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28 जिले, पानी में घिरी 11 लाख की आबादी और डूबे खेत-घरबार ... चीन से आए 'जलप्रलय' से बेहाल असम

Assam में भयानक बाढ़ आई हुई है. 11.34 लाख लोग प्रभावित हैं. कटोरे जैसी भौगोलिक स्थिति में बसा असम अब हर साल ब्रह्मपुत्र और अन्य नदियों का शिकार बन जाता है. इसके पीछे तीन बड़ी वजह हैं. सामान्य से ज्यादा बारिश, रहने की कम जगह और ज्यादा आबादी. तस्वीरों में देखिए असम की बुरी हालत...

असम के नागांव जिले में भारी बारिश के बाद बाढ़ में सुरक्षित तरीके से पार करने में एक बच्चे की मदद करने के लिए लोग एक अस्थायी बेड़ा का इस्तेमाल कर रहे हैं. (सभी फोटोः PTI) असम के नागांव जिले में भारी बारिश के बाद बाढ़ में सुरक्षित तरीके से पार करने में एक बच्चे की मदद करने के लिए लोग एक अस्थायी बेड़ा का इस्तेमाल कर रहे हैं. (सभी फोटोः PTI)
आजतक साइंस डेस्क
  • नई दिल्ली,
  • 04 जुलाई 2024,
  • अपडेटेड 2:11 PM IST

असम फिर डूब गया है. 28 जिले के करीब ढाई हजार गांव जलमग्न हैं. 11.34 लाख लोग प्रभावित हैं. हर साल की तरह इस बार भी ये पूर्वोत्तर राज्य ब्रह्मपुत्र नदी का प्रकोप झेल रहा है. इस सीजन में अब तक करीब 48 लोग मारे गए हैं. करीब 3057 लोगों और 419 जानवरों को बचाया गया है. 

सिर्फ यहीं ऐसा नहीं है. अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, मेघालय, मणिपुर और मिजोरम भी हाई अलर्ट पर हैं. असम में 33 जिले हैं, जिनमें से 28 बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हैं. बाढ़ से लोगों को बचाने के लिए एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और सेना को उतारना पड़ा है. 

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असम के ये जिले बुरी तरह से प्रभावित हैं. बारपेटा, बिश्वनाथ, काचर, चराईदेव, चिरांग, डरांग, धेमाजी, डिब्रुगढ़, गोलाघाट, जोरहाट, कामरूप मेट्रोपॉलिटन, करबी आंगलोंग, करीमगंज, लखीमपुर, मजूली, मोरीगांव, नागांव, नलबारी, सिवासागर, सोनितपुर, तमुलपुर, तिनसुकिया और उदलगुरी. 

सबसे बुरी हालत है लखीमपुर जिले की

सबसे बुरी हालत लखीमपुर जिले की हैं. यहां पर 1.65 लाख से ज्यादा लोग जलजमाव से परेशान हैं. 1.47 लाख लोग डरांग में और 1.07 लाख लोग गोलाघाट में बाढ़ प्रभावित हैं. अब तक 490 रिलीफ कैंप बनाए गए हैं. जिनमें करीब 2.86 लाख लोग रह रहे हैं. करीब 42,500 हेक्टेयर की कृषि भूमि खराब हो गई है. 8.32 लाख मवेशी और पोल्ट्री प्रभावित हुए हैं. ब्रह्मपुत्र नदी निमतीघाट, तेजपुर, गुवाहाटी, ढुबरी में खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. 

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क्या असम की भौगोलिक स्थिति कटोरे जैसी है? 

पहले तो ऐसा होता था कि असम में 4-5 साल में एकाध बार बाढ़ आती थी, लेकिन अब हर साल ही यहां 3 से 4 बार बाढ़ आ रही हैं. असम में इतनी बाढ़ क्यों आती है? ये समझने से पहले यहां कि जियोग्राफी पर नजर डालना जरूरी है. असल में असम की भौगोलिक स्थिति किसी कटोरे जैसी है, जिसमें पानी जमा हो जाता है. 

दो नदियों की घाटी में बसा है असम

असम ऐसा राज्य है जो पूरा नदी की घाटी में बसा हुआ है. यहां का कुल क्षेत्रफल 78,438 वर्ग km है. 56, 194 वर्ग km का इलाका ब्रह्मपुत्र नदी की घाटी में बसा है. बाकी का बचा 22,444 वर्ग km का हिस्सा बराक नदी की घाटी में बसा है. हर साल असम के कुल एरिया का करीब 40 फीसदी हिस्सा बाढ़ में डूब जाता है. 
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कुल मिलाकर देश में जितने बाढ़ प्रभावित इलाके हैं, उनमें से करीब 10% असम में हैं. असम में दो प्रमुख नदियां हैं. पहली है ब्रह्मपुत्र और दूसरी है बराक. इन दो के अलावा 48 छोटी-छोटी और सहायक नदियां भी हैं. इस वजह से यहां बाढ़ का खतरा ज्यादा है. थोड़ी सी बारिश से भी यहां बाढ़ के हालात बन जाते हैं.

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ब्रह्मपुत्र नदी लगातार फैलती जा रही है

असम में ब्रह्मपुत्र नदी लगातार फैल रही है. कवर एरिया भी बढ़ रहा है. असम सरकार के मुताबिक, 1912 से 1928 के बीच ब्रह्मपुत्र नदी का कवर एरिया 3,870 वर्ग km था. यह 1963 से 1975 के बीच बढ़कर 4850 वर्ग km हो गया. 2006 में यह बढ़कर 6080 वर्ग किलोमीटर हो गया. ब्रह्मपुत्र नदी की औसतन चौड़ाई 6 km है. असम के कुछ इलाकों में ये 15 किमी तक चौड़ी है. 

कहां से शुरू होती है ब्रह्मपुत्र नदी, जो बनती है असम का काल

ब्रह्मपुत्र नदी बहुत ही ज्यादा विभिन्नता वाली जगहों से गुजरती है. शुरुआत तिब्बत के ठंडे पठारों से होती है. फिर बारिश वाले हिमालयी इलाके में आती है. इसके बाद असम की खेती वाली जमीनों से गुजरते हुए बांग्लादेश के बड़े डेल्टा वाले मैदान तक पहुंचती है. ब्रह्मपुत्र को तिब्बत में यारलंग सांगपो कहते हैं. यह कैलाश रेंज में मौजूद Konggyu Tsho झील के दक्षिण से 5150 मीटर की ऊंचाई से निकलती है. ज्यादा ऊंचाई की वजह से उत्तरी इलाके में हमेशा बर्फ जमा रहती है. 

ब्रह्मपुत्र नदी की लंबाई 2900 किलोमीटर है. जिसमें से सिर्फ 916 किलोमीटर का हिस्सा भारत के अंदर है. भारत के बाहर का जो हिस्सा है, वो पूरी तरह से बर्फ से ढंका रहता है. देश के अंदर वाली नदी अंत में जाकर बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है. इस नदी के ऊपर दर्जनों की संख्या में बांध बने हैं. बराज बने हैं. जिनकी मदद से इसके 3.99 लाख वर्ग किलोमीटर से ज्यादा के कैचमेंट एरिया में सिंचाई होती है. 

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ब्रह्मपुत्र घाटी में कई नदियां बहती हैं, जो ब्रह्मपुत्र नदी से मिलती हैं. ये हैं- लोहित, दिबांग, सुबानसिरी, जियाभराली, धनसिरी, मनस, तोरसा, संकोश, तीस्ता, बूढ़ीढिहिंग, देसांग, दिखोव और कोपिली. ब्रह्मपुत्र नदी की घाटी बेहद ज्यादा ठंडी रहती हैं. तिब्बत के इलाके में तो सूखी ठंड पड़ती है. असम में ह्यूमिडिटी बढ़ जाती है. यहां साल भर में 400 मिलिमीटर बारिश होती है. 

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बाढ़ से असम में हर साल सैकड़ों मौतें होती हैं. आजादी के बाद यहां 1954, 1962, 1972, 1977, 1984, 1988, 1998, 2002, 2004 और 2012 में भयंकर बाढ़ आई थी. हर साल औसतन 200 करोड़ रुपए का नुकसान होता है. 1998 में 500 करोड़ और 2004 की बाढ़ में 770 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था.  

क्या है असम में बाढ़ आने की बड़ी वजह? 

1. सामान्य से ज्यादा बारिशः ब्रह्मपुत्र बोर्ड के मुताबिक, हर साल यहां सामान्य से 248 सेमी से 635 सेमी बारिश ज्यादा होती है. हर घंटे यहां 40 मिमी बारिश होती है. कभी-कभी तो ऐसा होता है जब यहां एक दिन में 500 मिमी से ज्यादा बारिश होती है.

2. रहने के लिए कम जगहः ब्रह्मपुत्र नदी जिस घाटी से होकर गुजरती है, वो बहुत संकरी है. जबकि ब्रह्मपुत्र नदी कई किमी तक फैली हुई है. दोनों ओर जंगल हैं. निचले इलाकों में खेती होती है. ऐसे में यहां रहने के लिए जगह कम है. जब नदी ऊपर से बहती हुई निचले इलाकों में आती है तो इससे बाढ़ आ जाती है. 

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3. जनसंख्या घनत्व का बढ़नाः कम जगह में ज्यादा लोगों के रहने की वजह से भी बाढ़ का खतरा बढ़ गया है. 1940-41 में यहां हर किमी में 9 से 29 लोग रहते थे. लेकिन अब हर एक किमी में तकरीबन 200 लोग रहते हैं.

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