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Akash Teer: हवा में ही धुआं हो जाएगी दुश्मन की हर हिमाकत, जानिए क्या है इंडियन आर्मी का प्रोजेक्ट आकाशतीर

Project Akash Teer: हवा हो जाएंगे भारत के दुश्मन और उनकी हिमाकत भी. सीमाओं पर तैनात होगा 'आकाश तीर'. यह रक्षा मंत्रालय का ऐसा प्रोजेक्ट है, जिसके तहत भारतीय सेना, वायुसेना और उनके रॉकेट-मिसाइल सिस्टम्स 24X7 अलर्ट और एक्टिव रहेंगे. दुश्मन की हर हवाई चाल से देश को बचाएगा भारत का नया प्रोजेक्ट आकाशतीर.

रक्षा मंत्रालय ने बीईएल के साथ डील किया है प्रोजेक्ट आकाशतीर के लिए सिस्टम तैयार करने का. रक्षा मंत्रालय ने बीईएल के साथ डील किया है प्रोजेक्ट आकाशतीर के लिए सिस्टम तैयार करने का.
ऋचीक मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 30 मार्च 2023,
  • अपडेटेड 12:37 PM IST

रक्षा मंत्रालय ने गाजियाबाद स्थित भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किया है. डील इस बात की हुई है कि बीईएल भारतीय सेना (Indian Army) के लिए ऐसा सिस्टम बनाकर देगी, जो दुश्मन की हर चाल को हवा में ही खत्म कर देगा. इस प्रोजेक्ट के लिए बीईएल को 1982 करोड़ रुपए मिलेंगे. 

बीईएल देश की रक्षा और बचाव क्षमता को बढ़ाने के लिए स्वचालित वायु रक्षा नियंत्रण और रिपोर्टिंग प्रणाली (Automated Air Defence Control and Reporting System - AADCRS) को विकसित करेगा. इसे सरकार ने प्रोजेक्ट आकाशतीर (Project Akash Teer) नाम दिया है. 

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सीमाओं पर लगाए जाएंगे ताकतवर रडार और सेंसर्स. (फोटोः BEL)

क्या है आकाश तीर? (What is Akash Teer?)

- स्वचालित वायु रक्षा नियंत्रण और रिपोर्टिंग प्रणाली. यानी ऐसे सेंसर्स-रडार्स का नेटवर्क, जो दुश्मन के विमान, जेट, हेलिकॉप्टर, ड्रोन को देखते ही अलर्ट हो जाए. 
- तत्काल वह भारतीय सेना की वायु रक्षा इकाई यानी एयर डिफेंस यूनिट्स को सतर्क करे. जिसमें जमीन से हवा और सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें और रॉकेट्स मौजूद हैं. 
- बैकअप के लिए भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) के नजदीकी बेस को अलर्ट कर दे. ताकि मिसाइलें या रॉकेट्स फेल हों तो एयरफोर्स दुश्मन की धज्जियां उड़ा दें. 
- प्रोजेक्ट आकाशतीर से इंडियन आर्मी युद्ध के समय कम ऊंचाई वाले इलाकों पर हवाई निगरानी करने में सक्षम होगी. 
- जमीन आधारित वायु रक्षा हथियार प्रणालियों को प्रभावी रूप से नियंत्रित करेगा.  
- इस काम में भारतीय सेना का अपना सैटेलाइट मदद करेगा. जो बहुत जल्द लॉन्च किए जाने की संभावना है. 

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दुश्मन के विमान, जेट, मिसाइल को देखते ही सक्रिय हो जाएगा आकाशतीर नेटवर्क. 

भारतीय सेना और IAF बनाएंगे कमांड सेंटर

आकाशतीर प्रोजेक्ट के तहत भारतीय सेना और वायुसेना एक कंट्रोल एंड कमांड सेंटर (C2) बनाएंगे. ताकि आकाशतीर प्रोजेक्ट के सिस्टम को सुचारू रूप से चला सकें. उसे एक्टिव कर सकें. यह भारतीय मिलिट्री का इंटिग्रेटेड फ्यूचर है. जिसमें तीनों सेनाएं भविष्य में मिलकर काम करेंगी. मिलकर काम करने के लिए एक ऐसे नेटवर्क की जरुरत पड़ेगी जो सेनाओं को एकसाथ दुश्मन के आने की जानकारी दे दे. 

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कैसे होगी आकाशतीर की नेटवर्किंग? 

- जमीन पर भारतीय सेना और वायुसेना के रडार्स तैनात रहेंगे. 
- उनसे जुड़ा रहेगा आकाशतीर प्रोजेक्ट का कंट्रोल सेंटर.
- कंट्रोल सेंटर को जानकारी मिलेगी सैटेलाइट्स और अवॉक्स से. 
- जैसे ही दुश्मन टारगेट, मिसाइल, जेट आदि दिखेगा, अलर्ट जारी.
- तत्काल SAM मिसाइलों, रॉकेटों और वायुसेना सक्रिय हो जाएंगे.
- फाइटर जेट्स को खदेड़ने के लिए वायुसेना के विमान उड़ लेंगे. 

दुश्मन के हवाई हमलों या जासूसी को सतह से हवा में मार करने वाले रॉकेट या मिसाइल मार गिराएंगे. (प्रतीकात्मक फोटोः रॉयटर्स)

वायुसेना के पास मौजूद है अपना नेटवर्क

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भारतीय वायुसेना (IAF) के पास अपना AFNet यानी एयरफोर्स नेटवर्क है. जिसे एक डिजिटल इनफॉर्मेशन ग्रिड से ऑपरेट और मैनेज किया जाता है. यानी भारतीय वायुसेना एक ऑनलाइन सेंट्रिक कॉम्बैट फोर्स है. लेकिन भारतीय थल सेना के पास ऐसे सिस्टम नहीं है, जो उसे वायुसेना के साथ जोड़ सके. इसलिए प्रोजेक्ट आकाशतीर ला रहे हैं. 

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इसलिए शुरू किया जा रहा नया प्रोजेक्ट

वायुसेना अपने इंटीग्रेटेड एयर कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम (IACCS) भारतीय सेना के प्रोजेक्ट आकाशतीर से जोड़ देगा. इसके बाद सीमाओं पर निगरानी करना आसान हो जाएगा. दुश्मन को देखते ही पहला हमला जमीन से हवा या सतह से हमला करने वाली मिसाइलें करेंगी. अगर वो विफल रहीं तो, हालांकि ऐसा होगा नहीं. फिर वायुसेना के फाइटर जेट दुश्मन की ओर तेजी से हमला करेंगे. ताकि हवा से कोई दुश्मन देश की तरफ नापाक नजर न उठा सके. 

अगर दुश्मन बच गया तो भारतीय वायुसेना के फाइटर जेट्स उसकी हालत कर देंगे खराब. (प्रतीकात्मक फोटोः विकिपीडिया)

कुछ दिन बाद नौसेना भी जुड़ जाएगी... 

भारतीय नौसेना (Indian Navy) के पास अपना मैरीटाइम डोमेन अवेयरनेस एंड मिशन प्लानिंग सिस्टम है. जिसके दो फेज पूरे हो चुके हैं. तीसरा चरण अगले साल पूरा होने की उम्मीद है. इसके बाद इंडियन नेवी आराम से देख सकेगी कि समुद्र में कौन सा जहाज मर्चेंट शिप है. युद्धपोत है. पनडुब्बी है. या फिर दुश्मन या अपना विमान या जेट हवा में घूम रहा है. इस प्रोजेक्ट का नाम है त्रिगुण (Trigun). 

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अब आप ही सोचिए कि जब ये तीनों सिस्टम मिल जाएंगे तो दुश्मन की हिम्मत होगी क्या देश की तरफ नजर घुमाने की. त्रिगुण सिस्टम को सेंटर फॉर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड रोबोटिक्स (CAIR) ने डीआरडीओ के गाइडेंस में बनाया है. इसकी मदद से भविष्य में नौसेना बाकी दो सेनाओं के साथ बेहतर और पारदर्शी नेटवर्किंग कर पाएगी. 

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इससे क्या फायदा होगा देश को... 

- प्रोजेक्ट आकाशतीर,  IACCS और त्रिगुण के मिलने के बाद कोस्ट गार्ड, कस्टम्स, जासूसी संस्थाएं, बंदरगाह अथॉरिटी, जहाजरानी मंत्रालय जैसे कई संस्थानों को फायदा होगा. 
- जमीन पर सर्विलांस नेटवर्क रडार, स्पेस आधारित ऑटोमैटिक आईडेंटिफिकेशन सिस्टम, वेसल मैनेजमेंट सिस्टम के जरिए आसानी अपनी सीमाओं पर नजर रखी जा सकेगी. 
- तीनों सेनाओं के बीच सिक्योर कम्यूनिकेशन लाइन विकसित होगी. किसी मिशन या ऑपरेशन के दौरान कॉर्डिनेशन बनाना आसान होगा. 
- तीनों सेनाओं को दुश्मन की पहचान, आने के समय, गति आदि की जानकारी एक साथ मिलेगी. एक्शन एकसाथ मिलकर लेना आसान हो जाएगा. 

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