Space Temperature on Earth: धरती पर अंतरिक्ष सा तापमान, सुरंग में पारा माइनस 271 डिग्री सेल्सियस पर पहुंचा

अंतरिक्ष में कई ऐसे ग्रह हैं जहां तापमान माइनस 250 डिग्री सेल्सियस तक चला जाता है. रास्ते में ही बहुत ठंड पड़ती है. वैज्ञानिकों ने धरती पर ही अंतरिक्ष वाला तापमान बना दिया है. धरती पर कभी भी इतना तापमान रिकॉर्ड नहीं किया गया.

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LCLS प्रयोग के लिए 30 फीट नीचे बनाई गई सुपरकंडक्टिंग सुरंग. (फोटोः LCLS) LCLS प्रयोग के लिए 30 फीट नीचे बनाई गई सुपरकंडक्टिंग सुरंग. (फोटोः LCLS)

aajtak.in

  • मेन्लो पार्क (कैलिफोर्निया),
  • 20 मई 2022,
  • अपडेटेड 12:06 PM IST
  • कैलिफोर्निया में बनी है 800 मीटर लंबी सुरंग
  • यह प्रयोग दुनिया को कई तरह से मदद करेगा

अमेरिका के कैलिफोर्निया (California) में एक जगह है, जिसका नाम है मेन्लो पार्क (Menlo Park). यहां पर जमीन में 30 फीट अंदर एक 800 मीटर लंबी सुरंग बनाई गई है. जो इस समय अंतरिक्ष से भी ठंडी है. यहां का तापमान माइनस 271 डिग्री सेल्सियस है. यह सुरंग बनाई है डिपार्टमेंट ऑफ एनर्जी के SLAC नेशनल एक्सीलरेटर लेबोरेट्री ने. ताकि वो लीनैक कोहेरेंट लाइट सोर्स (LCLS) X-ray फ्री इलेक्ट्रॉन लेजर प्रोजेक्ट को पूरा कर सकें. 

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वैज्ञानिकों ने इसे इतना ठंडा किया कि ये सुपरकंडक्टिंग यंत्र बन गया. अब ये इलेक्ट्रॉन्स को हाई एनर्जी के साथ बढ़ा सकता है, वो भी बेहद कम नुकसान के. LCLS-2 इस समय ऐसे एक्स-रे तरंगों को पैदा करने का प्रयास कर रहा है, जो सामान्य एक्स-रे किरणों से 10 हजार गुना ज्यादा चमकदार हों. ये एक्स-रे हर सेकेंड दस लाख बार निकलेंगे. क्योंकि LCLS दुनिया का सबसे ताकतवर एक्स-रे पैदा करने वाला यंत्र है. 

LCLS के निदेशक माइक ड्यून ने कहा कि इस सुरंग में इस समय जितनी ठंडी है. जितना एक्स-रे ये निकाल रहा है. वैसा इतिहास में कभी नहीं हुआ. जो डेटा हमें पहले महीनों में जुटाना पड़ता था, अब वो कुछ मिनटों में मिल जा रहा है. इस यंत्र की वजह से एक्स-रे से संबंधित साइंस एक अलग मुकाम पर पहुंच जाएगा. हम जो टेस्ट कर रहे हैं, वो पूरी तरह सफल होने के बाद कंप्यूटिंग और संचार की दुनिया में बहुत बड़ा बदलाव ला देगा. 

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माइक ड्यून ने कहा कि इस प्रयोग के सफल होने के बाद हम क्लीन एनर्जी को लेकर काफी ज्यादा काम कर सकेंगे. जैविक कणों के शुरुआती जीवन का अध्ययन कर सकेंगे. नई तरह की दवाएं बना सकेंगे. यहां तक क्वाटंम मैकेनिक्स की दुनिया में नया पॉजिटिव बदलाव ला सकेंगे. 

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