Advertisement

थाईलैंड के किसान मुर्गियों को खिला रहे भांग ताकि एंटीबायोटिक से बचा जा सके

Cannabis Feeding to Chicken: थाईलैंड में किसान अपनी मुर्गियों को भांग खिला रहे हैं. इसके पीछे वजह ये है कि मुर्गियों को कम से कम एंटीबायोटिक दी जाए. लेकिन क्या मुर्गियां भांग खाकर ठीक रहेंगी? क्या इन्हें खाने वाले नशे में तो नहीं आएंगे?

Cannabis Feeding to Chicken: थाईलैंड में शुरु किया गया पॉट-पोल्ट्री प्रोजेक्ट (Pot-Poultry Project). फोटोः जोए शेफर/अनस्प्लैश Cannabis Feeding to Chicken: थाईलैंड में शुरु किया गया पॉट-पोल्ट्री प्रोजेक्ट (Pot-Poultry Project). फोटोः जोए शेफर/अनस्प्लैश
aajtak.in
  • लम्पांग (थाईलैंड),
  • 17 जून 2022,
  • अपडेटेड 12:42 PM IST
  • शुरु किया गया है नया एक्सपेरिमेंट
  • लम्पांग नाम के शहर में PPP मिशन

एंटीबायोटिक्स से बचाने के लिए थाईलैंड के किसान अपनी मुर्गियों (Chickens) को भांग (Cannabis) खिला रहे हैं. थाईलैंड के उत्तर में मौजूद शहर लम्पांग (Lampang) में पोल्ट्री फॉर्म वाले किसानों ने वैज्ञानिकों के कहने पर पॉट-पोल्ट्री प्रोजेक्ट (Pot-Poultry Project - PPP) शुरु किया है. यह प्रोजेक्ट चियांग माई यूनिवर्सिटी के कृषि विभाग के वैज्ञानिकों के कहने पर शुरु किया गया है. इसके बारे में सबसे पहली रिपोर्ट न नेशन थाईलैंड में छपी थी. 

Advertisement

किसानों ने कहा कि उन्होंने अपनी मुर्गियों को एंटीबायोटिक्स लगवाए थे. लेकिन उसके बाद भी मुर्गियों को एवियन ब्रॉन्काइटिस (Avian Bronchitis) नाम की बीमारी हो गई. इसके बाद इन मुर्गियों को PPP के तहत भांग वाली डाइट पर रख दिया गया. यहां पर कुछ फार्म हैं, जिनके पास भांग उगाने का लाइसेंस हैं. उन्हें ये देखना था कि भांग की वजह से मुर्गियों की सेहत पर क्या फायदा होता है?

भांग और गांजे का उपयोग पूरी दुनिया में दवाइयां बनाने के लिए होता है. (फोटोः गेटी)

1000 से ज्यादा मुर्गियों को दिया गया भांग से मिला खाना

PPP एक्सपेरिमेंट में 1000 से ज्यादा मुर्गियों अलग-अलग मात्रा में भांग की डोज दी गई. ताकि उन पर होने वाले अलग-अलग असर को देखा जा सके. इनमें से कुछ को सीधे पत्तियां दी गईं तो कुछ को पानी में भांग घोलकर दिया गया. इसके बाद वैज्ञानिक मुर्गियों पर लगातार नजर रख रहे थे. ताकि मुर्गियों के विकास, सेहत और उनसे मिलने वाले मांस और अंडों पर क्या फर्क पड़ रहा है. 

Advertisement

भांग खाने वाली मुर्गियों के मांस और व्यवहार में फर्क नहीं 

वैज्ञानिकों ने अभी तक इस एक्सपेरीमेंट का कोई डेटा पब्लिश तो नहीं किया है लेकिन उनका दावा है कि जिन मुर्गियों को भांग खिलाई गई, उनमें से कुछ को ही एवियन ब्रॉन्काइटिस बीमारी हो रही है. वो भी कम मात्रा में. एक्सपेरिमेंट से मुर्गियों से मिलने वाले मांस पर कोई असर नहीं आया. न ही मुर्गियों के व्यवहार में किसी तरह का बदलाव दिखा. स्थानीय लोगों ने भांग खाने वाली मुर्गियों को पकाकर चावल के साथ खाया भी लेकिन उन्हें भी किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं आई. 

भांग खिलाकर मुर्गियों के एवियन ब्रॉन्काइटिस नाम की बीमारी से बचाया गया. (फोटोः चटनारिन रमनापान/अन्स्प्लैश)

भांग-गांज को लीगल करने वाला पहला एशियाई देश है थाईलैंड

अब इस एक्सपेरिमेंट की सफलता के बाद कई किसान खुद से आगे आकर अपनी मुर्गियों को भांग खिलाने वाले प्रोजेक्ट में शामिल हो रहे हैं. किसान चाहते हैं कि अगर भांग से बिना किसी नुकसान के मुर्गियों को एंटीबायोटिक और बीमारियों से बचाया जा सकता है, तो इसमें किसी तरह की बुराई नहीं है. थाईलैंड ने इसी महीने भांग को लेकर अपने नियमों में थोड़ी ढील दी है. थाईलैंड एशिया का पहला देश है जिसने भांग को डिक्रिमिनिलाइज किया है. लेकिन भांग को किसी अन्य तरीके से सेवन करने पर कड़ी सजा है. 

Advertisement

नए बदलाव के बाद अब थाईलैंड में भांग (Cannabis) और गांजा (Marijuana) की उपज और बिक्री पर रोक हट गई है. इनका दवाओं में उपयोग भी वैध कर दिया गया है. हां ज्वाइंट बनाकर थाईलैंड में नहीं पी सकते. लेकिन लोगों को भांग मिले हुए ड्रिंक्स और खाद्य पदार्थ बेचने की सीमित छूट मिली है. लेकिन ऐसे खाद्य पदार्थों में टेट्राहाइड्रोकैनाबिनॉल (THC) की मात्रा 0.2 फीसदी होनी चाहिए. 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement