
मंगल ग्रह पर नालियां मिली हैं. दूर से नालियां दिखती हैं लेकिन पास से ये बड़ी घाटियां हैं. वैसे तो ये पहेलियों से कम नहीं हैं. लेकिन इनकी वजह से वैज्ञानिकों ने हैरतअंगेज भविष्यवाणी की है. वैज्ञानिकों का दावा है कि भविष्य में मंगल ग्रह पर फिर पानी बह सकती है. जिसकी वजह से जीवन की उत्पत्ति भी हो सकती है.
मुद्दा ये है कि ये नालियां बनी कैसे? असल में ये कार्बन डाईऑक्साइड की बर्फ के पिघलने से बनी हैं. ऐसी थ्योरी पहले दी जाती थी. लेकिन अब एक नई स्टडी में यह पता चला है कि अगर परिस्थितियां ठीक हों तो ये नालियां तरल पानी के बहाव से भी बन सकती हैं. या बनी होंगी. ये नालियां कम से कम 6.30 लाख साल पहले बनी होंगी.
ऐसा मंगल ग्रह के अपनी धुरी पर झुकाव की वजह से हुआ है. क्योंकि यह झुकाव 35 डिग्री का है. नई स्टडी में मंगल ग्रह के तापमान और सर्कुलेशन का सिमुलेशन किया गया. जिसमें पता चला कि जमीन की गर्मी जब फ्रीजिंग प्वाइंट यानी 0 डिग्री सेल्सियस से ऊपर जाती है. तब मंगल के वायुमंडल का घनत्व बढ़ जाता है.
मंगल ग्रह मौजूद थी पानी से भरी घाटियां-झीलें
वायुमंडल का घनत्व बढ़ने से गर्मी बढ़ती है. जिससे मंगल पर जमी बर्फ पिघल कर बहने लगती है. ब्राउन यूनिवर्सिटी के प्लैनेटरी साइंटिस्ट जिम हेड ने कहा कि हमारी स्टडी में यह बात पुख्ता होती है कि मंगल ग्रह पर पहले पानी बहता था. ये पानी वहां मौजूद घाटियों और झीलों के नेटवर्क में मौजूद था.
लेकिन 300 करोड़ साल पहले मंगल ग्रह से सारा पानी खत्म हो गया. मंगल ग्रह ध्रुवीय रेगिस्तान में तब्दील हो गया. सूख गया. इसी फैक्ट ने वैज्ञानिकों का दिमाग हिलाया. उन्होंने फिर मंगल ग्रह की जमीन, पहाड़, घाटियों के टूटने, बिखरने की स्टडी की. यह जानने की कोशिश की कि ये कितनी बड़ी हो सकती हैं.
पिछले 10 लाख साल में बनी हैं नई नालियां
इसलिए पहली स्टडी शुरू की गई मंगल ग्रह के टेरा सिरेनम इलाके की. यहां पर बहुत तेजी से ये नालियां फैल रही हैं. लंबी हो रही हैं. कई जगहों पर लंबी और बेहद गहरी नालियां बनी हुई हैं. ये कार्बन डाईऑक्साइड की बर्फ पिघलने की वजह से बनी थीं. क्योंकि यहां पर अब भी बर्फ की मौजूदगी के सबूत मिल जाते हैं.
मंगल ग्रह की सतह देखने पर लगता है कि पानी के बहाव से होने वाले मिट्टी के कटाव का फॉर्मूला ज्यादा बेहतर है. क्योंकि अब मंगल ग्रह की स्टडी हाई-रेजोल्यूशन कैमरे वाले सैटेलाइट्स से की जाती है. उससे मिलने वाले सबूत हैरान कर देते हैं. कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के साइंटिस्ट जे डिक्सन ने कहा कि पूरे मंगल ग्रह पर कई जगहों में ऐसी नालियां देखने को मिल जाती हैं. ये नालियां पिछले 10 लाख सालों में हुए पानी के बहाव से बनी हैं.
अगर ऐसा हुआ तो फिर बहेगा पानी...
पानी का बहाव बताता है कि नालियां कब और कैसे बनीं. कितने समय पहले पानी यहां बहता रहा होगा. क्योंकि इन नालियों का कटाव करीब पिछले 10 लाख साल के अंदर का है. मंगल ग्रह का अपनी धुरी पर झुकाव बदलता रहता है. अगर यह झुकाव 35 डिग्री होता है तो मंगल ग्रह पर फिर से पानी बहने लगेगा. यह स्टडी हाल ही में साइंस जर्नल में प्रकाशित हुई है.