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अलास्का का आसमान हुआ हरा, बीच में दिखी जलेबी जैसी नीली रोशनी

अमेरिका के उत्तरी इलाके के अलास्का में अचानक रात में आसमान का रंग चमकदार हरा हो गया. हैरानी इतनी नहीं थी. इसके बाद उसमें चक्र जैसी नीली रोशनी घूमती हुई दिखी. जलेबी की तरह घूमती हुई गायब हो गई. इस रोशनी को देखकर वहां रहने वाले लोग हैरान थे. आइए जानते हैं कि क्या चीज थी ये विचित्र रोशनी...

ये शनिवार के दिन की रात का नजारा. जब अलास्का के हरे आसमान में नीले चक्र जैसी रोशनी दिखी. (फोटोः फेसबुक/टॉड सलाट) ये शनिवार के दिन की रात का नजारा. जब अलास्का के हरे आसमान में नीले चक्र जैसी रोशनी दिखी. (फोटोः फेसबुक/टॉड सलाट)
aajtak.in
  • डेल्टा जंक्शन (अलास्का),
  • 19 अप्रैल 2023,
  • अपडेटेड 1:45 PM IST

टॉड सलाट उत्तरी ध्रुव के इलाकों में घूमते रहते हैं. उनका काम है नॉर्दन लाइट्स (Northern Lights) की तस्वीरे लेना. अमेरिका के जमे हुए इलाके यानी अलास्का में एक दिन घूमते-घूमते उन्हें रात का आसमान बदलता नजर आया. अंधेरा आसमान धीरे-धीरे चमकदार हरे रंग में बदलने लगा. पूरी रात हरी हो गई. ये अरोरा (Aurora) था. 

यहां तक तो ठीक था. हैरानी तब हुई जब डेल्टा जंक्शन शहर के ऊपर उन्हें अचानक से विचित्र रोशनी दिखी. चक्र की तरह घूमती हुई. ये नीली स्पाइरल रोशनी हर रंग के आसमान के ऊपर तेजी से उत्तर दिशा की ओर से आई. पास आते-आते बड़ी होती चली गई. इसके बाद दक्षिण दिशा की ओर जाते हुए धुंधली पड़ते हुए गायब हो गई. 

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फोटोः टॉड सलाट/फेसबुक

टॉड सलाट ने इस घटना का 1.28 मिनट का टाइमलैप्स वीडियो बनाया है. जिसमें यह आकृति आते और जाते हुए दिखती है. सलाट ने बताया कि उन्होंने इससे पहले इतनी खूबसूरत चीज कभी नहीं देखी थी. उन्होंने इस वीडियो को Vimeo पर अपलोड किया है.  

इस घुमावदार रोशनी के पीछे की वजह ये है कि इसके दिखने के कुछ घंटे पहले ही SpaceX ने अपने फॉल्कन-9 रॉकेट को लॉन्च किया था. लॉन्चिंग कैलिफोर्निया के वान्डेनबर्ग स्पेस फोर्स बेस से हुई थी. ये रॉकेट दर्जनों सैटेलाइट्स लेकर जा रहा था. इसे ट्रांसपोर्टर-7 मिशन नाम दिया गया था. लॉन्चिंग के कुछ मिनट बाद ही रॉकेट का पहला स्टेज धरती पर वापस आ गया था. लेकिन फॉल्कन-9 का अपर स्टेज वायुमंडल के ऊपर तैर रहा था. 

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वीडियो में इस तरह से आते-जाते दिख रही है ये रोशनी. 

अपर स्टेज ने जब ऊपरी वायुमंडल के ऊपर फ्यूल को रिलीज किया, तब वायुमंडल से टकराकर वो छोटे-छोटे बर्फीले कणों में बदल गए. इनपर जब रोशनी पड़ी तो ये चमकने लगे. कई बार इनका आकार बदल जाता है. पर आमतौर पर ये इसी तरह के घुमावदार रोशनी की तरह दिखाई पड़ते हैं. दिन में भी बनते हैं लेकिन सूरज की रोशनी में दिखते नहीं. 

कई बार ये रोशनी जेलीफिश जैसी दिखती है. ये घटना कई वर्षों से होती चली आ रही है. ये चक्र सीधे तौर पर रॉकेट लॉन्च के बाद बनते हैं. आमतौर पर तब जब किसी रॉकेट का अपर स्टेज ऊपरी वायुमंडल के ऊपर अपने ईंधन को रिलीज करता है. ये अपर स्टेज कई सालों बाद धरती पर लौटते हैं, ऐसे में फ्यूल रिलीज नहीं किया तो लौटते समय बड़ा धमाका या नुकसान होने का खतरा रहता है. 

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