Advertisement

Moon: अंतरिक्ष में ऐसे चांद भी हैं जो गैस से बने हैं, अगर हमारा चांद भी गैस का बना होता तो...

अगर हमारा चांद (Moon) गैस से बना होता तो क्या होता? क्या अंतरिक्ष में ऐसे चांद हैं जो गैस से बने हों? अंतरिक्ष में दो प्रकार से ग्रहों का निर्माण हुआ है. पहला पत्थरों से और दूसरे वाले गैस से. आइए जानते हैं अगर हमारा चांद गैस का होता तो क्या होता...

what happen if earths moon was made of gas what happen if earths moon was made of gas
aajtak.in
  • लंदन,
  • 07 मार्च 2022,
  • अपडेटेड 11:48 AM IST
  • क्या यह धरती का चक्कर लगाता?
  • गैस वाला चांद कितने दिन टिकता?
  • धरती पर इस चांद का असर क्या होता?

चांद से मिट्टी लाई जा रही है. पत्थर लाए जा रहे हैं. चांद पर इंसान उतर भी चुका है. वो भी कई बार. व्रत रखे जाते हैं. पूजा की जाती है. लेकिन अगर यही चांद गैस से बना होता तो?

क्या ये सब काम इंसान कर पाता. हमारे सौर मंडल और अंतरिक्ष में मौजूद ग्रहों का निर्माण दो प्रकार से हुआ है. पहला ऐसे ग्रह जो पत्थरों से बने हैं. दूसरे जो गैस से बने हैं. सवाल ये है कि क्या हमारे सौर मंडल में ऐसे गैस से निर्मित ग्रह या चांद मौजूद हैं. 

Advertisement

कॉर्नेल यूनिवर्सिटी में डिपार्टमेंट ऑफ एस्ट्रोनॉमी के प्रमुख जोनाथन लुनिन ने कहा कि इसकी बड़ी अच्छी वजह है कि हमारे आसपास कोई गैस वाला चांद नहीं है. हमारे सौर मंडल में भी कोई गैस वाला चांद नहीं मिला है. क्योंकि हमारे सौर मंडल की स्थितियां शायद उनके अनुकूल नहीं है. या यूं कह लें कि ये हमारे अनुकूल है. यानी इंसानों और अन्य ग्रहों के हिसाब से सही है.

गैस में बदलते ही चांद का आकार धरती जितना हो जाएगा

जोनाथन ने बताया कि गैस से बने चांद का निर्माण उसके आसपास मौजूद तापमान, उसके वजन और अन्य अंतरिक्षीय ताकतों पर निर्भर करता है. जैसे- किसी आसपास के ग्रह या वस्तु की गुरुत्वाकर्षण शक्ति. मान लीजिए कि हमारे पथरीले चांद को बदल कर हाइड्रोजन गैस चांद में बदल दिया जाए. फिर क्या होगा. हाइड्रोजन गैस पत्थरों से कम घनत्व की होती है. यानी उसी समय हमारा चांद बड़ाकर होकर धरती के आकार का हो जाएगा. यानी वो गुब्बारे की तरह फूल जाएगा. 

Advertisement

गैस वाले चांद का सूरज से सीधा संबंध, गर्मी बढ़ी तो गायब

लेकिन यहां पर सिर्फ आकार ही मायने नहीं रखता. उसका तापमान भी असरदार होता है. जोनाथन ने कहा कि अगर हम अभी वाले पथरीले चांद को ले और उसके चारों तरफ हाइड्रोजन का वायुमंडल बना दे. तो हमें ये पता है कि हाइड्रोजन वायुमंडल थर्मल प्रभावों यानी अलग-अलग तरह की गर्मी की वजह से तत्काल खत्म हो जाएगी. यानी जितना ज्यादा सूरज गर्म होगा, उतनी जल्दी ही हाइड्रोजन गैस भाप बनकर उड़ जाएगी. 

गैस से बना कोई ग्रह या उपग्रह उसके पास स्थित बड़े ग्रह की ताकतों के आधार पर ही चलता है. (फोटोः NASA/JPL)  

जोनाथन ने बताया कि ऐसा ही कुछ प्लूटो के साथ हुआ था. चलिए अब वहां आते हैं कि अगर गैस वाला चांद धरती के आकार होता तो क्या होता? पहली बात तो ये कि उस चांद के आसपास का तापमान बेहद कम होता. याद रखने वाली बात ये है कि चांद की वजह से धरती के समुद्रों में लहरों का आना-जाना तेज होता है. असल में धरती पूरी गोलाकार नहीं है. यह थोड़ी से ध्रुवों पर दबी हुई है. लेकिन चांद के बड़े होने से यह बिखरती नहीं. क्योंकि धरती के अंदर एक अलग ताकत है, जो इसे बांधे रखने में मदद करती है. वह है धातुओं की वजह से पैदा होने वाली शक्ति. 

Advertisement

गैस वाला चांद होता तो वह टुकड़े-टुकड़े हो जाता

कहने का मतलब ये है कि अगर चांद गैस का होता. वह धरती के आकार का होता. उसके आसपास बहुत ठंड होती. वह धरती के चारों तरफ चक्कर लगा रहा होता तो वह खुद ही धरती की ताकतों की वजह से टुकड़े-टुकड़े हो जाता. दो या उससे ज्यादा टुकड़ों में. अब सवाल ये उठ रहा है कि क्या गैस वाले चांद (Moon Made of Gas) अंतरिक्ष में कहीं मौजूद हैं? 

जोनाथन कहते हैं कि अभी तक इंसानों ने ऐसे किसी चांद को नहीं खोजा है, जो गैस से बना हो और अपनी होस्ट ग्रह के चारों तरफ चक्कर लगा रहा हो. लेकिन अगर बृहस्पति को ग्रह और नेपच्यून को उसका गैस वाला चांद मान लिया जाए तो दोनों ग्रहों के बीच पैदा होने वाली ग्रैविटेशनल फोर्स नेपच्यून के आकार के चांद को खत्म कर देंगी. यह अंतरिक्ष में संतुलन बनाए रखने के लिए जरूरी होगा. यह खबर Livescience में प्रकाशित हुई है. 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement