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Netherlands में मिला 1200 साल पुराना सोने के जेवरों का दुर्लभ खजाना, साथ में सिक्के भी

नीदरलैंड्स में एक 1200 साल पुराना सोने-चांदी का खजाना मिला है. इसमें सोने के दुर्लभ जेवर और चांदी के सिक्के हैं. माना जा रहा है कि इन्हें किसी युद्ध के समय छिपाया गया होगा. जो अब जाकर मिला है. फिलहाल इन जेवरों की कीमत का अंदाजा लगाया जा रहा है.

ये है 1200 साल पुराना दुर्लभ सोने के जेवरों और चांदी के सिक्कों का खजाना. (सभी फोटोः फ्ल्यूर शिनिंग/आर्कियोलॉजी फ्राइसलैंड) ये है 1200 साल पुराना दुर्लभ सोने के जेवरों और चांदी के सिक्कों का खजाना. (सभी फोटोः फ्ल्यूर शिनिंग/आर्कियोलॉजी फ्राइसलैंड)
aajtak.in
  • एम्सटर्डम,
  • 15 मार्च 2023,
  • अपडेटेड 4:08 PM IST

धातु खोजने वाले (Metal Detectorist) ने नीदरलैंड्स में बेहद दुर्लभ खजाना मिला है. इस खजाने में किसी शाही परिवार के सोने के आभूषण हैं. साथ ही चांदी के सिक्के भी. ये 1200 साल पुराना खजाना है. जिसे किसी युद्ध के समय कीचड़ में छिपाया गया था. 

खजाने में सोने के चार झुमके, सोने की दो पत्तियां और 39 चांदी के सिक्के हैं. ये खजाना वेस्ट फ्राइसलैंड इलाके के हूगवुड शहर के उत्तरी इलाके में मिला है. अब इस खजाने को पुरातत्वविद डच नेशनल म्यूजियम ऑफ एंटीक्विटीस में रख रहे है. इस खजाने की और जांच चल  रही है. 

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म्यूजियम के एक्सपर्ट का कहना है कि ये जेवरात किसी मध्यकालीन रईस परिवार का है. हो सकता है कि वो शाही खानदान से भी जुड़ा रहा हो. म्यूजियम के क्यूरेटर लोरेंजो रुइजटर ने कहा कि ये जेवरात उस समय के किसी बेहद अमीर परिवार के लगते हैं. क्योंकि उस समय इतने महंगे जेवर सिर्फ समाज के उच्च वर्ग के लोग पहनते थे. 

लोरेंजो ने कहा कि हो सकता है कि ये खजाना हॉलैंड की काउंटेस (Countess) के हों. क्योंकि उस समय ये लोग समाज में बेहद ताकतवर और पैसे वाले होते थे. चांदी के जो सिक्के मिले हैं, उन्हें ढांचे में ढालने के साथ-साथ हथौड़े से पीटकर बनाया गया है. इन्हें स्थानीय स्तर पर ही बनाया गया है. क्योंकि हर सिक्के की स्टाइल अलग है. 

ये सिक्के रोमन साम्राज्य के लगते हैं. करीब 13वीं सदी के. जो सिक्के इसमें सबसे पुराने हैं, वो सन 1247 से 1248 के आसपास के हैं. उस समय युद्ध चल रहा था. इसलिए इन्हें किसी ने छिपा दिया होगा. जो अब मिला है. उस समय किसानों के बीच भी संघर्ष चल रहा था.

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हो सकता है कि किसी रईस किसान ने अपने जेवर खेत में छिपाए हों, जो बाद में कीचड़ वाले स्थान में बदल गया. आमतौर पर लगातार चल रहे युद्ध और संघर्ष के दौरान लोग अपनी कीमती चीजें भविष्य के लिए छिपाकर रखते हैं. क्योंकि उस समय बैंक लॉकर की सुविधा नहीं थी. 

डच नेशनल म्यूजियम के पुरातत्वविद अब भी सोने के जेवरों की जांच कर रहे हैं. क्योंकि उसमें जो नक्काशी है, वो फ्राइसलैंड इलाके की प्राचीन कला है. बस ये है कि इस समय इन जेवरों की कीमत का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता. क्योंकि उस समय के और जेवर या कीमती वस्तुएं अभी नहीं मिली हैं. हालांकि इनकी भावनात्मक वैल्यू बहुत ज्यादा है. 

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