
ब्रह्मांड को बनाने वाले सबसे सूक्ष्म यानी छोटे कण यानी हिग्स बोसोन (Higs boson) की खोज करने वाले नोबेल पुरस्कार विजेता साइंटिस्ट पीटर हिग्स नहीं रहे. लेकिन हिग्स बोसोन जिंदा है. इसे गॉड पार्टिकल (God Particle) भी कहते हैं.
क्या है ये गॉड पार्टिकल? क्या सच में ये भगवान का कण है, जिसने ब्रह्मांड का निर्माण किया है. यह एटम से भी छोटा कण है, जो बहुत जल्दी खत्म होता है. यह बेहद असंतुलित होता है. इसमें कोई इलेक्ट्रिक चार्ज नहीं होता और न ही यह घूमता है. यह हिग्स फील्ड में पाया जाता है.
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इसकी खोज 2012 में स्विट्जरलैंड स्थित CERN लेबोरेटरी में की गई थी. अक्सर इसे भगवान शिव से भी जोड़ा जाता है, क्योंकि उन्हें ब्रह्मांड का रचयिता और विध्वंसक माना जाता है. वैज्ञानिकों को गॉड पार्टिकल खोजने में 40 साल लग गए थे.
न इसकी संरचना पता, न ही ये कि कैसे बना?
गॉड पार्टिकल ऐसा कण है, जिसकी आंतरिक संरचना किसी को नहीं पता. यह कैसे बना है, यह भी किसी को नहीं पता. लेकिन इसी कण को ब्रह्मांड का डीएनए कहा जाता है. पार्टिकल फिजिक्स के मुताबिक क्वार्क, लेप्टॉन और गेज बोसोन मूल कण हैं.
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ग्रह, तारे, जीवन... सबकुछ इसी से बना है
पीटर हिग्स ने इस कण को लेकर 1964 में थ्योरी दी थी. यह वो कण है, जो ऊर्जा रखता है. यह दूसरे कणों को मास यानी सामान्य भाषा में वजन प्रदान करता है. हम जो भी चीजें ब्रह्मांड में देखते हैं. यानी ग्रह, तारे, जीवन... सबकुछ इसी कण से बना है. इसी कण की वजह से उन्हें मास मिला है. इसकी वजह से ही सबका जीवन चल रहा है.
प्रोटोन जैसे छोटे कण से भी 130 गुना ज्यादा मास
गॉड पार्टिकल का मास 125 बिलियन इलेक्ट्रॉन वोल्ट होता है. जो प्रोटोन से 130 गुना ज्यादा है. हिग्स बोसोन में बोसोन नाम भारतीय भौतिकविद सत्येंद्र नाथ बोस के नाम पर दिया गया है. हालांकि इसे लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वैज्ञानिकों के बीच विवाद भी है.
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गॉड पार्टिकल नहीं... गॉडडैम पार्टिकल
पीटर हिग्स के साथ नोबले जीतने वाले लियोन लेडरमैन ने अपनी किताब में इस कण का नाम गॉडडैम पार्टिकल (Goddamn Particle) रखा था. गॉडडैम पार्टिकल इसलिए क्योंकि इसे खोजना, इसके बारे में पता करना बेहद मुश्किल था. बाद में किताब के पब्लिशर्स ने इसका नाम बदलकर 'द गॉड पार्टिकल' कर दिया.