
धरती के किसी भी कोने से अपनी यात्रा शुरू करिए. वो भी पैदल. आपको क्या लगता है कि बिना कोई नदी या जलस्रोत पार किए आप कितनी दूर जा पाएंगे. अगर गुजरात से अरुणाचल प्रदेश जाएं तो यह यात्रा करीब 3500 किलोमीटर की होगी. पैदल इसे पार करने में करीब 3 से 5 महीने लग सकते हैं. हालांकि यह आपकी गति पर भी निर्भर करता है. वहीं, श्रीनगर से कन्याकुमारी का 4100 किलोमीटर लंबा रास्ता (नेशनल हाईवे) से आपको पार करने करीब 6 महीने लग सकता है. लेकिन क्या ये संभव है कि आप बिना कोई नदी या जलस्रोत पार किए इतनी लंबी दूरी तय कर लें? शायद नहीं. चलिए आपको हम दुनिया के ऐसे रास्तों के बारे में बताते हैं.
अमेरिका के अर्जेंटीना से अलास्का की दूरी ब्रिटिश नाविक जॉर्ज मीगन ने तय करने की सोची. उन्हें 30,608 किलोमीटर लंबी यात्रा करने में कुल 2425 दिन लगे. वो अलास्का 1983 में पहुंचे. वहीं अमेरिकी आर्मी रेंजर होली हैरिसन ने इसी रास्ते पर 23,305 किलोमीटर की दूरी साल 2018 में सिर्फ 530 दिनों में पूरी की.
सबसे लंबी पैदल यात्रा के एक प्रतियोगी और हैं. साल 2020 के मध्य में इन्होंने गूगल मैप के सहारे दक्षिण अफ्रीका के केप टाउन से यात्रा शुरु की. उन्हें रूस के मागाडान तक जाना था. इन्होंने 22,104 किलोमीटर की यात्रा पूरी की. हालांकि, इनका नाम जाहिर नहीं किया गया, लेकिन एक Reditt user थे. ये तो हो गई लंबी दूरी की यात्राओं की कहानियां.
अब आप ये सोचिए कि अगर आपको सीधी रेखा में जाना हो तो आप कहां से ये यात्रा कर सकते हैं. वह भी बिना कोई नदी या जलस्रोत पार किए बगैर. यह यात्रा चीन से शुरु होकर पुर्तगाल तक जाती है. साल 2018 में आयरलैंड के कॉर्क स्थित कोलिंस एयरोस्पेस एप्लाइड रिसर्च एंड टेक्नोलॉजी के फिजिसिस्ट और इलेक्ट्रिकल इंजीनियर रोहन चाबुकश्वर और नई दिल्ली स्थित आईबीएम रिसर्च के इंजीनियर कुशल मुखर्जी ने यह रास्ता खोजा.
रोहन और कुशल ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि यह सीधी रेखा की पैदल यात्रा करीब 11,240 किलोमीटर लंबी है. जिसमें आप किसी भी नदी या जलस्रोत को पार नहीं करेंगे. इसकी शुरुआत दक्षिण-पूर्वी चीन से होती है. बीच में 13 देश आते हैं. मंगोलिया, कजाकिस्तान, रूस, बेलारूस, यूक्रेन, पोलैंड, चेक गणराज्य, जर्मनी, ऑस्ट्रिया, लींचस्टेनटीन और स्विट्जरलैंड, फ्रांस, स्पेन और आखिर में पुर्तगाल के सैगरेस इलाके तक.
यह रिपोर्ट साल 2018 में arXiv प्रीप्रिंट डेटाबेस में प्रकाशित भी हुई थी. स्मिथसोनियन इंस्टीट्यूशन के जीआईएस कॉर्डिनेटर और चीफ कार्टोग्राफर डैन कोल ने बताया कि रोहन और कुशल ने अपनी रिपोर्ट में यह माना था कि इस रास्ते की खोज एक रीक्रिएशनल कार्य है. आप किसी गोल ग्रह पर सीधी रेखा में कोई यात्रा कर ही नहीं सकते. अगर आप इस रास्ते को देखे तो यह भी गोलाकार आकृति ले लेती है, अगर आप इसे अंतरिक्ष से देखें तो. हालांकि यह दोनों द्वारा खोजा गया यह मार्ग दुनिया का सबसे लंबा पैदल यात्रा मार्ग है, जहां पर एक भी नदी या जलस्रोत पार नहीं करना पड़ता.