाल कराया. वह भी लॉन्चिंग से सिर्फ सात मिनट के अंदर.  इस बार लॉन्च पैड में विशालकाय और मजबूत आर्म्स लगाए गए थे. जिन्होंने 232 फीट लंबे बूस्टर को चॉपस्टिक की तरह खुद में फंसा लिया. मेकाजिला एक तरह की मैकेनिकल बांह हैं, जो रॉकेट बूस्टर को नजदीक आते ही पकड़ लेता है.

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बूस्टर भी अंतरिक्ष से इस तरह आया जैसे, उसे इन्हीं आर्म्स में आकर रुकना हो. जैसे ही ये बूस्टर आकर लॉन्च पैड के आर्म्स में रुका, स्पेसएक्स के कर्मचारी चिल्लाने लगे. एलन मस्क ने अपने X हैंडल पर लिखा कि टावर ने रॉकेट को पकड़ लिया. इस खतरनाक और नए लैंडिंग का फैसला इस मिशन के फ्लाइट डायरेक्टर का था. 

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एक जरा सी गलती और पहले चार स्टारशिप की तरह फट जाता

फ्लाइट डायरेक्टर को ही डिसाइड करना था कि रीयल टाइम बूस्टर कितनी गति में नीचे आएगा. कितना घूमेगा ताकि उसे मैकेनिकल आर्म्स पकड़ सके. मैन्युअल कंट्रोल लेना था या नहीं. बाद में स्पेसएक्स ने बताया कि बूस्टर और लॉन्च टावर दोनों को मजबूत स्टेबल कंडिशन चाहिए थी. जिसकी तैयारी कई महीनों से चल रही थी. अगर यह लॉन्चिंग सफल नहीं होती तो पहले चार स्टारशिप की तरह ये भी मेक्सिको की खाड़ी में फट गया होता. 

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रेट्रो इंजन के जरिए कंट्रोल, एक घंटे की फ्लाइट सात मिनट में पूरी

किस्मत से सबकुछ सही हुआ. स्टेनलेस स्टील से बने स्पेसक्राफ्ट के ऊपर रेट्रो इंजन लगे हैं. जो इसे वापस नीचे आने में मदद करते हैं. उन्हें कंट्रोल करने में मदद करते हैं. पहले यह फ्लाइट एक घंटे की थी. लेकिन रॉकेट आराम से हिंद महासागर के ऊपर तक गए. बूस्टर वापस आया और लॉन्च पैड के आर्म्स में आकर सेट हो गया. 

फॉल्कन-9 रॉकेटों का इस्तेमाल भी पूरी तरह से रीयूजेबल है

पिछले 9 साल से स्पेसएक्स फॉल्कन-9 रॉकेट के पहले स्टेज बूस्टर को रीयूज कर रहा है. स्टारशिप के लिए पहली बार था. फॉल्कन रॉकेट से अंतरिक्षयात्री स्पेस स्टेशन तक आते-जाते रहते हैं. इसके बूस्टरों को समंदर में तैरते हुए प्लेटफॉर्म पर उतारा जाता है. ये अभी तक लॉन्च पैड के आर्म्स में नहीं फंसे हैं. हो सकता है भविष्य में इनके साथ भी ऐसी ही टेस्टिंग हो. 

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