
गर्मी बढ़ रही है. या हमें ज्यादा महसूस हो रही है. दिल्ली में तापमान 23 मई 2024 को 41 डिग्री सेल्सियस था लेकिन गर्मी महसूस हो रही थी 50 डिग्री वाली. कुछ दिन में हो सकता है कि हम सभी 56 डिग्री सेल्सियस गर्मी महसूस करें. 41 डिग्री सेल्सियस सामान्य से एक ही डिग्री ज्यादा है. लेकिन गर्मी बहुत ज्यादा महसूस हो रही है.
तो क्या भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के जारी आंकड़ों से ज्यादा गर्मी हमें महसूस होती है? जी हां... ये बात सही है. वैसे भी कुछ दिन पहले एक स्टडी आई थी, जिसमें कहा गया था कि भारत के सभी नागरिक जितना तापमान बर्दाश्त करते हैं, वह पहले ही तय सीमा से ऊपर है.
ये जरूरी नहीं कि सिर्फ हवा गर्म हो तभी गर्मी लगे. कई बार ह्यूमिडिटी यानी आद्रता बढ़ने से भी गर्मी ज्यादा महसूस होती है. मौसम विभाग ने हीट इंडेक्स या महसूस होने वाले तापमान (Feel-like Temperature) को मापना शुरू कर दिया है. जिसमें तापमान और रिलेटिव ह्यूमिडिटी को नापा जाता है. ताकि गर्मियों के दिन के सटीक आंकड़ों को पेश किया जा सके.
अभी इतनी गर्मी क्यों महसूस हो रही है?
मौसम विभाग के पूर्व निदेशक आनंद शर्मा ने aajtak.in से खास बातचीत में बताया कि उत्तर भारत में बारिश है नहीं. बादल है नहीं. आसपास में भीकहीं बारिश नहीं हो रही है. चारों तरफ से गर्म हवाएं आ रही हैं. पछुआ हवाएं आ रही हैं. वो कहते हैं कि ये मौसम ही गर्मी का है. इसमें गर्मी नहीं होगी तो कब आएगी.
आनंद कहते हैं कि मार्च, अप्रैल और मई में गर्मी होती है. मार्च अच्छा था. अप्रैल में गर्मी नहीं पड़ी. 15 मई तक कोई गर्मी नहीं थी. इसके बाद थोड़ी सी हीटवेव आई है. तीन महीने में से ढाई महीने तो गर्मी पड़ी नहीं. ये मौसम किसानों के लिए फायदेमंद है. इससे उनके खेतों के कीड़े मरते हैं.
इतनी भयानक गर्मी से राहत कब तक मिलेगी?
आनंद ने बताया कि अभी कुछ राहत नहीं मिल रही. कम से कम चार पांच दिन. इसके बाद असर पड़ेगा. मार्च अप्रैल में दक्षिण भारत में हीटवेव था. उत्तर में कुछ था ही नहीं. उत्तराखंड में जंगल की आग की वजह हीटवेव नहीं थी. अब साउथ में बारिश हो रही है. प्री-मॉनसून की अच्छी बारिश आ रही है. पहले वो गर्मी में था, अब उसे राहत मिली है. हमें भी कुछ दिन में राहत मिल जाएगी.
अलनीनो खत्म होने वाला है. ला-नीना कंडिशन अगले महीने से शुरू होगा. एंटी-साइक्लोन सिस्टम कोस्ट के पास बैठता है, तो उससे गर्मी बढ़ती है. हाई प्रेशर में हवाएं ऊपर से नीचे आती हैं. लो प्रेशर में नीचे से ऊपर जाती हैं. लो प्रेशर एरिया बनने से बारिश होने की संभावना बढ़ जाती है. अलनीनो अमेरिका की तरफ से प्रशांत महासागर से पूर्व यानी एशिया की तरफ आने वाली गर्म समुद्री हवाएं हैं. इनकी वजह से पूरी दुनिया में मौसम बदलता है. इसकी ठीक विपरीत होता है ला-नीना कंडिशन. ये बस आने वाला है.
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महसूस होने वाली गर्मी 55.4 डिग्री पहुंची
मौसम विभाग ने पिछले साल 1 अप्रैल से हीट इंडेक्स की गणना शुरू की. विभाग हीटवेव की भविष्यवाणी अधिकतम तापमान के आधार पर देता है. अगर महसूस होने वाले तापमान की बात करें तो इस सीजन में दिल्ली में सबसे अधिक हीट इंडेक्स दर्ज किया गया. बुधवार यानी 22 मई 2024 को ये 55.4 डिग्री सेल्सियस था. जबकि बृहस्पतिवार यानी 23 मई 2024 को दूसरा सबसे अधिक तापमान यानी 50 डिग्री सेल्सियस था.
असली तापमान और महसूस होने वाली में अंतर है
मौसम विभाग के रीजनल वेदर फोरकास्टिंग सेंटर के प्रमुख कुलदीप श्रीवास्तव ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर में पुरवैया हवाएं नमी लेकर आती हैं. ये हाल पिछले दो दिनों से है. नमी वाली हवा की वजह से रिलेटिव ह्यूमिडिटी बढ़ गई है. इसलिए असली तापमान (Actual Temperature) की तुलना में महसूस होने वाला तापमान (Feel-like Temperature)ज्यादा है.
