Advertisement

सदी के आखिर तक रुक जाएगा आबादी का बढ़ना, जानिए कितने दिनों के भीतर खत्म हो जाएगी धरती

माना जा रहा है कि साल 2100 तक ग्लोबल जन्मदर गिरकर 0.1% से भी कम रह जाएगी. बच्चों का जन्म घटते-घटते बिल्कुल थम जाएगा. इसके बाद जो होगा, उस बारे में साइंटिस्ट लगातार चेता रहे हैं. हो सकता है कि फिर कुछ ही सालों के भीतर धरती से इंसानी आबादी पूरी तरह से खत्म हो जाए. इस बीच कई और भी बदलाव होंगे, जो डराने वाले हैं.

दुनिया के बहुत से देशों में जन्मदर गिर रही है. सांकेतिक फोटो (Unsplash) दुनिया के बहुत से देशों में जन्मदर गिर रही है. सांकेतिक फोटो (Unsplash)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 09 मार्च 2023,
  • अपडेटेड 3:37 PM IST

जापान के प्रधानमंत्री फुमिओ किशिदा ने हाल ही में अपने यहां कम होती जन्मदर को लेकर डराने वाला बयान दिया. उन्होंने कहा कि यही चलता रहा तो जल्द ही जापान गायब हो जाएगा. साल 2022 में वहां लगभग पौने 8 लाख बच्चों का ही जन्म हुआ. जापान में बूढ़ों की आबादी इतनी बढ़ चुकी कि वहां काम करने और यहां तक कि आर्मी में जाने के लिए लोग बाकी नहीं. यही हाल कई दूसरे देशों का भी है, जहां बर्थ रेट तेजी से नीचे आ चुका. ऐसे में ये बात भी उठ रही है कि यही हाल रहा तो दुनिया में नए जन्म कम होते-होते खत्म हो जाएंगे. तब क्या होगा!

Advertisement

कुछ ऐसा है जापान का हाल
लगभग साढ़े 12 करोड़ की आबादी वाला जापान दुनिया के सबसे अमीर देशों में है. इसकी सैन्य ताकत को लेकर भी किसी को शक नहीं रहा, लेकिन धीरे-धीरे देश कमजोर पड़ रहा है. बीते कुछ समय में कई रिपोर्ट्स आईं जो कहती हैं कि जापान अपनी सेना में नियुक्तियों के लिए लगातार अपील कर रहा है. अपना सैन्य बजट भी बढ़ा चुका लेकिन लोग आर्मी में भर्ती नहीं हो पा रहे. या तो वे बूढ़े हो चुके हैं, या बुढ़ापे की कगार पर हैं. ये सिर्फ एक पहलू है. जापान में युवा आबादी इतनी कम हो चुकी है कि बूढ़ों को रिटायरमेंट एज के काफी बाद तक काम करना पड़ रहा है. यहां तक कि वहां की कंपनियां बाहरी लोगों को अपने यहां काम पर बुला रही हैं. हाल में वहां के पीएम का ये डर जताना कि वे डिसअपीयर यानी अदृश्य हो जाएंगे, वहां के हालात को बताता है. 

Advertisement
जापान, इटली और चीन जैसे देश डेमोग्राफिक समस्या से जूझ रहे हैं. सांकेतिक फोटो (Unsplash)

लगातार गिर रहा है बर्थ रेट
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, जापान में बीते साल 8 लाख से कम (7,73,000) बच्चे पैदा हुए. ये पहले कभी नहीं हुआ था. अब वहां की सरकार बच्चों की परवरिश के लिए पेरेंट्स को छुट्टियों के साथ-साथ भारी रकम भी देने की योजना बना रही है. ये दिक्कत अकेले जापान की नहीं, दुनिया के कई देश युवा आबादी के खत्म होने का डर लिए जी रहे हैं. ये तो हुआ समस्या का एक पहलू, लेकिन इसका आगे का हिस्सा ज्यादा डरावना है. 

संस्थाओं का क्या मानना है
अमेरिकी थिंक टैंक, प्यू रिसर्च सेंटर का मानना है कि इस सदी के आखिर तक जन्मदर कम होते हुए लगभग खत्म हो जाएगी. यानी नई संतानें नहीं होंगी. साल 2100 तक दुनिया की आबादी लगभग 10.9 बिलियन हो चुकी होगी. इसके बाद हर साल इसमें 0.1% से भी कम बढ़त होगी. जिस तरह के दबाव में आजकल के युवा जी रहे हैं, बहुत मुमकिन है कि जन्मदर घटते हुए रुक ही जाए. फिर कोई नया बच्चा दुनिया में नहीं आएगा. जो आबादी होगी, वहीं ठहरी रहेगी. तब आगे क्या होगा? 

युवा जोड़ों को देश ज्यादा पैसे देकर अपने यहां बुलाने लगेंगे. सांकेतिक फोटो (Unsplash)

ये स्थिति एक तरह का बेबी-बैन है. इंसान इसमें कुछ सालों या मान लीजिए 5 दशक के लिए संतान-जन्म से तौबा कर लें, इसके बाद जो होगा, वो किसी ने भी नहीं सोचा होगा. हमारी प्रजाति मतलब होमो सेपियंस धीरे-धीरे खत्म होने लगेगी. लोग या तो बूढ़े होंगे, या कम बूढ़े होंगे. अस्पतालों में सामान्य दिनों में भी भीड़ जमा रहेगी. किसी को पता नहीं होगा कि उनका नंबर कितने दिनों में आएगा. 

Advertisement

कुछ ही सालों में आधी रह जाएगी आबादी
एक बदलाव ये होगा कि बेबी-केयर के लिए बनी सारी इंडस्ट्रीज रातोंरात बंद हो जाएंगी. न मिल्क पावडर की जरूरत होगी, न डायपर की. इससे लाखों लोग बेरोजगार हो जाएंगे. इसके बाद जो तनाव होगा, वो अलग चीज हैं, लेकिन फिलहाल हम इसपर फोकस करते हैं कि आगे क्या होगा. अगर 5 दशकों तक कोई नया बच्चा न जन्म ले, तो दुनिया की आबादी आधी होकर 5 बिलियन रह जाएगी. ये वही आबादी है, जो साल 1987 में हुआ करती थी. 

बढ़ेगा माइग्रेशन
बेबी-केयर काफी खर्चीली चीज है. जन्मदर रुकने पर ये खर्च भी बंद हो जाएगा. इससे हरेक के पास काफी पैसा होगा, जिसका असर देश की इकनॉमी पर भी दिखेगा. अमीर लोगों वाला देश ज्यादा अमीर होगा. वो अपने यहां इंडस्ट्रीज चलती रहें, इसके लिए दूसरे देशों के लोगों को बुलाएगा. मान लीजिए, जापान फिलहाल बूढ़ी आबादी वाला देश बन चुका है, लेकिन पैसे उसके पास खूब हैं. ऐसे में अगर वो किसी गरीब देश के लोगों को ज्यादा वेतन का ऑफर देकर बुलाए तो लोग चले जाएंगे. ये जापान के लिए तो अच्छा होगा, लेकिन जिस देश से लोग जा रहे हैं, उसकी इकनॉमी के लिए खतरा बढ़ेगा.

इससे ये डर भी रहेगा कि देश आपस में इंसानों के लिए लड़ने लगें. हो सकता है कि तीसरा विश्व युद्ध इसी बात पर हो जाए कि फलां देश ने हमारे यहां से लोगों को अपने यहां बुला लिया. 

Advertisement
कामकाजी महिला-पुरुषों में भेद खत्म हो जाएगा. सांकेतिक फोटो (Unsplash)

जेंडर डायनेमिक्स तेजी से बदलेगा
छोटे बच्चों की मांएं आमतौर पर काफी सारे समझौते करती हैं. वे या तो नौकरी छोड़ देती हैं, या ऐसा काम करती हैं जो उनकी स्किल से काफी कम हो, लेकिन जो उन्हें घर पर रहने का मौका दे सके. बच्चे नहीं होंगे तो महिलाओं से ये दबाव हट जाएगा. वे पुरुषों की बराबरी पर या शायद उनसे आगे खड़ी हों. काम की जगह पर हुआ ये बदलाव कई दूसरे बदलाव लाएगा. चूंकि कोई नया बच्चा जन्म नहीं ले रहा होगा तो संभव है कि औरत-मर्द के बीच का बायोलॉजिकल फर्क भी खत्म हो जाए. 

पहले से ही खतरे की जद में
साइंटिस्ट का भी यही मानना है कि इंसान हमेशा के लिए धरती पर नहीं. पॉपुलेशन दर कम होने के अलावा इसकी एक वजह और भी है. हमारे यानी होमो सेपियंस के जेनेटिक वेरिएशन बहुत कम हैं. आनुवंशिक विविधता का मतलब है कि एक ही स्पीशीज के लोगों के जीन्स में बदलाव. इसके कारण ही जीवों में भिन्न-भिन्न नस्लें देखने में आती हैं. जेनेटिक वेरिएशन ही है, जिसकी मदद से हम या कोई जीव खुद को नए क्लाइमेट के अनुकूल ढालता और विलुप्त होने से बचा रहता है.

Advertisement

चूंकि हमारे भीतर डीएनए में खास फर्क नहीं तो किसी भी बदलाव के साथ हमारे खत्म होने का खतरा बढ़ रहा है. जैसे हो सकता है कि ग्लोबल वार्मिंग का पहला शिकार हम ही बनें और धरती से इंसान खत्म हो जाएं. 

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement