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क्या चांद पर रात बिता पाएंगे एस्ट्रोनॉट्स? आएंगी ये बड़ी दिक्कतें

दिन भर की मेहनत के बाद, रात को चैन की नींद लेना हर इंसान का अधिकार है. पृथ्वी पर ये अधिकार हर व्यक्ति के पास है. लेकिन बात अगर चांद की करें, तो क्या वहां रात बिताना इतना ही सुकून भरा होगा? शायद नहीं, वैज्ञानिकों का कहना है कि चांद पर रात बिताना एक बड़ी चुनौती है.

चांद पर दिन तो आसान है, लेकिन रातें मुश्किल (Photo: Getty) चांद पर दिन तो आसान है, लेकिन रातें मुश्किल (Photo: Getty)
aajtak.in
  • वॉशिंगटन,
  • 14 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 3:07 PM IST

चांद पर रात बिताने की बात हो, तो स्पेस इंजीनियरों को पसीने आ जाते हैं. चांद पर रातें इतनी सुकूनभरी नहीं होतीं, जितना पृथ्वी की रातें होती हैं. वो इसलिए क्योंकि पृथ्वी के दिन के हिसाब से, चांद की सतह पर ज्यादातर जगहों पर, लगातार 14 दिन का दिन रहता है और 14 दिन की रात रहती है. यानी 14 दिनों तक लगातार अंधेरा और तेज ठंड.

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चांद पर तापमान दिन के समय 120ºC  और रात तक माइनस 180ºC तक पहुंच जाता है. चांद पर जिन जगहों पर स्थाई रूप से छाया रहती है (Permanently shadowed regions-PSR) वे तो और भी ठंडे हो सकते हैं, वहां का तापमान माइनस 240ºC तक गिर सकता है.

चांद पर 14 दिन का दिन और 14 दिन की रात होती है (Photo: Getty)

चांद पर तापमान के ये उतार-चढ़ाव, आने वाले समय में चांद के मिशनों के लिए सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक हैं. वास्तव में, PSRs में जो क्रेटर हैं, वहां सूर्य की रोशनी नहीं आती इसलिए वहां पानी की बर्फ जमा रहती है. इस जमा पानी को ऑक्सीजन, पानी, यहां तक ​​कि रॉकेट ईंधन में प्रोसेस किया जा सकता है. मून एक्सप्लोरेशन प्लानर, इस बात पर विचार कर रहे हैं कि चांद पर सफलतापूर्वक संचालन करने के लिए क्या होना चाहिए, खासकर चांद के दक्षिणी ध्रुव पर. क्योंकि यह जगह PSRs से भरी हुई है और यहां पानी की बर्फ संचय करने के लिए एक समृद्ध जगह है. लेकिन यहां जमा देने वाली ठंडा है, जो आसान नहीं है.

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समस्या एक नहीं, दो हैं

द एयरोस्पेस कॉरपोरेशन (The Aerospace Corporation) के लूनर साइंटिस्ट डीन एपलर (Dean Eppler) का कहना है कि चांद पर रात गुजारने पर एक नहीं दो समस्याएं आती हैं. रात को जिंदा बचे रहना अकेली चुनौती नहीं है, बल्कि रात को मिशन से जुड़े काम करना भी चुनौती भरा होगा. चांद पर रात को ध्रुवों पर कहीं भी जाएंगे अंधेरा ही मिलेगा. 

रात में फील्ड जियोलॉजी नहीं की जा सकती. लेकिन उस वक्त शायद जीवन विज्ञान, सैंपल एनालिसिस और कलिंग, इंजीनियरिंग या रखरखाव जैसे काम किए जा सकते हैं. एपलर ने यह भी कहा कि वह चांद की रात को लेकर सकातात्मक सोच रखते हैं. उन्हें लगता है कि पहले की तुलना में हम बेहतर तरीके से काम कर सकते हैं. 

 चांद पर पहनने वाले सूट पर भी देना होगा ध्यान (Photo: Brian-mcgowan/unsplash)

चांद पर बेहद ठंड

हालांकि चांद पर ध्रुवीय क्षेत्रों के बाहर भी रात में जिंदा रहना अभी भी एक बड़ा मुद्दा है. सेंट्रल फ्लोरिडा यूनिवर्सिटी में फ्लोरिडा स्पेस इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिक फिलिप मेट्ज़गर ( Philip Metzger) का कहना है कि बेहद ठंड से निपटना बहुत बड़ी समस्या नहीं होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि थोड़ी सी ऊर्जा और अच्छे इन्सुलेशन से वाहन को गर्म रखा जा सकता है. न्यू होराइजन्स स्पेसक्राफ्ट ने अपने इलेक्ट्रॉनिक सामानों को तब भी रूम टेम्प्रेचर पर रखा था, जब वे प्लूटो में सूर्य से बहुत दूर थे. मुख्य मुद्दा यह है कि हम चांद पर ऊर्जा कहां से पा सकते हैं?

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उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि रेडियोएक्टिव डिके स्रोतों का इस्तेमाल किया जा सकता है. वाहन पर सही जगहों पर रेडियोएक्टिव हीटर यूनिट (RHUs) को रखा जा सकता है. रेडियोएक्टिव स्रोत के बिना, ये काफी चुनौतीपूर्ण हो सकता है. 

चांद पर पहनने वाले सूट पर फोकस

एपलर का कहना है कि जूते, दस्ताने और बैकपैक जैसे पोर्टेबल लाइफ सपोर्ट सिस्टम सहित मूनवॉकिंग सूट सिस्टम के संबंध में, थर्मल डिजाइन के मुद्दे भी गंभीर होंगे. मान लें कि आप बर्फ में खड़े हैं, लेकिन आपके पैर और धड़ पर धूप आ रही है. ऐसे में आपको यह पक्का करना होगा कि जूते और कपड़े का मैटीरियल जमकर टूट न जाए. वहीं यह भी देखना होगा कि सूट का ऊपरी हिस्सा इतना गर्म न हो जाए कि क्रू को परेशानी हो. यह असली समस्या है. एपलर ने अंत में कहा कि अच्छी बात तो यह है कि आर्टेमिस (Artemis) टेक्नोलॉजिस्ट इसपर काम कर रहे हैं कि रात को चांद पर कैसे सर्वाइव किया जा सकता है.


 

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