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48,500 साल से साइबेरिया की बर्फ में सो रहे वायरसों को वैज्ञानिकों ने जगाया... एक का नाम मेगावायरस

साइबेरिया के पर्माफ्रॉस्ट बर्फ में 48,500 साल से सो रहे वायरसों को वैज्ञानिकों ने जगा दिया है. इनमें से एक का नाम है Megavirus Mammoth. ये वायरस उस जमाने के हैं, जब साइबेरिया में हाथियों के पूर्वज मैमथ घूमते थे. वह हिमयुग का समय था. तो क्या इन वायरसों से इंसानों को खतरा है?

रूस के सुदूर पूर्व में स्थित साइबेरियाई इलाकों में सदियों से बर्फ जमी है. इसके अंदर कई वायरस-बैक्टीरिया मौजूद हैं. (फोटोः अन्स्प्लैश) रूस के सुदूर पूर्व में स्थित साइबेरियाई इलाकों में सदियों से बर्फ जमी है. इसके अंदर कई वायरस-बैक्टीरिया मौजूद हैं. (फोटोः अन्स्प्लैश)
aajtak.in
  • क्रास्नोयार्स्क,
  • 24 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 3:00 PM IST

हिमयुग (Iceage) के समय से साइबेरिया (Siberia) के पर्माफ्रॉस्ट बर्फ में कई वायरस (Virus) दबे हैं. वैज्ञानिकों ने इनमें से कुछ को निकालकर जिंदा कर दिया है. यह रिसर्च रिस्की जान पड़ता है. लेकिन जरूरी भी है. जिस तरह से ग्लोबल वॉर्मिंग से बर्फ पिघल रही है. अचानक वायरस का संक्रमण फैलेगा तो खतरा ज्यादा होगा. इसलिए साइंटिस्ट पहले ही इन वायरसों को खोजकर उनकी स्टडी कर लेना चाहते हैं, ताकि उनके संक्रमण से बचने का तरीका खोजा जा सके. वह भी समय से पहले. 

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इन वायरसों को लेकर एक स्टडी पेपर भी सबमिट किया गया है. लेकिन उसका अभी तक पीयर रिव्यू नहीं हुआ है. इस पेपर में कहा गया है कि रूस के सुदूर पूर्वी इलाके में स्थित साइबेरिया के पर्माफ्रॉस्ट से पांच अलग-अलग प्रजातियों के 13 वायरसों को खोजा गया है. सैंपल कलेक्ट किए गए हैं. इनमें से कुछ वायरस 48,500 साल पुराने हैं. तब से लेकर अब तक ये बर्फ में दबे सो रहे थे. लेकिन अब ये जाग गए हैं. 

इनमें से जो तीन वायरस सबसे नए हैं. उनकी उम्र 27 हजार साल है. इन वायरसों को मैमथ के मल से हासिल किया गया है, जो मैमथ के बालों में लिपटा हुआ था. बर्फ में जमा हुआ था. इन्हें नाम दिया गया है- मेगावायरस मैमथ, पिथोवायरस मैमथ और पैंडोरावायरस मैमथ. इसके अलावा बर्फ में मृत मिले साइबेरियन भेड़िये के पेट से दो नए वायरसों को खोजा गया है. इनका नाम है पैकमैनवायरस लुपुस और पैंडोरावायरस लुपुस. 

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जांच में पता चला कि ये खतरनाक वायरस हैं 

जब इन वायरसों की जांच की गई तो पता चला कि ये मिट्टी और पानी में मौजूद सिंगल सेल वाले अमीबा को तो संक्रमित करते ही हैं. अगर मौका और सही वातावरण मिले तो ये खतरनाक पैथोजन बन सकते हैं. यानी भविष्य में बड़े स्तर की महामारी या संक्रमण फैला सकते हैं. ये अब भी संक्रमण फैलाने और खुद को रेप्लीकेट करने में सक्षम हैं. 

सबसे पुराने वायरस का रिकॉर्ड बना!

फ्रांस की एक्स-मार्सील यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने यह रिसर्च किया है. इन लोगों ने साइबेरिया में इससे पहले 30 हजार साल पुराने वायरसों की खोज की थी. ये बात साल 2014 की है. लेकिन अब 48,500 साल पुराने वायरसों की भी खोज कर ली है. यानी ये धरती पर मौजूद अब तक के सबसे प्राचीन वायरस माने जाएंगे. यह किसी वर्ल्ड रिकॉर्ड से कम नहीं. 

सभी वायरस पैथोजेनिक, यानी संक्रमण का खतरा

एक्स-मार्सील यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ मेडिसिन में जीनोमिक्स और बायोइन्फॉरमेटिक्स के प्रोफेसर जीन-मिशेल क्लेवेरी ने कहा कि हमें अभी इन वायरसों पर और बहुत सी स्टडी करनी है. इस विषय पर बहुत कम स्टडीज हुई हैं. अगर समय रहते इन वायरसों के बारे में स्टडी नहीं की गई तो भविष्य में जब बर्फ पिघलेगी और ये बाहर निकलेंगे. तब खतरा ज्यादा बढ़ जाएगा. ये पैथोजेनिक वायरस हैं. ये तेजी से इंसानों को संक्रमित कर सकते हैं. 

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