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Explainer: कैंसर का इलाज या प्लास्टिक कचरे से निजात... जीवन की हर समस्या का समाधान है Click Chemistry, जिसे मिला नोबेल

केमिस्ट्री का नोबेल पुरस्कार जिस तकनीक को मिला है. वह कैंसर का इलाज कर सकती है. डीएनए में बदलाव कर सकती है. प्लास्टिक कचरे से निजात दिला सकती है. आपके घर को सुरक्षित बना सकती है. शॉर्ट सर्किट से लगने वाली आग से बचा सकती है. यानी आपके जीवन की हर समस्या का समधान कर सकती है.

कैरोलिन आर. बर्टोजी (बीच में), मॉर्टेन मेल्डल दाएं और के. बैरी शार्पलेस. (इलस्ट्रेशनः रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेस) कैरोलिन आर. बर्टोजी (बीच में), मॉर्टेन मेल्डल दाएं और के. बैरी शार्पलेस. (इलस्ट्रेशनः रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेस)
ऋचीक मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 05 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 12:28 PM IST

केमिस्ट्री का नोबेल इस बार तीन लोगों को दिया गया है. ये हैं अमेरिका की स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी कैरोलिन आर. बर्टोजी (Carolyn R. Bertozzi), डेनमार्क की यूनिवर्सिटी ऑफ कोपेनहेगन के मॉर्टेन मेल्डल (Morten Meldal) और अमेरिका ला जोला स्थित स्क्रिप्स रिसर्च के वैज्ञानिक के. बैरी शार्पलेस (K. Barry Sharpless). इन्हें यह अवॉर्ड क्लिक केमिस्ट्री (Click Chemistry) और बायोऑर्थोगोनल केमिस्ट्री (Bioorthogonal Chemistry) के लिए दिया गया है. 

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क्लिक केमिस्ट्री (Click Chemistry) और बायोऑर्थोगोनल केमिस्ट्री (Bioorthogonal Chemistry) का हमारे जीवन पर क्या फर्क पड़ेगा. ये तकनीक या खोज किस काम आती है. आपको जानकर हैरानी होगी कि ये खोज जीवन को बदल देगी. बीमारियों को दूर करेगी. ज्यादा बेहतर बायोडिग्रेडेबल और लंबे समय तक चलने वाले सामान बन पाएंगे. 

केमिस्ट्री का नोबेल पाने वाले तीनों साइंटिस्ट- बाएं से दाएं- कैरोलिना बर्टोजी, मॉर्टेन मेल्डेल और के. बैरी शार्पलेस.

क्लिक केमिस्ट्री और बायोऑर्थोगोनल केमिस्ट्री का इस्तेमाल भविष्य में जीवों और इंसानों के शरीर में ऐसे मॉलीक्यूल्स के निर्माण के लिए होगा, जो उन्हें बेहतर बीमारी मुक्त जीवन दे सकें. या फिर बीमाॉरियों से बचा सकें. या होने ही न दें. क्लिक केमिस्ट्री असल में समान व्यवहार रखने वाले छोटे-छोटे मॉलीक्यूल्स को जोड़ने की प्रक्रिया है. इसे बायोकंजुगेशन (Bioconjugation) कहते हैं. 

