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Sunita Williams Back: जॉनसन स्पेस सेंटर में मेडिकल टेस्ट, ग्रैविटी एडजस्टमेंट, कई हफ्तों तक मॉनिटरिंग... अगले कुछ दिन सुनीता विलियम्स के कैसे बीतेंगे

सुनीता विलियम्स और बुच बिल्मर पिछले साल जून में आठ दिनों के मिशन पर अंतरिक्ष पहुंचे थे. लेकिन तकनीकी समस्याओं के चलते उन्हें 9 महीने का वक्त वहां गुजारना पड़ा. 5 जून 2024 को बोइंग के नए स्टारलाइनर क्रू कैप्सूल के जरिए उन्हें अंतरिक्ष में भेजा गया था. विल्मर और विलियम्स ने अंतरिक्ष में 286 दिन बिताए, जो कि मूल रूप से निर्धारित समय से 278 दिन अधिक था. 

सुनीता विलियम्स और अन्य अंतरिक्षयात्रियों की घर वापसी सुनीता विलियम्स और अन्य अंतरिक्षयात्रियों की घर वापसी
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 19 मार्च 2025,
  • अपडेटेड 10:56 AM IST

भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्षयात्री सुनीता विलियम्स नौ महीने बाद आखिरकार पृथ्वी पर लौट आई हैं. उन्होंने अपनी तीन अन्य साथियों के साथ बुधवार तड़के फ्लोरिडा के तट पर लैंडिंग की. अंतरिक्ष में नौ महीने बिना किसी ग्रैविटी के रह रहीं सुनीता को अब धरती पर सामान्य परिस्थितियों में रहना होगा, जो शुरुआत में बिल्कुल भी आसान नहीं होगा.

ड्रैगन स्‍पेसक्राफ्ट से सुनीता विलियम्स और अन्य अंतरिक्ष यात्रियों को सुरक्षित बाहर निकालकर उनके स्वास्थ्य की जांच की. डॉक्टरों की टीम ने अच्छे से हेल्थ चेकअप किया.

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सुनीता और अन्य को फिलहाल ह्यूस्टन में जॉनसन स्पेस सेंटर ले जाया गया है. कहा जा रहा है कि वह अगले 45 दिनों तक सेंटर में दोनों एस्ट्रोनॉट मेडिकल ऑब्जर्वेशन में रहेंगे. यह अंतरिक्षयात्रियों के पृथ्वी पर लौटने के बाद की नियमित प्रक्रिया है. अंतरिक्षयात्रियों को सीधे घर जाने की अनुमति नहीं होती. उन्हें पहले कई दिनों तक डॉक्टरों की देखरेख में रखा जाता है. 

हालांकि, मेडिकल जांच की प्रक्रिया पूरी होने के बाद ऑब्जर्वेशन में ही उन्हें परिवार के सदस्य और दोस्तों से मिलने का समय दिया जाता है. इसके अलावा अंतरिक्ष यात्री मिशन के दौरान हुए अपने अनुभव, चुनौतियों और सफलताओं को भी शेयर करते हैं.

सुनीता विलियम्स के सामने चुनौतियां और भी?

सुनीता विलियम्स और अन्य अंतरिक्षयात्रियों के लिए शुरुआत में पृथ्वी की ग्रैविटी में एडजस्ट करना काफी मुश्किल होगा. उन्हें चलने में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. दरअसल, नौ महीने तक अंतरिक्ष में रहने के बाद पैरों के तलवे बच्चे की तरह नरम हो जाते हैं, जिस वजह से चल पाना मुश्किल हो जाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि पृथ्वी पर चलते समय ग्रैविटी के कारण पैरों की त्वचा मोटी और सख्त हो जाती है. पैरों को फिर से पहले की तरह होने में कुछ हफ्ते और महीने भी लग सकते हैं.

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अंतरिक्ष में 340 दिन बिताने के बाद मार्च 2016 में जब अमेरिकी एस्ट्रोनॉट स्कॉट केली और रूसी एस्ट्रोनॉट मिखाइल कॉर्निएको पृथ्वी पर लौटे थे तो वे लड़खड़ाने लगे थे. बाद में उन्हें उठाकर ले जाया गया था. 

वहीं, लंबे वक्त तक अंतरिक्ष में रहने से बोन डेंसिटी यानी हड्डियों का घनत्व कम हो जाता है. NASA के मुताबिक, हर महीने हड्डियों का घनत्व एक फीसदी तक कम हो जाता है, जिससे हड्डियां कमजोर हो जाती हैं. पैर, पीठ और गर्दन की मांसपेशियों पर असर पड़ता है.

इसके अलावा, कान और मस्तिष्क में एक वेस्टिबुलर सिस्टम होता है, जो शरीर को बैलेंस बनाए रखने में मदद करता है. अंतरिक्ष में ग्रैविटी नहीं होने के कारण यह सिस्टम ठीक तरह से काम नहीं करता. ऐसे में पृथ्वी पर लौटने के बाद कई दिनों तक अंतरिक्ष यात्री को चलने-फिरने या खड़े होने में दिक्कत आ सकती है. ऐसे में डॉक्टर और फिजिकल एक्सपर्ट से ट्रेनिंग लेनी पड़ती है। मांसपेशियों और हड्डियों की रिकवरी करने के लिए महीनों तक एक्सरसाइज करनी पड़ती है. सुनीता विलियम्स और अन्य को पूरी तरह से रिकवर होने में सालभर भी लग सकता है.

बता दें कि दोनों अंतरिक्ष यात्री केवल 8 दिनों के लिए ही रवाना हुए थे. लेकिन तकनीकी समस्याओं के चलते उन्हें 9 महीने का वक्त वहां गुजारना पड़ा. 5 जून 2024 को बोइंग के नए स्टारलाइनर क्रू कैप्सूल के जरिए उन्हें अंतरिक्ष में भेजा गया था. विल्मर और विलियम्स ने अंतरिक्ष में 286 दिन बिताए, जो कि मूल रूप से निर्धारित समय से 278 दिन अधिक था. 

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नासा के अनुसार, सुनीता विलियम्स और उनकी टीम ने 900 घंटे का शोध पूरा किया. उन्होंने 150 से अधिक प्रयोग किए और एक नया रिकॉर्ड बनाया - अंतरिक्ष में सबसे अधिक समय बिताने वाली महिला का. उन्होंने स्पेस स्टेशन के बाहर 62 घंटे और 9 मिनट बिताए. यानी 9 बार स्पेसवॉक किया. 

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