Advertisement

कांच की सतह पर खोजी गई Liquid Skin, अजीब घटना आई सामने

हाल ही में एक शोध के ज़रिए वैज्ञानिकों ने एक अजीब घटना का पता लगाया है. उन्होंने कांच की सतह पर एक तरल परत का पता लगाया है. यह परत सिर्फ कुछ ही नैनोमीटर मोटी होती है. परत बनने की प्रक्रिया को प्रीमेल्टिंग या 'सरफेस मेल्टिंग' कहा जााता है. जानते हैं इस प्रक्रिया के बारे में.

 कांच की सतह पर मिली लिक्विड की परत (सांकेतिक तस्वीर: Getty) कांच की सतह पर मिली लिक्विड की परत (सांकेतिक तस्वीर: Getty)
aajtak.in
  • बर्लिन,
  • 14 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 8:49 AM IST

बर्फ हमेशा बर्फ नहीं होती है. जमने से काफी नीचे के तापमान पर भी, इसकी सतह पर अर्ध-तरल परमाणुओं (Quasi-liquid atoms) की एक परत होती है. इस परत की मोटाई सिर्फ कुछ नैनोमीटर होती है. इस परत के बनने की प्रक्रिया को प्रीमेल्टिंग (Premelting) या 'सरफेस मेल्टिंग' (Surface melting) कहा जााता है. यही वजह है कि आइस क्यूब फ्रीजर में भी एक साथ चिपक जाती हैं. 

Advertisement

बर्फ के अलावा, हमने क्रिस्टलाइन स्ट्रक्चर के कई मैटीरियल में प्रीमेल्टेड सरफेस लेयर देखी है. ये क्रिस्टलाइन स्ट्रक्चर वह हैं जिनके अंदर के परमाणुओं को हीरे, क्वार्ट्ज और टेबल सॉल्ट के अणुओं की तरह बड़े करीने से व्यवस्थित किया जाता है. अब, पहली बार, वैज्ञानिकों ने एक ऐसे पदार्थ में सरफेस मेल्टिंग देखी है, जो आंतरिक रूप से जर्जर है, यानी कांच.

 वैज्ञानिकों ने कोलाइडल कांच बनाया. (सांकेतिक तस्वीर: Getty)

कांच और बर्फ काफी हद तक एक जैसे दिखते हैं. लेकिन वे परमाणु पैमाने पर बहुत अलग होते हैं. जहां क्रिस्टलीय बर्फ अच्छी और सुव्यवस्थित होती है, वहीं कांच को हम एमॉर्फस सॉलिड (Amorphous solid) कहते हैं. इसकी कोई वास्तविक परमाणु संरचना नहीं होती. बल्कि, इसके परमाणु बस इधर-उधर बिखरे होते हैं. इस वजह से कांच की सतह पर quasi-liquid premelted film को खोजना मुश्किल हो जाता है. 

Advertisement

इस लिक्विड परत का पता आमतौर पर बिखरने वाले न्यूट्रॉन या एक्स-रे से जुड़े प्रयोगों द्वारा किया जाता है, जो परमाणु क्रम के प्रति संवेदनशील होते हैं. जर्मनी में यूनिवर्सिटी ऑफ कोन्स्टांज के भौतिक विज्ञानी क्लेमेंस बेचिंगर (Clemens Bechinger) और ली तियान (Li Tian) का सोचना अलग है. परमाणु कांच के एक टुकड़े की जांच करने के बजाय, उन्होंने कोलाइडल कांच (Colloidal glass) बनाया.

सरफेस मेल्टिंग को माइक्रोस्कोप में इस तरह देखा जा सकता है (Photo: Tian and Bechinger)

चूंकि इस कोलाइडल कांच के स्फीयर परमाणुओं से 10,000 गुना बड़े होते हैं, इसलिए उनके व्यवहार को एक माइक्रोस्कोप से देखा जा सकता है और बेहतर तरीके से अध्ययन किया जा सकता है. माइक्रोस्कोपी और स्कैटरिंग का इस्तेमाल करके, बेचिंगर और तियान ने अपने कोलाइडल कांच की बारीकी से जांच की और उन्होंने सतह के पिघलने के संकेत देखे. यानी, सतह पर मौजूद कण नीचे मौजूद कांच के कणों की तुलना में तेजी से आगे बढ़ रहे थे.

यह अप्रत्याशित नहीं था. बल्क ग्लास का घनत्व सतह के घनत्व से ज्यादा होता है, जिसका मतलब है कि सतह के कणों के पास चलने के लिए ज्यादा जगह होती है. हालांकि, सतह के नीचे 30 कण व्यास तक मोटी एक परत में, कण बल्क ग्लास की तुलना में ज्यादा तेजी से आगे बढ़ते रहते हैं, तब भी जब वे बल्क ग्लास घनत्व तक पहुंच जाते हैं.

Advertisement

 

शोधकर्ताओं का कहना है कि उनके नतीजे बताते हैं कि क्रिस्टल की तुलना में कांच की सतह का पिघलना गुणात्मक रूप से अलग होता है और एक सतह पर कांच की परत बनाता है. इस परत में तेज गति करने वाले कणों के क्लस्टर होते हैं जो सतह पर बनते हैं.

चूंकि सतह के पिघलने से मैटीरियल की सतह के गुण प्रभावित होते हैं, इसलिए नतीजों से कांच को बेहतर समझने में मदद मिलती है. यह शोध नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित किया गया है.

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement