
अगर कोई इमारत गिर जाए और आपको वहीं फंसे लोगों को बचाना हो, तो आप क्या करेंगे? किसी को भी एकदम से बचाने की कोशिश न करें. एक्सपर्ट के आने तक इंतज़ार करें. सामान्य तौर पर लोग दबे हुए लोगों को बचाने की कोशिश करते हैं, लेकिन आपका एक अच्छा कदम सामने वाले के लिए जानलेवा साबित हो सकता है.
जैसे ही आप किसी को बचाने के लिए उसके ऊपर जमा मलबा हटाएंगे, तो उसके शरीर से Crushing Pressure रिलीज होगा और उसकी मौत हो जाएगी. जानकर चौंक गए ना? लेकिन ये बात पूरी तरह सच है.
वैसे इसमें गलती आपकी नहीं है क्योंकि आप तो बचाने का उपाय ही कर रहे थे. लेकिन ऐसा क्यों होता है, इसे जानने के लिए आपको इसके पीछे का साइंस समझना जरूरी है.
मलबे में दबने से रुकता है खून का बहाव
दरअसल जब शरीर का कोई हिस्सा मसलन हाथ, पैर या कोई दूसरा अंग किसी भारी मलबे से दबा होता है तो उस भार तो तुरंत नहीं हटाया जा सकता. क्योंकि मलबे की वजह से शरीर के ऊतकों (Tissue) में अत्यधिक दबाव उत्पन्न होता है. इससे ऊतक डैमेज हो जाते है. रक्त प्रवाह (Blood Flow) भी रुकता है.
ऐसी स्थिति में शरीर में Myoglobin नाम का प्रोटीन रिलीज होने लगता है. Myoglobin एक गोलाकार प्रोटीन होता है जो मांसपेशियों (Muscles) में पाया जाता है. Myoglobin का काम Muscle Cells में ऑक्सीजन को स्टोर करना है ताकि जरूरत पड़ने पर अलग-अलग एक्टिविटी में इस ऑक्सीजन का उपयोग किया जा सके.
मायोग्लोबिन रिलीज होने से किडनी फेल होने की आशंका
Myoglobin के रिलीज होने से किडनी फेल होने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है. इस प्रक्रिया को क्रश सिंड्रोम (Crush Syndrome) कहते हैं. ऐसे में जब शरीर से अचानक भार हटा लिया जाए तो क्रश सिंड्रोम की वजह से ऊतकों में ऑक्सीजन की मात्रा तेजी से बढ़ने लगती है.
इसलिए मौत से पहले हंसने लगता है इंसान
इस दौरान खून में पोटैशियम की अत्यधिक मात्रा प्रवाहित होने से दिल की धड़कन बिगड़ जाती है और शॉक (Shock) से इंसान की मौत हो जाती है. इस तरह की मौत से पहले इंसान अनायास ही हंसने लगता है. यही कारण है कि इसे Smiling Death भी कहते हैं.
100 साल पहले पता चला था क्रश सिंड्रोम का
जापानी डर्मेटोलॉजिस्ट Seigo Minami ने 1923 में पहली बार क्रश सिंड्रोम पर रिपोर्ट पेश की थी. उस दौरान वह प्रथम विश्व युद्ध (World War I) में किडनी फेल होने से मृत तीन सैनिकों की Pathology का अध्ययन कर रहे थे. बाद में 1941 में ब्रिटिश फिजिशियन Eric George Lapthorne Bywaters ने भी इसकी व्याख्या की.
क्रश सिंड्रोम के ज्यादा मामले डिजास्टर के दौरान सामने आते हैं मसलन भूकंप, युद्ध, किसी बिल्डिंग का क्षतिग्रस्त होना, रोड एक्सीडेंट इत्यादि. इसलिए रेस्क्यू करने वाली टीम कुछ बातों का विशेष ध्यान रखती है. 1999 में उत्तरी टर्की में आए भूंकप में क्रश सिंड्रोम की वजह से मृत्यु का दर 15.2% था. ब्रिटिश मेडिकल जर्नल के मुताबिक भूकंप के दौरान क्रश सिंड्रोम से किडनी फेल होने पर मृत्यु दर 13% से 25% होती है.