25 मई की शाम से थोड़ी राहत मिलने का अनुमान
शुक्रवार यानी 24 मई 2024 और शनिवार यानी 25 मई 2024 को महसूस होने वाला तापमान 54-56 डिग्री सेल्सियस रह सकती है. 25 मई की शाम से हवा की दिशा पश्चिम की तरफ घूम जाएगा. इसके बाद महसूस होने वाले तापमान में गिरावट दर्ज हो सकता है.
हीट इंडेक्स को समझना जरूरी, जानिए क्यों?
मौसम विभाग के अनुसार पूरे अप्रैल में हीट इंडेक्स 40 डिग्री सेल्सियस से नीचे थे. इसलिए मौसम विभाग ने 12 मई तक के तापमान को 40 से 50 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने की आशंका जताई थी. सटीक डेटा 12 मई से आना शुरू हुआ. हीट इंडेक्स अब भी 50 डिग्री सेल्सियस से नीचे हैं. जुलाई में दिल्ली का हीट इंडेक्स 50 डिग्री सेल्सियस के ऊपर चला जाएगा. क्योंकि उस समय ह्यूमिडिटी बढ़ जाती है.
देश में नहीं होती वेट बल्ब टेम्परेचर की गणना
हमारे देश में वेट बल्ब टेम्परेचर की गणना और घोषणा नहीं होती. जबकि होनी चाहिए. ताकि हीटवेव की वजह से मरने वालों को बचाया जा सके. इसके लिए ह्यूमिड हीटवेव पर भी ध्यान देना जरूरी है. मौसम विभाग ने पहली बार 27 मार्च 2024 को राजस्थान के कुछ हिस्सों में हीटवेव का ऐलान किया.
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देश में ह्यूमिड हीटवेव (Humid Heatwave) को लेकर कोई अलर्ट जारी नहीं किया जाता. मौसम विभाग हीटवेव की घोषणा में रिलेटिव ह्यूमेडिटी (Relative Humidity) को शामिल नहीं करता. देश में ह्यूमिड हीटवेव की मात्रा और तीव्रता लगातार बढ़ रही है.
जानिए कब होती है हीटवेव की घोषणा
मौसम विभाग हीटवेव की घोषणा तब करता है जब मैदानी इलाकों में 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक, तटीय इलाकों में 37 डिग्री सेल्सियस से ऊपर और पहाड़ी इलाकों पर 30 डिग्री सेल्सियस के ऊपर तापमान जाता है. इन आंकड़ों को मौसम विभाग ने ही सेट किया है.
तापमान लगातार दो दिनों तक सामान्य से 4.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक रहे तब मौसम विभाग किसी स्थान पर हीटवेव की घोषणा करता है. लेकिन जैसे ही तापमान 45 डिग्री सेल्सियस के ऊपर जाता है, मौसम विभाग बिना स्थान को ध्यान में रखे हीटवेव की घोषणा कर देता है. लेकिन इस में आद्रता वाली हीटवेव को शामिल नहीं करता.
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ह्यूमिड हीटवेव की घटनाएं लगातार देश में बढ़ रही है
ह्यूमिड हीटवेव यानी नमी वाली हीटवेव की घटनाएं लगातार देश में बढ़ रही हैं. इस स्थिति में इंसान का शरीर, जानवर का शरीर या फिर पेड़-पौधे जितना तापमान सह रहे होते हैं, वो असल में बहुत ज्यादा होता है. मशीन में पारा कम दिखता है लेकिन शरीर पर गर्मी ज्यादा महसूस होती है. क्योंकि वायुमंडल में नमी बढ़ी हुई होती है.
क्या होता है वेट बल्ब टेम्पेरेचर, जिसकी गणना जरूरी
तापमान और रिलेटिव ह्यूमेडिटी की एकसाथ गणना करने से वेट बल्ब टेम्परेचर या फिर किसी तय स्थान का हीट इंडेक्स निकाल सकते हैं. इससे दोनों का पता चल जाएगा. तापमान भी और नमी वाली हीटवेव भी. वेट बल्ब टेम्परेचर में सबसे कम तापमान हवा से ठंडा होता है. हवा पानी से निकले भाप से ठंडी होती है. वह भी एक तय दबाव पर. शरीर से लगातार पसीना निकलता है.
जब तापमान बहुत ज्यादा बढ़ता है तब पसीना ही इंसान के शरीर को सुरक्षित रखता है. लेकिन तापमान ज्यादा होने पर ठंडा होने की प्रक्रिया धीमी हो जाती है. इससे इंसान का शरीर बिगड़ने लगता है. इस स्थिति से उसे हीट स्ट्रोक या मौत का खतरा रहता है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वेट बल्प टेम्परेचर की सीमा 30 से 35 डिग्री सेल्सियस है. इससे ऊपर जाने पर इंसान की मौत होना लगभग तय हो जाता है.
फायदा ये है कि जमीन की गर्मी बढ़ेगी तो लो प्रेशर एरिया बनेगा. मॉनसून का असर बढ़ेगा. प्राकृतिक तौर पर बदलाव होता है. पर हम तो सुधर नहीं रहे हैं. गाड़ियां-एसी बढ़ रहे हैं उनसे भी फर्क पड़ता हैं. सबको एसी चाहिए. मॉल में एसी. घर में एसी. ये निर्भर करता है इक आप खुद को कैसे ढालते हो. प्रकृति के हिसाब से खुद को ढाल नहीं सकते तो बचाव करने की आदत डालनी चाहिए.