इसका सबसे बड़ा उपयोग जिन स्थानों पर होने वाला है. वो हैं- 

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  • ड्रग्स बनाने यानी दवाओं के निर्माण में. यानी ऐसी दवाएं जो घातक बीमारियों को ठीक कर सकती हैं. या फिर उन्हें ज्यादा खराब अवस्था में जाने से रोक दें. जैसे - कैंसर. 
  • ट्राईजोल्स (Triazoles) बनाने में काम आएंगे. यानी कृषि संबंधी रसायनों को बनानें में काम आएंगे. इनसे एंटीफंगल ड्रग्स (Antifungal Drugs) बनाए जा सकते हैं. इसके अलावा फंजीसाइड्स (Fungicides) बनाए जा सकते हैं. 
  • इस तकनीक की मदद से टू-डायमेंशनल जेल इलेक्ट्रोफोरेसिस किया जा सकता है. यानी प्रोटीन की जांच आसान हो जाएगी. इनका उपयोग दवाओं के निर्माण, बीमारियों की पहचान आदि में किया जा सकता है.
  • प्राकृतिक उत्पादों (Natural Products) की खोज में भी यह तकनीक इस्तेमाल हो सकती है. यानी वो उत्पाद जो किसी जीव की वजह से बन रहे हों, उनकी पहचान. इन प्रोडक्ट्स का उपयोग कॉस्मेटिक्स, डायटरी सप्लीमेंट्स, प्राकृतिक स्रोतों से तैयार किए जाए रहे खाद्य पदार्थों को सुरक्षित रखने और बनाने में उपयोग होगा. 
  • ट्राईजोल्स (Triazoles) की मदद से डीएनए में बदलाव किया जा सकता है. न्यक्लियोटाइड्स को सुधारा जा सकता है. या बदलाव किया जा सकता है ताकि मनचाहा व्यवहार, बीमारी मुक्त शरीर, लंबा जीवन मिल सके. 
  • पॉलीमर्स बनाने और उन्हें सुधारने में किया जा सकता है. यानी भविष्य में कई चीजों में बेहतर मिलने की संभावना है. जैसे- जूते, कपड़े, स्नोबोर्ड, रैकेट, पैराशूट, टेंट, सोलर सेल्स, सीडी, होलोग्राफी, इंसुलेशन, बोतल, प्लास्टिक बोतल, गार्डेन फर्निचर, पीवीसी विंडे, टायर, बंपर, विंडशील्ड, बाल्टी, किचेन के सामान, खिलौने, टूथब्रश आदि बनाने में मदद मिल सकती है. ज्यादा बेहतर सामान मिलेगा. 
  • बायोपॉलीमर्स के निर्माण में मदद मिलेगी. यानी शरीर के टिशू इंजीनियरिंग (Tissue Engineering) में काम आएगा. यानी रीजेनेरेटिव मेडिसिन (Regenerative Medicine) के लिए काम आएगा. टिशू इंजीनियरिंग के जरिए आपके घाव जल्दी भरेंगे. 
  • बायोपॉलीमर्स से एंटीऑक्सीडेंट्स, एंजाइम्स, प्रोबायोटिक्स, मिनरल्स और विटामिन्स बनाए जा सकते हैं. 
  • क्लिक केमिस्ट्री और बायोऑर्थोगोनल केमिस्ट्री से ऐसे पदार्थ बनाए जा सकते हैं, जिनसे प्लास्टिक की तरह प्रदूषण नहीं होगा. ये बायोडिग्रेडेबल होंगे. खुद ही एक समय के बाद प्रकृति के साथ घुल जाएंगे. इससे कार्बन न्यूट्रल होने में फायदा होगा. 
  • अलग-अलग तरह के लंबे समय तक चलने वाले पेंट (Paint) बनाए जा सकेंगे. जिनपर बारिश, धूप का असर न हो. इमारत को कसकर जकड़ें रखें. इमारत को नुकसान न होने दें. या फिर किसी भी वस्तु को जिस पर वो लगाए गए हैं. 

अब समझिए कि इन तीनों वैज्ञानिकों ने किया क्या? 

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के. बैरी शार्पलेस (K. Barry Sharpless) को दूसरी बार नोबेल पुरस्कार मिला है. उन्होंने साल 2000 में क्लिक केमिस्ट्री शब्द को पैदा किया था. यानी ऐसी केमिस्ट्री जिसमें आप किसी नए प्रकार का पदार्थ बना सकते हैं, बेकार और गड़बड़ पदार्थों को हटाकर. उधर, मॉर्टेन मेल्डल (Morten Meldal) अलग अपनी दुनिया में ऐसी ही तकनीक का प्रयोग करके नई खोज कर रहे थे. उन्होंने ऐसा केमिकल रिएक्शन खोजा जो इस समय कई जगहों पर इस्तेमाल हो रहा है. जैसे दवाओं के विकास में. डीएनए मैपिंग में और नए टिकाऊ पदार्थों को बनाने में. अब बची  कैरोलिन आर. बर्टोजी (Carolyn R. Bertozzi). कैरोलिन ने तो क्लिक केमिस्ट्री को अलग ही आयाम पर पहुंचा दिया. 

कैरोलिन ने ऐसे क्लिक केमिस्ट्री की खोज की जो जीवों में काम करता था. उन्होंने इसे नाम दिया बायोऑर्थोगोनल रिएक्शन (Bioorthogonal Reaction). यानी ऐसी क्लिक केमिस्ट्री जो कोशिकाओं के अंदर हो रही है. इस तकनीक के आते ही सबसे बड़ा उपयोग किया दवाओं को लेकर. सबसे पहले कैंसर की दवाओं को लेकर काम शुरू किया गया. अब इन दवाओं के क्लनिकल ट्रायल्स चल रहे हैं.  

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