
660 करोड़ साल पहले एक एस्टेरॉयड धरती से टकराया. इस टक्कर से जो विस्फोट हुआ वो हिरोशिमा पर गिरे परमाणु बम से 6500 गुना ज्यादा ताकतवर था. इसकी वजह से दुनिया से डायनासोरों की पूरी प्रजाति लगभग खत्म हो गई. 70 फीसदी पेड़-पौधे खत्म हो गए. पूरी दुनिया में भयानक सुनामी आई. आग लग गई. लेकिन सबसे बड़ा यह बदलाव हुआ कि आज के आधुनिक इंसानों के खाने के मेन्यू में एक ऐसी चीज शामिल हो गई, जिसके बारे में कभी सोचा नहीं गया था.
उल्कापिंड के टकराने से लाखों टन धूल-मिट्टी और सल्फर धरती के वायुमंडल में जम गया. दो साल तक सूरज की रोशनी धरती पर नहीं पहुंची. धरती पर फोटोसिंथेसिस की प्रक्रिया रुक गई. पेड़-पौधों को ऊर्जा मिली नहीं तो वो मर गए. बचे हुए डायनासोर और अन्य जीव खाने की कमी से मर गए. लेकिन एक चीज ऐसी थी, जो उसी माहौल के लिए बनी थी. वो पनपती चली गई. पूरी दुनिया में फैलती गई. आज पूरी दुनिया के खाने के मेन्यू का प्रमुख हिस्सा है.
ये है फंजाई (Fungi). यानी आपका मशरूम (Mushroom). जिससे आप मशरूम मटर, कढ़ाही मशरूम, मशरूम दो प्याजा जैसे पकवान बनाते हैं. सच यही है. मशरूम ऐसा फंजाई है, जो विपरीत परिस्थितियों में भी सर्वाइव कर जाता है. अगर कभी दोबारा ऐसी आपदा आए तो बचे हुए इंसानों के लिए यह खाने का मुख्य स्रोत होगा. क्योंकि उल्कापिंडों की टक्कर, ज्वालामुखियों के बड़े विस्फोट और परमाणु युद्धों से वही स्थिति पैदा होगी, जैसी डायनासोरों के समय हुई थी.
कई आपदाएं ऐसी हैं जो आपको भूखा मार सकती हैं
अगर सूरज की रोशनी कुछ महीनों के लिए रुक जाए तो खाने के सामान की कमी हो जाएगी. न फसलें बचेंगी न फल. फिर आप खाएंगे क्या. जवाब है मशरूम. सूरज की रोशनी ढंकने की घटनाएं पृथ्वी पर कई बार हो चुकी हैं. भविष्य में भी होने की आशंका बनी है. पिछली बार इतनी भयावह स्थिति 74 हजार साल पहले हुई थी, जब टोबा सुपरवॉल्कैनो में विस्फोट हुआ था. उससे सल्फर डाईऑक्साइड निकली और पूरे वायुमंडल में छा गई. सूरज की रोशनी में 90 फीसदी कटौती हो गई. इससे जो सर्दी का मौसम आया उससे उस समय मौजूद इंसानों की प्रजाति की संख्या घटकर 3000 हो गई थी.
अगर विश्व युद्ध हो और सैकड़ों-हजारों परमाणु बमों को फोड़ दिया जाए तो भी सूरज की रोशनी में 90 फीसदी की कमी आ जाएगी. उसे न्यूक्लियर विंटर यानी परमाणु सर्दी कहेंगे. पूरी दुनिया का तापमान औसत से 25 डिग्री सेल्सियस नीचे गिर जाएगा. इतनी तेजी से तापमान के गिरने से खेती-बाड़ी खत्म हो जाएगी चारों तरफ बर्फ जम जाएगी. यहां तक कि वो जगहें भी बर्बाद हो जाएंगी, जहां पर युद्ध का असर नहीं है.
सूरज की रोशनी की कमी खत्म कर देगी फूड चेन
कहने की बात सिर्फ इतनी है कि बिना सूरज की रोशनी के हमारा फूड चेन खत्म हो जाएगा. बिना खाने के डायनासोरों की तरह इंसान भी खत्म हो जाएंगे. तब दुनिया पर किसका राज होगा. उस समय पूरी दुनिया में हो सकता है मशरूम और फंजाई का राज हो. क्योंकि मशरूम जिंदा और मुर्दा पेड़ों पर उग जाते हैं. सूरज की रोशनी हो या न हो. इन्हें फोटोसिंथेसिस की जरुरत नहीं पड़ती.
एक तीन फुट लंबा और चार इंच चौड़ा लकड़ी का टुकड़ा चार साल में एक किलोग्राम मशरूम पैदा कर सकता है. मात्रा ज्यादा नहीं है लेकिन जब बड़े पैमाने पर पेड़-पौधे खत्म होंगे तो उन्हें खाकर और ज्यादा मशरूम पैदा होंगे. पेड़ों की सड़ी हुई पत्तियों से चाय बनाई जा सकती है. उन्हें गाय या चूहे खा सकते हैं. इनसे भारी मात्रा में विटामिन सी मिलता है.
चूहे भी मशरूम की तरह ही होते हैं. वो सेलुलोज को पचा सकते हैं. यानी वो बेकार लकड़ी को खा सकते हैं. इसलिए मशरूम के पनपने के बाद जो चीजें बच जाएंगी उन्हें चूहे खा सकते हैं. अगर ऐसी आपदा के बाद इंसान बचते हैं तो वो मीट खाकर जीवन बिता सकते हैं. कीड़े खाकर प्रोटीन की कमी पूरी कर सकते हैं. बीटल्स लकड़ियां खा सकते हैं. इंसान बीटल्स को खा सकते हैं.