Advertisement

Chandrayaan-3: भारत तीसरी बार चंद्रमा पर क्यों जा रहा है... क्या है इसरो की गहरे अंतरिक्ष मिशनों की तैयारी?

Chandrayaan-3 की लॉन्चिंग भारत के भविष्य का एक पिक्चर-परफेक्ट नजारा था. इसकी सफलता देश को आने वाले दशकों में बड़े स्पेस मिशन करने के लिए मौका देगा. भारत चांद के आगे, मंगल तक या फिर सौर मंडल के अन्य ग्रहों या उससे बाहर एलियन ग्रहों की खोज में भी शामिल होगा. क्या है इस मिशन के बाद का फ्यूचर?

ISRO के Chandrayaan-3 मिशन की सफलता भारत को दुनिया के बड़े स्पेस पावर में शामिल कर देगी. (सभी फोटोः ISRO) ISRO के Chandrayaan-3 मिशन की सफलता भारत को दुनिया के बड़े स्पेस पावर में शामिल कर देगी. (सभी फोटोः ISRO)
ऋचीक मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 27 जुलाई 2023,
  • अपडेटेड 1:23 PM IST

1407 दिन पहले की बात है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कंधे पर सिर रखकर रो रहे थे, इसरो के तत्कालीन प्रमुख डॉ. के सिवन. चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर की हार्ड लैंडिंग से मिशन आंशिक रूप से असफल हो गया था. 6 सितंबर 2019 की तारीख थी. फिर आया वो दिन जब चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग हुई. यानी 14 जुलाई 2023. इन दोनों तारीखों के बीच 1407 दिन का अंतर है. इतने दिनों तक ISRO तीसरे मून मिशन की तैयारी में लगा था. पर वजह क्या है? 

Advertisement

क्या चंद्रयान-3 मिशन से भारत भविष्य का सूरमा बन जाएगा? या वो रूस, अमेरिका, चीन, यूरोपियन देश या जापान के बराबर पहुंच जाएगा. सुकरात ने कहा था कि हम जो पृथ्वी पर रह रहे हैं. ठीक वैसे ही हैं जैसे तालाब की तलहटी में बैठे मेंढक. अगर इंसान हवाओं के ऊपर जा सके तो वह असली मायने में पृथ्वी को संभाल सकता है. उस दुनिया को बचा सकता है जिसमें हम रहते हैं. चंद्रयान-3 क्या भारत को इस तरह की जिम्मेदारी के लिए तैयार कर पाएगा?

सांसें थमेंगी. धड़कनें तेज और धीमी होंगी. आंखें चौड़ी हो जाएंगी. ध्यान मॉनीटर पर होगा. लैंडर की लैंडिंग के हर कोण, आंकड़े और नतीजों पर नजर रखी जाएगी. ISRO वैज्ञानिकों के लिए लैंडिंग का 15 मिनट ठीक वैसा ही होगा, जैसे कोई इंटरव्यू देते समय नर्वस होता है. नई तकनीक विकसित की. सैकड़ों टेस्ट किए. सफलता की उम्मीद भी पूरी है. लेकिन गला फिर भी सूखेगा. जब तक चंद्रयान-3 का लैंडर सफलतापूर्वक चांद की सतह पर उतर नहीं जाता. 

Advertisement

अंतरिक्ष सारी गणनाएं फेल कर सकता है... 

इस बार लैंडर के 100 से ज्यादा टेस्ट किए गए हैं. नए यंत्र लगाए गए हैं. सुरक्षा तकनीकें बदली गई हैं. इंजन कम किए गए हैं. फिर भी अंतरिक्ष के रहस्यों को कोई नहीं जानता. न ही चांद के. सबकुछ सिर्फ गणना पर ही निर्भर नहीं है. कुछ चीजें परिस्थितियों के बदलने से भी होती हैं. अंतरिक्ष सारी गणनाएं फेल कर सकता है. अगर भारत को सफलता मिलती है, तो वह दुनिया का चौथा देश होगा, जो चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने में फतह हासिल करेगा.

पूरी दुनिया की नजर चंद्रयान-3 पर...  

नहीं भी सफलता मिलती है तब भी इसरो और भारत के इस प्रयास को दुनिया सराहेगी. भारत के चंद्रयान-3 के चंद्रमा पर पहुंचने का इंतजार दुनिया के कई देशों को है. कम से कम 11 देशों को तो जरूर है, जिनके अपने-अपने मून मिशन की तैयारियां चल रही हैं. जिसमें सबसे बड़ा अमेरिका का अर्टेमिस प्रोग्राम है. यह इकलौता ऐसा स्पेस मिशन होगा जो इतना बड़ा और कई स्तर पर होगा. अब तो इसमें भारत भी शामिल हो गया है. 

चंद्रमा ही क्यों बन जाता है टेस्ट पैड

अर्टेमिस एकॉर्ड पर साइन करने के बाद भारत अंतरिक्ष के भविष्य की ओर जाने की राह पर आ गया है. पृथ्वी के सबसे नजदीक अगर कोई ग्रह या उपग्रह है तो वो चंद्रमा है. यह ऐसी जगह है, जिसपर साइंटिफिक टेस्ट कर सकते हैं. तकनीकों का प्रदर्शन कर सकते हैं. या फिर भविष्य में गहरे अंतरिक्ष मिशनों की तैयारी के लिए लॉन्चपैड की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं. यानी मंगल पर कोई तकनीक इस्तेमाल करने से पहले चंद्रमा पर ट्रायल कर लो. 

Advertisement

भारत इसलिए जरूरी है सबके लिए

इंसानों की फितरत है खोजना. जब तक अंटार्कटिका नहीं पहुंचे थे. परेशान थे. अंटार्कटिका जब मिला तो वहां कई देशों ने अपने आउटपोस्ट खोल दिए. यानी रिसर्च सेंटर. भविष्य में यानी अगले एक-डेढ़ दशक में इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन को खत्म कर दिया जाएगा. अमेरिका सहित कई देश चांद पर स्थाई स्पेस स्टेशन या बेस बनाने की योजना में लगे हैं. भारत इसमें एक गंभीर और जिम्मेदार किरदार निभा सकता है. वजह है उसकी सस्ती तकनीक और ताकत. 

जापान भी भारत के साथ कर रहा मून मिशन

अंतरिक्ष की आने वाली यात्राओं और मिशनों को सफल बनाने के लिए जरूरी है कि भारत कई बार चंद्रमा तक अपने मिशन करे. मित्र देशों के साथ डेटा शेयर करे. उनसे डेटा ले. योजनाए बनाए. ताकि ढेर सारा डेटा मिले. उससे गलतियां सुधारी जा सकें. नई तकनीकें बनाई जा सकें. इस समय जापान भी भारत के साथ मिलकर संयुक्त मून मिशन पर काम कर रहे हैं. कम से कम भारत के पास एक मून मिशन पाइपलाइन में है. 

चीन स्पेस मिशनों का बड़ा किरदार बन रहा 

एक समय था कि अंतरिक्ष में सिर्फ अमेरिका और रूस का राज था. लेकिन अब नहीं. यूरोप और जापान ने कई सालों तक इंतजार किया. आज वो सफलता की सीढ़ियां चढ़ रहे हैं. भारत ने अंतरिक्ष मिशनों के सहारे देश के लोगों की भलाई का काम किया. चीन सन्नाटे में काम करता रहा. चीन आज खुद नई स्पेस टेक्नोलॉजी बना रहा है. ज्यादा बोल्ड मिशन कर रहा है. अपना स्पेस स्टेशन बना चुका है. भारत दुनिया का सबसे सस्ती लॉन्चिंग के लिए जाना जाता है. 

Advertisement

पूरी दुनिया इसलिए आ रही है भारत के पास

भारत में राजनीतिक सच्चाई भी बदल चुकी है. भारत और चीन दुनिया के नक्शे पर उभरकर सामने आ रहे हैं. भारतीय समुद्री इलाके की चर्चा पूरी दुनिया करती है. चीन की बढ़ती ताकत को देखते हुए अमेरिका आगे आकर भारत से संबंध प्रगाढ़ कर रहा है. अर्टेमिस एकॉर्ड उसी का नतीजा है. भारत भविष्य में वैश्विक अंतरिक्ष नीतियों को बदलने, सुधारने और तय करने में महत्वपूर्ण किरदार निभाएगा. भारत अंतरिक्ष की बड़ी ताकत बनने वाला है. 

देश की रक्षा भी होगी अंतरिक्ष से... 

भारत को अंतरिक्ष से ही देश की सुरक्षा का भी ध्यान रखना होगा. सिर्फ शांतिपूर्ण मिशनों से काम नहीं चलेगा. उसे स्पेस से और स्पेस में हथियारों के इस्तेमाल की ताकत को भी बढ़ाना होगा.  Chandrayaan-3 भारत को इस दिशा में तेजी से आगे लेकर जाएगा. साथ ही गहरे अंतरिक्ष में होने वाले बड़े मिशनों को पूरा करने में मदद करेगा. 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement