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मिचली आएगी, खड़ी नहीं हो पाएंगी... धरती पर लौटने के बाद सुनीता विलियम्स को लेना होगा स्ट्रेचर का सहारा, ये समस्याएं आएंगी पृथ्वी पर

अंतरिक्ष यात्री लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहने के बाद जब पृथ्वी पर लौटते हैं, तो उन्हें अक्सर स्ट्रेचर पर लिटाना पड़ता है. सुनीता विलियम्स और बुच विलमोर भी इससे अछूते नहीं रहेंगे. आइए जानते हैं क्यों?

ये फोटो 2012 की है, तब सुनीता विलियम्स एक्सपेडिशन-33 की कमांडर थी, लैडिंग कजाकिस्तान के रेगिस्तान में हुई थी. उन्हें स्ट्रेचर पर ले जाया गया था. (सभी फोटोः नासा/एएफपी) ये फोटो 2012 की है, तब सुनीता विलियम्स एक्सपेडिशन-33 की कमांडर थी, लैडिंग कजाकिस्तान के रेगिस्तान में हुई थी. उन्हें स्ट्रेचर पर ले जाया गया था. (सभी फोटोः नासा/एएफपी)
ऋचीक मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 18 मार्च 2025,
  • अपडेटेड 11:27 AM IST

बुधवार यानी 19 मार्च को नासा के एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स और बुच विलमोर प्रशांत महासागर में सुरक्षित उतरेंगे. वे नौ महीने से अधिक समय से अंतरिक्ष में थे. उनके कैप्सूल को खोलने के बाद उन्हें स्ट्रेचर पर लिटाया जाएगा. जब अंतरिक्ष यात्री पृथ्वी पर लौटते हैं, तो वे तुरंत चलने में सक्षम नहीं होते हैं. इसका कारण अंतरिक्ष में शरीर में होने वाले अस्थाई परिवर्तन हैं. नासा इसके लिए सख्त सुरक्षा उपाय करता है.

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नासा के पूर्व वैज्ञानिक जॉन डेविट ने बताया कि अधिकांश अंतरिक्ष यात्री स्ट्रेचर पर ले जाना नहीं चाहते हैं, लेकिन उन्हें ऐसा करना पड़ता है. जैसे कोई व्यक्ति रोलर कोस्टर पर या उफनते पानी में नाव चलाते समय मोशन सिकनेस का अनुभव कर सकता है, वैसे ही अंतरिक्ष यात्री जब पृथ्वी पर लौटते हैं तो उन्हें चक्कर और उल्टी आ सकती है. इसलिए अंतरिक्ष यात्रियों को सावधानी के तौर पर स्ट्रेचर पर लिटाया जाता है. 

अस्थाई सनसनी होती है धरती पर लौटने के बाद

स्पेस स्टेशन से लौटने के बाद एस्ट्रोनॉट के शरीर में अस्थायी सनसनी होती है. इसकी वजह पृथ्वी पर गुरुत्वाकर्षण  बल है. इसलिए अंतरिक्ष यात्रियों के शरीर को एक नए वातावरण में अनुकूल बनाना पड़ता है. अंतरिक्ष में नौ महीने रहने के बाद, सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर को पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के साथ सामंजस्य बिठाना चुनौती है. 

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इससे मांसपेशियों और हड्डियों में कमजोरी आ सकती है. इसलिए व्यापक पुनर्वास और चिकित्सा निगरानी की आवश्यकता होगी. यहां उनके सामने आने वाली चुनौतियों पर अधिक विस्तृत जानकारी दी गई है:

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मांसपेशी और हड्डियों का घनत्व कम होना...  सूक्ष्मगुरुत्व (Microgravity) में लम्बे समय तक रहने से मांसपेशियों और हड्डियों के घनत्व में कमी आती है. यानी मसल मास और बोन डेनसिटी.    

गुरुत्वाकर्षण को पुनः समायोजित करना... शरीर को पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के अनुकूल होने के लिए समय की आवश्यकता होती है, जिससे चलना और खड़ा होना जैसे सरल कार्य भी कठिन हो सकते हैं.   

पुनर्वास... अंतरिक्ष यात्रियों को ताकत और संतुलन हासिल करने के लिए फिजियोथैरेपी और पुनर्वास से गुजरना होगा. कई हफ्तों का प्लान होता है, जिसमें एक्सरसाइज, वेट ट्रेनिंग, कार्डियो कराया जाता है.    

भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक प्रभाव... अंतरिक्ष में अधिक समय बिताने से अंतरिक्ष यात्रियों पर भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक प्रभाव भी पड़ सकता है, जिस पर ध्यान देने की आवश्यकता है. 

अन्य शारीरिक प्रभाव... पृथ्वी पर लौटने पर अंतरिक्ष यात्रियों को चक्कर आना, मिचली आना और बेबी फीट (पैरों के कॉलस का खत्म हो जाना) जैसी समस्याएं हो सकती हैं.  

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क्या कहा सुनीता ने स्पेस स्टेशन से सेहत के बारे में... 

अंतरिक्ष यात्रियों ने लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहने के दौरान होने वाले प्रभावों को कम करने के लिए नियमित व्यायाम किया. विलियम्स ने कहा कि हमने नौ महीनों से वर्कआउट किया है. अब हम पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण का सामना करने के लिए तैयार हैं. 

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